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अक्तूबर, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शर्मसार हुआ लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ

पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होता है| विधायिका, कार्यपालिका, न्‍यायपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्‍तंभ माना जाता है| इसमें चौथे स्‍तंभ के रूप में मीडिया को शामिल किया गया|जनता के लिए दर्पण का कार्य करने वाली ,सच्चाई को उजागर करने वाली मीडिया क्या अपने दायित्व की तरफ से मुख मोड चुकी है। ये केवल राजनीतिक दलों व उनकी सरकारों के हाथ कठपुतली बन कर रह गई है। जबकि लोकतांत्रिक देश में इनकी महती भूमिका होती है। जनता से सरोकार रखने वाले अहम मुद्दों को सरकार तक पहुंचाने का काम मीडिया करती है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में आजादी से लेकर अब तक लोकतंत्र को चलाने में मीडिया का सहयोग रहा है, इससे किंचित मात्र विमुख नही हो सकते हैं। हां ये जरूर है कि आजादी के समय की मीडिया और वर्तमान समय की मीडिया में बहुत फर्क दिखने लगा है। मीडिया व्यवसायीकरण होता जा रहा है।आज बडे पूंजीपतियों के हाथों मीडिया की लगाम है। जहां फायदा मिलता है वैसा ही खबर बनता है। ये जनता पर क्या असर डालेगी इससे मतलब नही रह जाता है। अभी बिगत दिनों दशहरा के मौके पर पश्चिम बंगाल में दो संप्रदायों के बीच तनाव फैल गया। जोकि धीरे

अखिलेश यादव का राजनीति में नया अवतार!

SURYA PARKASH SINGH-sp-singh १७ नवम्बर के बाद नयी पार्टी की घोषणा तय है … मैंने यह बात १५ दिन पहले ही कह दिया था। यह आज अंदर की बात लिख रहा हूँ…विश्वास करें। अखिलेश यादव सपा का असली चुनावी फ़ेस है। मुलायम या शिवपाल का समय जा चुका है, इनके पास क्रिमिनल तत्वों के सिवाय कुछ नही है। सपा के ख़िलाफ़ anti-incumbency फ़ैक्टर इतना ज़बरदस्त है कि इनकी सत्ता में वपिसी असम्भव है। भ्रष्टाचार, अनाचार से जनता त्रस्त है। परंतु यदि अखिलेश नयी पार्टी बनाते हैं तो भाजपा के लिए एक मुसीबत खड़ा होना लाज़मी है। अखिलेश आज सपा में अलग थलग है और एक बेबस व बेचारे की भूमिका में है। सपा में अब चाचा व भतीजे का एक साथ रहना असम्भव है।शिवपाल आज अपनी संगठन में पकड़ की बात करते है और बाहरी लोग यह मानते भी है। लेकिन सच यह है कि अखिलेश के फ़ेस के बिना अब सपा सत्ता में वापसी नही कर सकती। अखिलेश को यदि हीरो बनना है और अपनी अलग पहचान बनानी है तो यह सही समय है कि सपा व अपने दाग़ी परिवार को लात मारकर नयी पहचान बनाए .. नयी पार्टी बनायें…..और वे ऐसा ही करने जा रहे हैं। मुलायम के बाद वैसे भी चाचा व मुलायम का नया परिवार अखि

तलाक….तलाक…..तलाक..एक देश दो कानून !

देश में सामाजिक तौर समानता के अधिकार से सरोकार रखने वाला एक और मुद्दा गरर्माया है। ट्रिपल तलाक को लेकर देश में बडी बहस का रूप ले लिया है। इस इसकी शुरूआत सुप्रीम कोर्ट में दायर शायराबानों केस से हुई है। मुसलमानों के शरीयत के अनुसार ट्रिपल तलाक पूरी तरह से जायज है। इसे लेकर पहले भी काफी बखेडा हो चुका हैं 1984 में शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पीडिता को मुआवजा देने की बात की गई थी। लेकिन तत्कालीन राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में विधेयक लाकर पलटने का कार्य किया गया था, जिसका मुस्लिम महिलाओं पर विपरीत प्रभाव पडा था। परन्तु मुस्लिम वोटों के लिए ये कृत्य किया गया था। अब एक बार फिर देश में ट्रिपल तलाक को लेकर बडी बहस चल पडी है। इतना ही नही देश के आन्ध्रप्रेश, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु,आदि प्रदेशों के 50 हजार से अधिक मुस्लिम महिलाओं और पुरूषों ने हस्ताक्षरयुक्त हलफनामा कोर्ट में पेश किया कि ट्रिपल तलाक को हटाया जाय इससे महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को रोका जा सके। भारत सरकार ने भी बीते सात अक्टूबर को सुप्रीम को

काश ! इन्हे भी समझाए कोई.......

उरी घटनाओं को लेकर देश की जनभावना जिस प्रकार उद्देलित हुई शायद कभी हुई होगी। 10 दिनों के अन्दर जिस प्रकार सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के कैंप पर सर्जिकल स्ट्राईक को अंजाम दिया काबिले तारीफ की बात रही। इस कार्यवाही में सेना के साथ साथ खुफिया एजेंसियों और केन्द्र की सरकार का भी अहम रोल रहा। जिसकी चारों ओर तारीफ मिली ,इतना ही नही देश में ही नहीं विदेशों में इस कदम की प्रशंसा हुई। भारत की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ किया ओर जय के नारे भी लगाये। इससे अति उत्साहित भाजपा कार्यकत्र्ताओं ने सेना व मोदी की सर्जिकल स्ट्राईक के साथ चित्रण करते हुए होल्डिंग लगा दी । फिर क्या था अन्य दलों में तूफान आ गया। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के नेता अनाप शनाप बयान देने लगे जैसे लगा कि इनका संतुलन ही बिगड गया। अरविंद केजरीवाल, संजय निरूपम ने सर्जिकल स्ट्राईक के सबूत तक मांग डाले। तो राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार को सेना के खून की दलाली करने वाली सरकार बना डाला। जिसकी चारो तरफ निंदा की जा रही है। इन्हे ये नही पता कि ये क्या बक रहे हैं। एक प्रकार से पाकिस्तान की सरकार के झूइे दावों क

नवरात्रि के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनायें

लाल रंग की चुनरी से सजा माँ का दरबार नन्हे नन्हे क़दमों से,माँ आये आपके द्वार मुबारक हो आपको नवरात्री का त्योहार… “चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है”… भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली, उनके दुखों को हरने वाली, उनकी दिक्कतों को खत्म करने वाली, उन्हें संसार की सभी खुशियां प्रदान करने वाली ‘शेरा वाली माता’, नवरात्रि के शुभ अवसर पर लोकदस्तक परिवार की ओर हार्दिक शुभकामनायें जय माता दी