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असफलता में ही सफलता की कुंजी

मानव जीवन में सफलता और असफलता एक सिक्के के दो पहलू के समान होते हैं । जिससे हर मनुष्य को अपने जीवन काल रूबरू होना पड़ता है । हर मनुष्य का जीवन में एक मुकाम पाने के लिए सुंदर सपना गढ़ता है,उसे पाने के लिए हर प्रयास करता है । जो इस मुकाम को पाता है वही सफल कहलाता है,जो नहीं पाता है वह असफल कहलाता है ।  कभी-कभी  मनुष्य अपनी पहली ही असफलता में हार मान लेता है और उसका मन इतना कमजोर हो जाता है कि उसे लगता है कि सारा जीवन अब खत्म हो गया है । यहां तक की आत्महत्या तक कर बैठता है ।  यह सिर्फ  उसकी नाकाम सोच भर है,एक कहावत है कि मन के  हारे हार है,मन के जीते जीत है । लेकिन  उसे पता होना चाहिये कि उसकी असफलता ही उसके सफलता की कुंजी है और उसके सपनों के मुकाम पर पहुंचने की पहली सीढ़ी होती है । इसलिए मनुष्य को कभी हार मानना नहीं चाहिए क्योंकि सकारात्मक सोच से ही जीत है , और नकारात्मक सोच से ही हार होती  है । अब हम आपको एक छोटी सी कहानी सुनाते हैं जिसमें एक छोटी सी चींटी अनाज के दाने के साथ एक दीवार पर चढ़ने लगती है,लेकिन  वो गिर जाती है ,जब दोबारा चढ़ती है ,फिर गिर जाती है,लेकिन वो हार नहीं मानती और