सऊदी अरब में सैकड़ों भारतीय कामगार दाने-दाने को मोहताज हो गए. आर्थिक मंदी के कारण कई कंपनियों ने हजारों कामगारों को नौकरी से बाहर निकाल दिया. महीनों से वेतन बंद होने के कारण उनकी भुखमरी जैसी स्थिति पैदा हो गई. जेद्दा में इस तरह के 2,450 श्रमिकों के भारतीय वाणिज्य दूतावास की ओर से भोजन बांटे जाने के बाद यह खुलासा हुआ कि सऊदी की ओगर कंपनी इन कामगारों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं दे रही थी. इस एक कंपनी के 50 हजार कर्मचारियों में से करीब चार हजार कर्मचारी भारतीय हैं. उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब में करीब 30 लाख भारतीय प्रवासी हैं, जबकि करीब आठ लाख भारतीय कुवैत में हैं, जिनमें अधिकांश कारखानों में काम करने वाले कामगार हैं. भारतीय दूतावासों को भारतीय कामगारों की तरफ से जो शिकायतें मिल रही हैं, वे आश्चर्यजनक हैं. पिछले तीन साल में खाड़ी के नौ देशों के बारे में 55 हजार 119 कामगारों की शिकायत मिली हैं. इनमें से 87 फीसदी शिकायतें छह खाड़ी देशों से सम्बद्ध हैं. इनमें आधे 13 हजार 624 कतर और 11 हजार 195 कामगार सऊदी अरब के हैं. मलेशिया से 6 हजार 346 कामगारों की शिकायतें मिली हैं. हैरत का आंकड़ा यह भी है कि सऊदी अरब की जेलों में 1697 भारतीय कामगार बंद हैं. इसी तरह संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में 1143 भारतीय कामगार में हैं. यह आंकड़ा किसी एनजीओ या किसी निजी संस्था का नहीं है. यह तथ्य विदेश मंत्रालय द्वारा 20 जुलाई 2016 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था. अमरिका में रह रहे भारतीयों की तुलना में सऊदी अरब या कुवैत में रहने वाले भारतीयों की खराब काम करने की स्थिति के कारण उनके मौत का जोखिम 10 गुना अधिक है. इस बारे में इंडिया-स्पेंड की रिपोर्ट (अगस्त 2015) बताती है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में प्रति एक लाख भारतीय कामगारों में से 65 से 78 कामगार विभिन्न कारणों से मर जाते हैं. छह खाड़ी देशों में औसतन हर वर्ष 69 भारतीयों की मृत्यु हो जाती है. दुनिया के बाकी हिस्सों में यह आंकड़ा 26.5 है, यानि खाड़ी देशों से करीब 60 फीसदी कम.
ऐसे थे मुंबई वाले और वैसे थे केरल वाले
वह मुंबई का रहने वाला मुस्लिम युवक था जिसने सुरक्षित बाहर निकलने के बाद भारतीय विमान पर सवार होते ही भारत माता की जय का नारा लगाना शुरू किया था. उसके बाद तो विमान पर सवार सारे लोगों ने नारे लगाए. वह युवक मुंबई का रहने वाला है. जब वह विमान पर सवार हुआ, उसकी आंखों से आंसू झर रहे थे. जनरल ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा. उसने कहा, हम धन कमाने इन देशों में आते हैं. अपने देश की तरफ ध्यान भी नहीं देते. कोई टैक्स नहीं देते. लेकिन आज आफत में फंसने पर हमें भारत सरकार ने ही बचाया. हम जीवन भर इस उपकार को नहीं भूलेंगे. ऐसा कह कर उसने भारत माता की जय का नारा लगाना शुरू कर दिया. और दूसरी तरफ केरल के सज्जन थे बेबी जॉन. रेस्क्यु ऑपरेशन की प्रक्रियाओं में बाधा डालते और खुद को केरल के मुख्यमंत्री का आदमी बताते. क्रूज लाइनर से जाने के बजाय हवाई जहाज से वापस लौटने की जिद करते. आखिरकार जनरल वीके सिंह ने केरल के मुख्यमंत्री से सम्पर्क साधा. मुख्यमंत्री ने बेबी जॉन को खारिज कर दिया. इसके बाद जनरल को बेबी जॉन के साथ सैन्य अधिकारी की तरह ही सख्ती से पेश आना पड़ा. उसके बाद जॉन सही हो गए और जहाज से ही भारत लौटे.
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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