सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अक्तूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

किशोरों का बाल्यावस्था व प्रौढावस्था के बीच मचलता बचपन

 आज का किशोरावस्था एक नई दिशा व पहचान के लिये उत्सुक  होता है । जिसके चलते इस शारीरिक परिवर्तन काल में मन में तरह-तरह विचार आते रहते हैं । यह उम्र एक अवस्था से दूसरी अवस्था की ओर अग्रसर रहता है । इसलिए इस परिवर्तन काल में अच्छे बुरे की पहचान ही नहीं हो पाती है, और कभी अच्छे कभी गलत कदम उठा लेते हैं जिसके कारण मन में तनाव जैसी स्थिति आ जाती है। किशोरवस्था बुद्धि का विकास पूर्ण नही होता है, फिर भी ये कुछ कर गुजरने की जहमत उठाने में गुरेज नही करते हैं। जिससे अपनी एक पहचान बना सकें और चर्चा में रहें। इनके लिए हर प्रतिस्पर्धा में जीत आवश्यक है। हार इन्हें जरा भी पसंद नही हैं। हार का मतलब सीधे सुसाइड समझते हैं। जबकि हार से ही जीत की शुरुआत होती है,पर कौन इन्हें समझाये। ये अवस्था ही आवेशित, उग्र, आक्रमक होती है।इन्हें प्यार व शांत मन से समझाया जा सकता है। अब किशोरों की लाइफ पहले से काफी बदल चुकी है। ये शिक्षक, महान खिलाड़ी,राजनीतिक , आदि को अपना आदर्श मानते थे। लेकिन अब तो वीडियो गेम में मशगूल रहने वाले किशोरों को गेम में मौजूद कैरेक्टर को अपना हीरो मान रहे हैं।एक नई आर्टिफिशियल माइंड जन्म ल

दूसरों के घर लक्ष्मी के आगमन पर जलने वाले दीपक बनाने वाले खुद दो जून की रोटी के लिए मोहताज

बाज़ार में चाइना के सामानों के व्यापक फैलाव  होने के कारण कुम्हारो का पुश्तैनी व्यापार बंद होने के कगार पर है ।मिट्टी के दीए बनाने वाले खुद दो जून की रोटी के लिए  मोहताज हो रहे हैं दीपावली पर सैकड़ों दीये खरीदने वाले मात्र धन की देवी के पास ही दिखे  जलाते हैं मिट्टी से बने दीपक से दूसरो के घरों को रोशन करने वाले कुम्हारो के  घर में अंधेरा हो रहा है रोशनी का पर्व दीपावली का  आमतौर पर वही उत्सुकता से इंतजार करने वाले कुम्हार बढ़ती महंगाई और दिखते  की जगह बिजली से जगमगाने वाली  चाइनीज झालरों और बल्बो से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं सस्ते और आकर्षक होने का कारण पिछले कई सालों से दीपावली पर चाइनीज झालरों रंगीन मोमबत्ती होती हैं टिमटिमाते  बल्बों की खरीदारी की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ रहा है ग्रामीण शिल्पकारो का कहना है कि पहले हम लोग चार पांच महीने पहले से ही दीपावली पर बिकने वाले  दीया और भैया दूज पर बिकने वाले खिलौने बनाने में जुट जाते थे लेकिन अब वह बात नहीं रह गई कुछ दुकानों पर आज भी कुल्हडो  में चाय बिकती जिससे हम लोगों का व्यवसाय कुछ चल रहा है इसी वजह से हम लोगों की दाल रोटी चल

LOK DASTAK: दीपावली बिशेष...... एक दीप इन्हें भी समर्पित करें...

LOK DASTAK: दीपावली बिशेष...... एक दीप इन्हें भी समर्पित करें... : मां लक्ष्मी के पूजन के दीपावली के पर्व पर जहां लोग अपने अपने घरों व दुकानदारों पर साफ सफाई करते हुए मां के आगमन की तैयारी में जुटे हुए ...

दीपावली बिशेष...... एक दीप इन्हें भी समर्पित करें.....

