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ओह्ह... डेमोक्रेसी में ये कैसी पॉलिटिक्स....!

विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में वर्तमान समय में राजनीति का बड़ा ही  अजीब स्वरूप देखने को मिला जो शायद अब तक पहले नहीं देखने को  पहले नहीं देखने को मिला था। मैं ही क्या भारत का हर जागरूक नागरिक राजनीति पर टिप्पणी करने में निशब्द हो चला हैं,हतप्रभ है। मन में अनेक सवाल उठ रहे हैं! क्या आज के  राजनीतिज्ञ राजनीति  की परिभाषा ही भूल गए हैं या फिर राजनीति की दिशा  को दूसरी तरफ मोड़ने का कुत्सित प्रयास तो नही हो रहा है! या फिर जानबूझकर कर ऐसा किया जा रहा है। अगर ऐसा है तो लोकतांत्रिक देश व उसकी व्यवस्था के लिए खतरा है। इससे हमें सचेत रहने की आवश्यकता है। राजनीति दो शब्दों से मिलकर बना राज +नीति। राज का अर्थ है कि शासन करना तथा  नीति का अर्थ है किसी विशेष उद्देश्य से किसी कार्य को करना यानी कि नीति के अनुसार  कार्य करना वर्तमान समय में  राजनेताओं ने राजनीति का मायने ही बदल कर रख दिया है। राज का मतलब शासन करना तो सही लेकिन उनकी नीति समाज को सामाजिक व आर्थिक स्तर पर ऊंचा उठाने के  बजाय अब स्वयं को ऊपर उठाने में लगे हुए हैं अगर इसे डर्टी पॉलिटिक्स   कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । इन्हे

मुखौटों में छिपी है बॉलीवुड----!

  लाख छुपाओ छुप न सकेगा  राज हो कितना गहरा लाख छुपाओ छुप न सकेगा राज हो कितना गहरा दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा .........उक्त पंक्तियां 1962 में बनी देवानन्द फ़िल्म असली नकली का गीत है जिसे लता मंगेशकर जी ने गाया था। इसके बोल आज पूरी तरह से वहीं चरितार्थ हो रही है ,जहां ये फ़िल्म बनी थी। बॉलीवुड का अब NCB नकली मुखौटे उतारने लगे हैं। लोगों के सपनों को साकार करने वाली लाखों के हाथों में रोजगार देने वाली दुनिया में अलग पहचान रखने वाली रखने वाली अलग पहचान रखने वाली रखने वाली समाज को नई दिशा देने वाली बॉलीवुड की पहचान अलग ही दिशा में हो रही है बॉलीवुड का जो सच निकल के आ आ रहा है ,बहुत ही विस्मयकारी और दुखदायी है। अब बॉलीवुड को ड्रग बॉलीवुड के नाम से मीडिया में पहचान बन गई है जो कि काफी दुःखद बात है। एक----दो----तीन--- नहीं कई चेहरों वाली बॉलीवुड है । एक-एक करके बेनकाब भी हो रहें हैं। आज NCB  की इस कार्रवाई से बॉलीवुड में हर तरफ हड़कंप मचा हुआ छोटी सी बड़ी मछलियां एनसीबी की जाल में फंस रही है छोटे से बड़े एक्टर डायरेक्टर प्रोड्यूसर भी फस रहे हैं आज ड्रग के इस रैकेट में जिस प्रका

अपनो के बीच हिंदी बनी दोयम दर्जे की भाषा !

  हिंदी दिवस पर विशेष---  जिस देश में हिंदी के लिए 'दो दबाएं' सुनना पड़ता है और 90% लोग अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं..जहाँ देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस और पीसीएस में लगातार हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ हो रहा अन्याय और लगातार उनके गिरते हुए परिणाम लेकिन फिर भी सरकार के द्वारा हिंदी भाषा को शिखर पर ले जाने का जुमला।। उस देश को हिंदी_दिवस की शुभकामनाएं उपरोक्त उद्गगार सिविल सेवा की तैयारी कर रहे एक प्रतियोगी की है। इन वाक्यों में उन सभी हिंदी माध्यम में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों की है । जो हिन्दी साहित्य की दुर्दशा को बयां कर रहा है। विगत दो-तीन वर्षों के सिविल सेवा के परिणाम ने हिंदी माध्यम के छात्रों को हिलाकर रख दिया है। किस तरह अंग्रेजियत हावी हो रही है इन परीक्षाओं जिनमें UPSC व UPPCS शामिल है इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। हाल ही में दो दिन पूर्व UPPCS की टॉप रैंकिंग में हिन्दी माध्यम वाले 100 के बाहर ही जगह बना पाए । जो कभी टॉप रैंकिंग में अधिकांश हिंदी माध्यम के छात्र सफल होते थे । लेकिन अब ऐसा नही है। आज लाखों हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों के भव

