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काश .......कोई मेरी भी सुनता !

 




प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जा रहा है,क्योंकि इसी दिन राक्षसराज रावण का अंत करके लंका की जनता को उस की प्रताड़ना से मुक्त करा कर अयोध्या लौटे थे I इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश व कुबेर की पूजा भी की जाती है और अपने-अपने घरों को दीप जलाकर सजाया जाता है I इस बार भी अयोध्या में 12 लाख दीप जलाकर योगी की उत्तर प्रदेश सरकार वर्ल्ड रिकार्ड बना रही है I यह एक अच्छी पहल है, होना भी चाहिए ,जिससे कि आने वाली पीढ़ियां हमारी संस्कृति को समझ सके, उन्हें जान सके I लेकिन देश भर में मनाये जा रहे दीपावली त्यौहार पर आर्थिक नीतियों में ग्रहण की तरह घेर रखा है I पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने जनता का दिवाला निकाल दिया है I विगत 02 साल में जहां कोरोना देश की नहीं आम जन के बजट को हिला कर रख दिया है I महंगाई बढ़ने लगी I अब जबकि कोरोना महामारी से लोग उबरने लगे हैं I देश की अर्थव्यवस्था सुधरने लगी है I लेकिन महंगाई पर अभी भी सरकार नियंत्रण करने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो पा रही है I इसी बीच पेट्रोलियम पदार्थों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है और यह अब शतक लगाकर पार हो चुका है I 2019 में पेट्रोल की कीमत करीब ₹65 था, डीजल ₹50 के करीब था I अक्टूबर 2021 आते-आते पेट्रोल और डीजल सेंचुरी बना डाला है I आज हर रोज 35 से 50 पैसे पेट्रोलियम पदार्थों में बढ़ोतरी जारी है I जिससे आमजन की हालत और पतली हो रही है I सरकार जहां एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है , वही इस पेट्रोल व डीजल ने उनकी आय को आधी ही कर दिया है I ढुलाई, जुताई सब महंगा हो गया है, यहां तक की रसायनिक उर्वरकों की भी कीमत में उछाल आ गया है I ऐसी परिस्थितियों में किसानों की आय कैसे दोगुनी होगी, एक बड़ा सवाल है ? वहीं मध्यमवर्गीय की हालत दिनोंदिन खस्ताहाल हो रही है I बजट बिगड़ चुका है, बहुत से लोग महामारी में नौकरी भी गवां चुके हैं I जनता की आवाज को कोई सुन नहीं रहा है I किस प्रकार पेट्रोल डीजल व रसोई गैस की महंगाई से कराह रही है, इस पर मरहम लगाने के बजाय राज्य हो या केंद्र की सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है I उन्हें सिर्फ अपने बजट व्यवस्था का ही ध्यान है और अपने तरीके से इस पर बयानबाजी कर रहे हैं और तर्क दे रहे हैं I अभी एक डिबेट में भाजपा के बड़े प्रवक्ता ने केंद्र सरकार का बचाव करते हुए गैर जिम्मेदाराना तर्क देते हुए कहा कि केंद्र सरकार तो 32% ही वैट लेती है, वहीं राज्य सरकारें भी 68 % तक वैट लेती हैं I कोई भी राज्य पेट्रोलियम पदार्थों कीमतें घटाने को नहीं तैयार है I केंद्र सरकार के ही आंकड़ों के अनुसार विगत 03 माह से जीएसटी से 100000 करोड़ से अधिक की इनकम सरकार को हो रही है I लेकिन जनता को कोई राहत नहीं मिल रही है I सरकार का कहना है कोरोना काल में हुई आर्थिक क्षति की पूर्ति करने और कोरोना वैक्सीन में खर्च किया जा रहा है I इस काल में वैक्सीन मुफ्त, राशन मुफ्त बांटा जा रहा है I इसे सत्ता दल अपनी उपलब्धि बता रहा है I राशन मुफ्त, वैक्सीन मुफ्त आखिर क्यों ? क्या जनता का बजट बिगाड़ कर ही मुफ्त योजनाएं चलेंगी ? 