मां लक्ष्मी के पूजन के दीपावली के पर्व पर जहां लोग अपने अपने घरों व दुकानदारों पर साफ सफाई करते हुए मां के आगमन की तैयारी में जुटे हुए हैं। साथ रंग रोगन व लाईटों से जगमगाने जा रहे हैं। वहीं जिला मुख्यालय गौरीगंज के ब्लाॅक मुख्यालय पर दो व्यक्ति ऐसे भी दिखे जो स्वतंत्रता सेनानी के समारक को सजाने में जुटे हुए दिखे। इसे देखकर संवाददाता के मन में कौतूहल जागा कि आखिर जब लोग अपने घरों व संस्थानों की सजावट में जुटे हुए हैं, तब ये व्यक्ति यहां क्या कर रहा है। जब पूंछा कि आप कौन है क्या कर रहे हैं! इस पर उस ब्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वे जिले के विकासखण्ड गौरीगंज के बासूपुर के प्रधान नरेन्द्र सिंह हैं। उन्होंने बताया कि कल मंगलवार को  जब हम विकासखण्ड मुख्यालय में इस रास्ते से आ रहे थे कि तभी देखा कि स्वतंत्रता सेनानियों का स्मारक स्थल पूर्ण रूप से गंदा पडा हुआ है। जबकि कि स्थल की दीवार से जुडा नगरपालिका का आफिस है औेर दर्जनों सफाई कर्मी आते हैं फिर भी ये पावन स्थल गंदा  और उपेक्षित पडा है। इसी पता चलता है कि नगर पालिका शहर में कितनी सफाई करती है। मुझे ये देख बहुत ही ग्लानि हुई

स्त्री,हमारी सोच और समाज

‌हमारी सोच से ही समाज की रूपरेखा तैयार होती है। कहने का मतलब ये है कि आप जिस नजरिये से समाज को देखते हैं, उस रूप में समाज दिखेगा। यानी आपके मन मष्तिष्क में चलने वाली फीचर ही पर सब कुछ निर्भर है। समाज में तो अच्छा बुरा सब कुछ है। अब आपको सोचना है कि अच्छे को अपनाया जाय फिर समाज की बुराइयों को अपनाना ठीक होगा,फैसला तो आपके मन पर है। महिलाओं के सशक्तिकरण कारण की बात करते हैं। लेकिन उनका सशक्तिकरण हमारे समाज को हजम नही हो पाता है। अगर घर की बहू सर्विस करने लगती हैं। तो लोग उसके बारे न जाने क्या सोचने लगते हैं।इतना ही नही चारित्रिक दोष का सर्टिफिकेट देने लगते हैं। जब उसके परिजन इन घटिया बातों को ध्यान नहीं देंगे , तब कहना शुरू करेंगे कि बहू कमाए तो घरवाले खाएँ। लेकिन जब तक वही बहू अपने मायके में बेटी बन कर कमाती तो कोई कहने वाला नही होगा। समाज में रहे रेपकांड  को पुरूष प्रधान समाज इसके लिए महिलाओं को ही दोषी माना जाता है।कम कपडे पहनना  ,अंगो का खुलापन इसका कारण मन जाता है।लेकिन जब 5साल से भी कम व 55 साल से अधिक महिलाओं के साथ रेप होना कम कपडे पहनना कारण है, कदापि ही नही है। ये विकृत मानसिक

क्या होगा इस पतित पावन देश का ..........!