कोरोना से कंगना तक महाराष्ट्र सरकार का एक्शन

जब राजनीति अपना रंग बदलती है,देश का संविधान आहत होता है। सत्ता पर बैठे लोग शक्ति का प्रयोग समाज के हित में ना होकर बदले की भावना से किसी विशेष वर्ग या व्यक्ति पर करता है, तब समाज व संविधान दोनों को चोट पहुंचती है । इसका जीता जागता उदाहरण मौजूदा महाराष्ट्र की उद्धव सरकार   है।  ये वही सरकार है , जो कोरोना जैसी महामारी को नहीं हरा सकी। कंगना रनौत को हराने में जुट गई है। इसी कड़ी में आज बीएमसी ने कंगना रनौत कंगना रनौत के मुंबई के पालहिल में स्थित मणिकर्णिका फिल्म्स के ऑफिस पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ किया । लगातार दो घंटे तक अभियान में बुलडोजर व 50 से अधिक कर्मचारियों का दस्ता जुटा हुआ था। जब मुंबई हाईकोर्ट के स्टे मिलने के बाद ही रुका, तब तक 48 करोड़ के बने शानदार ऑफिस तहस नहस हो चुका था।  बीएमसी के इस कृत्य की हर तरफ निंदा हो रही है। ट्विटर अकाउंट पर # DeathOfDemocracy  माध्यम से लाखों लोगों ने नाराजगी जताई है। कौन है कंगना रनौत जी हां अब ये जानना जरूरी है कि जिस कंगना से महाराष्ट्र सरकार का विवाद छिड़ा है आखिर कौन है ये किरदार । कंगना रनौत बॉलीवुड जगत की जानी-मानी फिल्म स

जरा कोई मेरी भी सुनो

  विश्व पटल पर महाशक्ति के रूप में उभरने वाला भारत देश   आज पूरे विश्व में अपना लोहा मनवा रहा है। विश्व में कोई भी देश इस स्थिति में नहीं है कि भारत देश   की अनदेखी कर सकता हो। हर क्षेत्र में   भारत ने नया आयाम स्थापित किया है। देश की मोदी सरकार अनेक कार्यकलापों के कारण हमेशा में चर्चा में रहती है। इस सरकार   के कार्यकाल में तीन तलाक ,   धारा 370,   राम मंदिर निर्माण जैसे ज्वलंत मुद्दों का भी निस्तारण हुआ है। 2014 में युवाओं ने मोदी सरकार को इस उम्मीद से गद्दी पर बैठाया था   कि घटते रोजगार के अवसरों को बढ़ाया जाए , नौकरियां उपलब्ध कराई जाए जिससे बेरोजगार युवाओं के हाथों में रोजगार मिले। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा आज स्थित उलट है , रोजगार मिलने के बजाय रोजगार भी बेरोजगार हो रहे हैं। इसे लेकर पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सोशल साइटों पर इसका असर दिखने लगा है। इसलिए सरकार को इस ज्‍वलंत मुद्दे को अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। सरकार भले ही कोरोना वायरस जैसी महामारी का बहाना बनाएं । लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद से ही जिस प्रकार सरकारी नौकरियों की घटती संख्या

असफलता में ही सफलता की कुंजी

मानव जीवन में सफलता और असफलता एक सिक्के के दो पहलू के समान होते हैं । जिससे हर मनुष्य को अपने जीवन काल रूबरू होना पड़ता है । हर मनुष्य का जीवन में एक मुकाम पाने के लिए सुंदर सपना गढ़ता है,उसे पाने के लिए हर प्रयास करता है । जो इस मुकाम को पाता है वही सफल कहलाता है,जो नहीं पाता है वह असफल कहलाता है ।  कभी-कभी  मनुष्य अपनी पहली ही असफलता में हार मान लेता है और उसका मन इतना कमजोर हो जाता है कि उसे लगता है कि सारा जीवन अब खत्म हो गया है । यहां तक की आत्महत्या तक कर बैठता है ।  यह सिर्फ  उसकी नाकाम सोच भर है,एक कहावत है कि मन के  हारे हार है,मन के जीते जीत है । लेकिन  उसे पता होना चाहिये कि उसकी असफलता ही उसके सफलता की कुंजी है और उसके सपनों के मुकाम पर पहुंचने की पहली सीढ़ी होती है । इसलिए मनुष्य को कभी हार मानना नहीं चाहिए क्योंकि सकारात्मक सोच से ही जीत है , और नकारात्मक सोच से ही हार होती  है । अब हम आपको एक छोटी सी कहानी सुनाते हैं जिसमें एक छोटी सी चींटी अनाज के दाने के साथ एक दीवार पर चढ़ने लगती है,लेकिन  वो गिर जाती है ,जब दोबारा चढ़ती है ,फिर गिर जाती है,लेकिन वो हार नहीं मानती और