2014 के आम चुनाव में मोदी का वादा कहाँ गया जिसमें जीएसटी के तहत लाकर जनता को कम कीमत पर पेट्रोलियम उपलब्ध कराएंगे I एक देश एक टैक्स का क्या हुआ रोज ब रोज जनता का बजट पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़ते दामों से बिगड़ता जा रहा है I लेकिन इस पर कोई बोलने वाला नहीं है सत्ता दल एवं विपक्षियों के बीच सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप काही दौर चल रहा है केंद्र सरकार हो या फिर किसी भी दल का राज्यों में सरकारें हो सभी इसे लेकर चुप्पी साधे हुए हैं कांग्रेश वामपंथी आम आदमी पार्टी सपा बसपा सहित देश के सभी दलों के नेताओं के मुंह में पेट्रोलियम उत्पादों को लेकर दही जम गई है यह सभी सिर्फ वोट की राजनीति कर रहे हैं जनता का क्या हाल है इन से कोई लेना देना नहीं है इन्हें सिर्फ जिन्ना याद आ रहे हैं, किसानों का आंदोलन या फिर जाति धर्म की बातें याद आ रही है जैसे अनेक मुद्दे जो कि आमजन के लिए कोई सरोकार नहीं रख रहे हैं बढ़ती महंगाई से त्रस्त जनता के लिए इन विपक्षियों के पास सड़कों पर उतरने का समय ही नहीं मिल रहा है भाजपा मुक्त राशन खिला रही है कांग्रेश और 40% आरक्षण देख रही है स्कूटी दे रही है सारे दल राम-राम करने में जुटे हैं लेकिन राम की जनता का क्या हाल हो रहा है इसे इनसे कोई मतलब ही नहीं रह गया है महंगाई से जनता बेदम हो गई है आखिर इन परिस्थितियों में जनता का दीप तो जल रहे हैं लेकिन इनके जीवन में कैसे उजाला होगा इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है देश के कुछ प्रतिशत जनता 75000 करोड़ सोना खरीद रही है I वही गरीब जनता खेती बारी करने के लिए एक एक रुपए के लिए तरस रहा है जब वह 1 कुंटल धान भेजता है तब जाकर एक बीघा खेत की जुताई हो सकती है इसके साथ ही खाद उर्वरक बीज अलग से खरीदना पड़ रहा है क्योंकि औने-पौने में किसानों का धान बिक रहा है I सरकार भले ही समर्थन मूल्य जो भी रखा हो लेकिन खुले बाजारों में किसानों का धान ₹1200 से ₹1400 प्रति क्विंटल के बीच में बिक रहा है I जबकि 1 घंटे की जुताई 1200 से 1400 रुपए में हो रही है I इसलिए देश में आर्थिक दृष्टि से विभिन्न वर्ग श्रेणी में लोग जीवन-यापन कर रहे हैं I अगर सर्व समाज का ध्यान नहीं रखा गया परिस्थितियां और भयावह हो सकती हैं I इसका दोषी सिर्फ सरकार नहीं विपक्षी भी है जिसका दायित्व है कि सरकार की गलत नीतियों का सड़कों पर उतरकर पुरजोर विरोध किया जाए और जनता के हित में कार्य किया जाये I जनता .......मेरी कोई नहीं सुनता और मैं भी नहीं सुनूंगा I जल्द से जल्द इस मंहगाई डायन का नाश करना होगा तो पेट्रोलियम पदार्थों पर अंकुश लगाना ही होगा I फिलहाल एक खबर अच्छी जरूर मिली कि दीपावली की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 05 रुपए व डीज़ल 10 रुपये की एक्साइज ड्यूटी घटा कर जनता को थोड़ी राहत जरूर दिया है I फ़िलहाल भविष्य के लिए इस पर और अधिक गम्भीरता से समझने की जरूरत है I 

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