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जनवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

देशद्रोहियों पर कार्यवाही या फिर चुनावी स्टंट!

हम लेके रहेंगे ,आजादी आजादी ! भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह! जैसे नारों से देश के ऐतिहासिक सेंट्रल यूनिवर्सिटी जेएनयू का परिसर 3 वर्ष पूर्व 9 फरवरी 2016 को गूंज उठा था। वक्त था आतंकवादी अफजल गुरु की बरसी का, जिसमें उस तथाकथित छात्रों ने सभा करके अफजल गुरु की बरसी मनाई जा रही थी। जिसमें कन्हैया कुमार जोकि जेएनयू का छात्र संघ अध्यक्ष था ,उमर खालिद, शहला राशिद, अपराजिता,एजाज खान जैसे वामपंथी भी शामिल थे। जिसमें देश विरोधी नारे लगे। इसके वीडियो वायरल होने लगे। तब एबीपी कार्यकर्ता द्वारा बसंत कुञ्ज में 124A के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने कार्यवाही करते हुए 12 फरवरी को कन्हैया कुमार सहित दर्जनों को गिरफ्तार किया । वहीं उमर व अनिर्बन 24 फरवरी को कोर्ट में सरेंडर किया था । लेकिन उस संशय का लाभ लेकर ये 03 मार्च को अंतरिम जमानत पर छूट गए । दिल्ली पुलिस उस वक्त कोई ठोस सपूत नहीं जुटा पाई । लेकिन 36 माह बाद पुलिस ने इस चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य समेत कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है। जिसमें सात  कश्मीरी  छात्र भी शामिल हैं। इस प्रकार 46

मोदी का खौफ या अस्तित्व को लेकर मज़बूरी का गठबंधन!

देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य एवं लोकसभा के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में दो क्षेत्रीय दलों के गठबंधन ने भारतीय राजनीति में खलबली मचा कर रख दी है। देश में राजनीति के बदलते तेवर देखने को मिल रहा है। विचारों और सिद्धान्तों के दुश्मन आज गले मिल रहे हैं ,गठबंधन बना रहे हैं। कहीं मोदी की ख्याति और सफलता का खौफ तो नही है! राजनीति में कब कैसे उलट-पलट हो जाय कोई इस बात का गुमान नही कर सकता है सब कुछ उसके हिसाब से चल सके । वर्तमान समय यही कुछ राजनीतिक परिदृश्य तैयार हो रहा है। किसी समय इंदिरा गांधी के विरोध में विपक्षियों का गठबंधन बनते थे, जिसका नतीजा जनता पार्टी की सरकार बनी थी, भले ही सफल न हुई हो। अब लोकसभा 2019 में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती व  समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश की 80 सीटों में 38-38 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है । वहीं अमेठी व  रायबरेली लोकसभा में कांग्रेस के  राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एवं सोनिया गांधी के खिलाफ  दोनों सीटों पर कोई प्रत्याशी ना उतारने का फैसला किया है ,अन्य दो सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़

आरक्षण का खेल ,मोदी का मास्टर स्ट्रोक !

आरक्षण का खेल ,मोदी का मास्टर स्ट्रोक राजनीति अनिश्चितताओं भरा खेल है। कब कौन राजनीतिक दल व उसके नेता की किस्मत पलट जाय किसी को पता नही होता है। हर पल हर घड़ी संशय से भरा है। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया । बीजेपी के मूल वोटबैंक सवर्णों की नाराजगी राज्यों के हुए चुनाव में खूब दिखा । जहाँ सीटों के जीत हार का अन्तर से अधिक नोटा वोटों संख्या थी। जिससे मध्य प्रदेश व राजस्थान की सत्ता से बाहर जाना पड़ा है। सवर्णों की एसएसी/एसटी एक्ट को लेकर नाराजगी को देखते बीजेपी नेताओं के माथे पर चिन्ता की लकीरें खिंच गई । इसके प्रभाव को काम करने व सवर्णों को मनाने के पार्टी मंथन चल ही रहा था , कि राम मंदिर मुद्दा बड़ी जोर शोर से शुरू हो चुका था । संघ,विहिप, साधु-संतो,व हिन्दू संगठनों का दबाब इस मुद्दे पर बढ़ता जा रहा था । जोकि अब भी जारी है। इसी बीच बसपा व सपा का महागठबंधन यानी बुआ व बबुआ का गठजोड़ हुआ,जोकि बीजेपी के लिए यूपी में अच्छा संकेत नहीं है। क्योंकि कहा जाता है देश में सरकार बनाने का रास्ता यूपी से ही गुजरता है । अब कांग्रेस सहित विपक्षियों के चहुंओर हमले से मोदी