कोरोना वायरस के कहर में मजबूर है इंसान

देख तेरे संसार की क्या हालत हो गई भगवान , कितना बदल गया इंसान...... उक्त गीत की पंक्तियां महान कवि व गीतकार प्रदीप जी ने दशकों पहले 1954 में नास्तिक फिल्म के लिए   लिखा था। आज कोरोना काल में में पूरी तरह फिट बैठ रही है । जहां   विश्व जगत अपने अपने देश की तरक्की व   खुशहाली के लिए तरह-तरह के सपने देख रहे थे कि अचानक इस वैश्विक महामारी ने विश्व की तस्वीर ही बदल कर की तस्वीर ही बदल कर रख दी । कोरोना कोविड 19 साम्यवादी देश चीन से निकलकर पूरे विश्व में पांव पसार लिया। लोग इस संक्रमण से ग्रसित होने लगे हजारों की संख्या में लोग मरने लगे। आज भी पूरे विश्व में 40 लाख से अधिक लोग इस संक्रमण का शिकार हो चुके हैं तीन लाख से अधिक की मौत हो गई है। 193 देशों में वायरस ने अपने पांव पूरी तरह पसार चुका है।आज ना तो इसकी दवा है ना ही कोई दुआ काम आ रही है । हर तरफ सड़कों पर सन्नाटा फैला हुआ है आज वह मानव जो अपने को ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ निर्माण बताता था और अपनी ताकतों का दम भरता था । आज वह एक वायरस से जूझ रहा है , विश्व की महा शक्तिशाली शक्तियां अमेरिका , फ्रांस , चाइना ,

देश व समाज के प्रति दायित्व आपका भी......!

कोरोना वायरस को रोकने के लिए देश में लॉक डाउन कर दिया गया, जिससे लोग अपने घरों में रहें, अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करने का मौका मिले, लेकिन बहुत सारे प्रवासी मजदूर जो भरण पोषण के लिए अपने घर से हज़ारों किलोमीटर दूर जाते हैं वो आज भी उस इंतजार में है कि घर कब जाने को मिलेगा? बहुत सारे मजदूरों को सरकार के द्वारा उनके गंतव्य स्थान तक भेजा गया और आगे यही आशा है कि उनको भेजा जाएगा; लेकिन बहुत सारे प्रश्न जो मन में कौंधते है जैसे- १ कहा जाता है समय के साथ परिवर्तन बहुत आवश्यक है जो होना भी चाहिये लेकिन क्या उसके साथ मनोवृत्ति को संकीर्ण कर लेना भी आवश्यक है? जो आज इस व्यथित समाज में स्पष्ट रूप से दिख रहा है। २ समाज में एक बड़ा वर्ग जो सक्षम है कि अपने आसपास रहने वाले गरीब परिवार को भोजन करा सके और उसमें से कुछ लोग यथासंभव प्रयास कर भी रहे है लेकिन जो अपने परिवार के चारदीवारी में कैद हो कर विलासिता के जीवन व्यतीत कर रहे हैं उनके मन में ये किंचित मात्र नहीं आता कि हमें भी थोड़ा सहयोग देना चाहिए लेकिन उनके पास इसका भी जवाब होता है कि हम अपने टैक्स को सही समय पर देते हैं और सरकार से जा

द्वापर कालीन है दतेहरेश्वर धाम

 उत्‍तर प्रदेश के अमेठी जनपद के  तिलोई क्षेत्र के सेमरौता कस्बे के निकट रामपुर पंवांरा गाँव में हैदरगढ़ सेमरौता मार्ग पर स्थित दतेहरेश्वर शिव मंदिर पांडव कालीन बताया जाता है ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञात वास के दौरान परिवार के साथ यहीं पर भगवान भोले नाथ की पूजा की थी ।    अज्ञात वास के दौरान पांडवों ने की थी पूजा क्षेत्र के बहु प्रतिष्ठित मंदिरों में शुमार होने वाले दतेहरेष्वर शिव मंदिर के बारे में स्थानीय स्तर पर कई कथायें प्रचलित हैं। धरातल से लगभग बारह फिट की ऊँचाई पर बने इस शिव मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद शिव जी के लिंग के बारे में मान्यता है कि द्वापर युग के दौरान जब पांडव राजा विराट के यहाँ अज्ञात वास बिताने के लिये शरण लिये थे।तो उसी समय महाशिवरात्रि का पर्व पड़ गया तो यहीं पर लिंग स्थापित कर परिवार सभी पांडवों ने शिव जी को जलाभिषेक कर पूजा की थी ।समय बीतने के साथ ही लिंग अदृश्य हो गया था।समय बीतता गया और मुगल काल के दौरान एक मुस्लिम आक्रांता ने खजाने के लालच में इस स्थान पर मौजूद एक विशालकाय टीले में खजाना मौजूद होने की जानकारी होने पर टीले की खुदाई

HAPPY NEW YEAR-2020

प्रारंभ प्रगति का परिचायक बनें उत्तम स्वास्थ्य एवं समृद्ध जीवन की कामनाओं नवीन के साथ सभी ब्लॉग पाठकों को  वर्ष २०२० की हार्दिक शुभकामनायें ।