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अगस्त, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कश्मीरियत,इंसानियत,जम्हूरियत की नीति सुधारेगी कश्मीर के हालात......!

कश्मीरियत,इंसानियत,जम्हूरियत की नीति कश्मीर में हिंसा को रोक पाने में कितनी सफल होगी। ये तो आने वाले वक्त में पता चलेगा। कश्मीर के हालात के जिम्मेदार आज भी अशांति फैलाने में कोई कोर कसर नही छोड रहे हैं। 50 दिन से अधिक हो गये हैं लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। आज तक वहां कांग्रेस के अतिरिक्त क्षेत्रीय दलों की सरकारें रही हैं।स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को नरक में तब्दील करने की नापाक कोशिश पडोसी मुल्क पाकिस्तान दशकों से करता है आया। हमेशा कश्मीर मुद्दे का अंर्राष्ट्रीयकरण करने से बाज नही आता है। लेकिन जब इसे इसमें सफलता नही मिलती दिखी,तब इसने छदृम नीति अपनायी और अपने यहां आतंकियो ट्रेनिंग देकर हिंसा फैलाने के लिए कश्मीर की सीमा में घुसपैठ कराने लगा। और कश्मीर के अलगाववादियों के सुर में सुर मिलाने लगा। इसी कडी का नतीजा है कि आज अलगाववादियों के साथ मिलकर कश्मीर के युवाओं को भडकाने का काम किया जा रहा है। दो माह बीतने को है अभी कश्मीर के हालात सुधर नही रहे हैं। ये वाकये कोई नये नही हैं इससे पहले भी वहां के हालात बिगड चुके हैं लेकिन इस बार माहौल अलग है क्योंकि सेना पर जो पत्थर फेंके जा

भारत की विदेश नीति का विदेशी पटल पर असर

केन्द्र सरकार की विदेश नीति से विदेशी पटल पर भारत धाक बनती दिख रही है। विशेष कर पश्चिमी पूर्ब के देशों में इसका असर दिख रहा है। 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को लेकर जिस तरह दृढता पूर्वक विरोध जताया और विश्व शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी है। इससे पडोसी पाकिस्तान सहित आतंकी संगठनो को करारा झटका लगा है। बलोचिस्तान व पीओके के मुद्दे पर भारत के रूख से पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया है। और उसकी मुसीबतें थमने का नाम नही ले रही है। संयुक्त राष्ट्र ने भी दो दिन पूर्व माना है कि पीओके में मानवाधिकार का जमकर हनन हो रहा है। बलोच प्रान्त में हालत ये है कि पाक का ध्वज जलाया जा रहा है तथा भारत का तिरंगा लहराया जा रहा है। प्रर्दशन के दौरान मोदी की तस्वीरें लेकर बलोच के नागरिक चल रहे हैं। इतना नही नही अरूणाचल प्रदेश में मिसाईलों की तैनाती व एयरबेज बनाने से सीमा की सुरक्षा मजबूत हुई है वहीं चीन के सीमा उलंघन से मुक्ति मिलेगी। चीन इससे अपनी सीमा में बंध चुका है। भारत की अर्थ व्यवस्था विश्व में 7वें नम्बर आ चुकी है। आज भारत से अफगानिस्तान, इराक के कुर्दों सहित

बॉलीवुड के स्टार गीतकार और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर सम्मान समारोह का आयोजन

अमेठी। शनिवार को राजर्षि रणञ्जय सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नाॅलाजी के कैम्पस मे बॉलीवुड के स्टार गीतकार और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर के लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। छात्रों के बीच अपने को पाकर मनोज मुंतशिर अपने पुरानी यादों मे खो गए। अमेठी जनपद के गौरीगंज मे जन्मे मनोज शुक्ला आज कामयाबी के बुलंदियों पर हैं और फिल्म जगत मे अपने लिए अलग पहचान बना लिया है। ‘एक विलेन’ फिल्म के ‘गलियाँ तेरी गलियाँ’ गीत के लिए आईफा अवार्ड पाने वाले मुंतशिर जी पहले भी स्टार गिल्ड तथा इंडियन टेली अवार्ड जैसे कई अन्य अवार्ड पा चुके हैं। मनोज मुंतशिर ने बतौर गीतकार पहली फिल्म ‘दी ग्रेट इंडियन बटर फ्लाइ’ किया तथा बाहुबली जैसे सुपर हिट फिल्मो मे संवाद लेखन का कार्य किया। दर्जनो फिल्मों के गीत लिख चुके मुंतशिर जी ने अपने प्रशंशकों को पीके, कपूर एंड संस, वजीर, जय गंगाजल, राकी हैंडसम, रंग रसिया, बेबी, दो दूनी चार जैसी हिट तथा लोकप्रिय फिल्में दीं। अभी 12 अगस्त को रिलीज अक्षय कुमार की फिल्म ‘रुशतम’ का सुपर हिट गीत ‘तेरे संग यारा खुशरंग बहरा’ के बोल भी मुंतशिर जी के दिये हुये है। मुंतशिर जी के सम