मंथन..... कभी कभी देश की दशा व लोगों की सोच पर मंथन करता हूँ, मन द्रवित हो उठता है। जिस आजादी के लिए सौ वर्ष से भी अधिक संघर्ष करना पड़ा । लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी । तब जाकर देश आजाद हो सका । आज इसी आजादी का मजाक बनाया जा रहा है। हमारे राष्ट्रीय गीत ,राष्ट्रगान व राष्ट्र ध्वज को सांप्रदायिक नजरिये से देखने का काम हो रहा है। जिस ध्वज के तले अपनी जान न्यौछार करने वाले चाहे हिंदू रहे,मुस्लिम रहे या फिर सिख धर्म के रहे वो जाति- धर्म के नाम पर उनकी पहचान नहीं थी बल्कि एक भारतीय रूप में बलिदान किया था। ये उनका अपमान नही तो और क्या है। क्या हो रहा है हमारे संविधान ने देश की जनता को बोलने का मौलिक अधिकार दे दिया है तो इसका मतलब ये नही कि आप किसी को गाली देने लगो। राष्ट्र की अस्मिता से जुड़ी चीजों का अपमान करना शुरू कर दें,ये सही नही है। आज राष्ट्र भक्ति व राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को बताना पड़ेगा! इससे देश की दशा व सोच का पता चलता है।लेकिन मायने ये रखता कितने इसका समर्थन करते हैं।  जब हाथों में ध्वज ,जुबान में बन्देमातरम् का गीत लिए अंग्रेजों से लड़कर स्वतन्त्रता के दीवानों ने अपने प्रा

गांधी परिवार की कर्मभूमि पर सियासत....!

          ‌एक बार फिर अमेठी सुर्खियों में आ गया है। आना भी लाजिमी है ,क्योंकि राहुल गांधी को अपने ही घर में आने से  प्रशासन द्वारा रोका जा रहा था । ये मेरा नही कांग्रेस के नेताओं का का कहना है। इस माह की 04 तारीख को राहुल गांधी का अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करने जा रहे हैं। वही भाजपा सूत्रों के अनुसार आगामी 10 अक्टूबर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी अमेठी दौरे पर आ रहे हैं। इससे लगता है कि अमेठी की सियासत का पारा चढ़ना तय है। जिसकी तपन का असर देश की राजनीति में दिखना तय है। हो भी क्यों न, ये गांधी परिवार की कर्मभूमि जो है। कांग्रेस का आरोप रहता है कि जब से यूपीए की सरकार गई यहाँ से सारे प्रोजेक्ट हटा लिए गये।,चाहे वो मेगाफूड पार्क हो या फिर पेपर मिल रहा हो। उनका आरोप है कि बीजेपी अमेठी के विकास को ठप्प कर दिया है। उधर भाजपा नेताओं का जबाब है कि गांधी परिवार ने दशकों से अमेठी की जनता को छलने का कार्य किया है। जो भी प्रोजेक्ट की बात कांग्रेस कर रही है ,सिर्फ हवा हवाई साबित हुई है। कांग्रेस के जिला प्रवक्ता अनिल सिंह का कहना है कि भाजपा ने अ

बापू के देश में हकीकत स्वच्छ भारत की.......!

‌आज हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी 148वीं जयंती को राष्ट्रीय स्वच्छता दिवस के रूप में विगत तीन वर्षों से मना रहे है। आज  स्वच्छता दिवस की तीसरी वर्षगांठ हैै। गाँधी जयंती के 145वें वर्ष 02 अक्टूबर 2014 को देश के प्रधानमंत्री ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत किया था।   पूरे देश में इसे लेकर काफी उत्साह देखने को मिला। मुंबई में लोग सड़कों पर दौड़े। तो दिल्ली सहित देश के बिभिन्न भागों में लोग झाड़ू लेकर सड़कों, पार्को सहित सार्वजनिक स्थानों पर जमकर सफाई गीरी  की गई। प्रिंट मीडिया ने बड़े बड़े कॉलम लिखे ,सरकारों ने विज्ञापन के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया । इलेक्ट्रॉनिक चैनलों ने स्वच्छता पर कार्यक्रमों को ऑर्गेनाइज किया, जिसमें डिवेट के साथ इस क्षेत्र में अच्छे कार्य करने वालों को पुरस्कार भी दिए गए। जिसमें उपराष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री जैसी हस्तियों ने भाग लिया । राष्ट्रपति आज के दिन पोरबन्दर पहुंचे। भारत सरकार के इस अभियान में गांधी जी के 150वीं जयंती 02 अक्टूबर 2019 पर देश को करीब 1.20 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा है जिसमें 1.96लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इससे करीब 2.50