भारतीय कामगारों के लिए गहरी खाई बनते खाड़ी देश

सऊदी अरब में सैकड़ों भारतीय कामगार दाने-दाने को मोहताज हो गए. आर्थिक मंदी के कारण कई कंपनियों ने हजारों कामगारों को नौकरी से बाहर निकाल दिया. महीनों से वेतन बंद होने के कारण उनकी भुखमरी जैसी स्थिति पैदा हो गई. जेद्दा में इस तरह के 2,450 श्रमिकों के भारतीय वाणिज्य दूतावास की ओर से भोजन बांटे जाने के बाद यह खुलासा हुआ कि सऊदी की ओगर कंपनी इन कामगारों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं दे रही थी. इस एक कंपनी के 50 हजार कर्मचारियों में से करीब चार हजार कर्मचारी भारतीय हैं. उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब में करीब 30 लाख भारतीय प्रवासी हैं, जबकि करीब आठ लाख भारतीय कुवैत में हैं, जिनमें अधिकांश कारखानों में काम करने वाले कामगार हैं. भारतीय दूतावासों को भारतीय कामगारों की तरफ से जो शिकायतें मिल रही हैं, वे आश्चर्यजनक हैं. पिछले तीन साल में खाड़ी के नौ देशों के बारे में 55 हजार 119 कामगारों की शिकायत मिली हैं. इनमें से 87 फीसदी शिकायतें छह खाड़ी देशों से सम्बद्ध हैं. इनमें आधे 13 हजार 624 कतर और 11 हजार 195 कामगार सऊदी अरब के हैं. मलेशिया से 6 हजार 346 कामगारों की शिकायतें मिली हैं. हैरत का आंकड़ा यह भी है

फंस गए भारतीय कामगार, काम आई भारत सरकार

सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में नौकरी करने गए कामगारों को भी नियोक्ता कंपनियों की प्रताड़ना से उबारने का बीड़ा भी भारत सरकार ने ही उठाया. यह जिम्मेदारी भी जनरल वीके सिंह ने ही संभाली और सऊदी अरब सरकार से बात करके समस्या का हल निकाला. जनरल की बातों से प्रभावित सऊदी अरब के शाह ने भी सरकार को भारतीय कामगारों की समस्या का त्वरित हल ढूंढ़ने का निर्देश दिया है. सऊदी अरब की नियोक्ता कंपनियों ने 7,700 कामगारों को नौकरी से निकाल दिया था. भारतीय कामगारों को विभिन्न शिविरों में रखा गया था. पहले तो कंपनियां उनका खाना दे रही थीं, लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल और जनरल वीके सिंह की सऊदी अरब के श्रम और सामाजिक विकास मंत्री मुफरेज अल हकबानी से बातचीत के बाद इसका हल निकला. सऊदी सरकार ने कामगारों के खाने की व्यवस्था की. कच्चे तेल की कीमतें घटने और सऊदी अरब की सरकार द्वारा खर्चों में कटौती करने के कारण खाड़ी देश की अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार हो गई है, जिससे हजारों भारतीयों की नौकरी चली गई. सऊदी गए विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने वहां के श्रम मंत्री से आग्रह किया कि

सियासत का जनरल वीके सिंह

सेना से लेकर सियासत तक मोर्चे पर डटे रहने वाले योद्धा साबित हो रहे हैं पूर्व सेनाध्यक्ष और मौजूदा विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह. जनरल वीके सिंह युद्धग्रस्त, हिंसाग्रस्त और समस्याग्रस्त क्षेत्रों से भारतीयों को सुरक्षित निकाल कर लाने के तमाम सफल ऑपरेशनों के नायक के बतौर उभर कर सामने आए हैं. लीबिया हो या इराक, यमन हो या सूडान, यूक्रेन हो या सऊदी अरब, जहां भी भारतीय फंसे, उन्हें वहां से सुरक्षित निकाल कर भारत पहुंचाने की जिम्मेदारी जनरल वीके सिंह को ही दी गई और उन्होंने भी खतरे और जोखिम से भरी स्थितियों में सैन्य कुशलता और रणनीति का इस्तेमाल कर भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. राजनीति के गलियारे में वीके सिंह को अब सियासत का जनरल कहा जाने लगा है. युद्ध और हिंसाग्रस्त देशों से अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल ले आने से भारतवर्ष की दुनियाभर में ऐसी साख बनी कि अमेरिका, फ्रांस समेत 40 विभिन्न देशों ने हिंसाग्रस्त देशों में फंसे अपने नागरिकों को निकालने में जनरल वीके सिंह से मदद मांगी और भारत सरकार के प्रतिनिधि के बतौर उन्होंने भारतीयों के साथ-साथ विदेशी नागरिकों को भी सुरक्ष