बाज़ार में चाइना के सामानों के व्यापक फैलाव होने के कारण कुम्हारो का पुश्तैनी व्यापार बंद होने के कगार पर है ।मिट्टी के दीए बनाने वाले खुद दो जून की रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं दीपावली पर सैकड़ों दीये खरीदने वाले मात्र धन की देवी के पास ही दिखे जलाते हैं मिट्टी से बने दीपक से दूसरो के घरों को रोशन करने वाले कुम्हारो के घर में
अंधेरा हो रहा है रोशनी का पर्व दीपावली का आमतौर पर वही उत्सुकता से इंतजार करने वाले कुम्हार बढ़ती महंगाई और दिखते की जगह बिजली से जगमगाने वाली चाइनीज झालरों और बल्बो से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं सस्ते और आकर्षक होने का कारण पिछले कई सालों से दीपावली पर चाइनीज झालरों रंगीन मोमबत्ती होती हैं टिमटिमाते बल्बों की खरीदारी की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ रहा है ग्रामीण शिल्पकारो का कहना है कि पहले हम लोग चार पांच महीने पहले से ही दीपावली पर बिकने वाले दीया और भैया दूज पर बिकने वाले खिलौने बनाने में जुट जाते थे लेकिन अब वह बात नहीं रह गई कुछ दुकानों पर आज भी कुल्हडो में चाय बिकती जिससे हम लोगों का व्यवसाय कुछ चल रहा है इसी वजह से हम लोगों की दाल रोटी चल रही है काफी परिवार पुश्तैनी पेशा बंद करके दूसरे व्यापार में लग गये है। दीपावली दियो का ही त्यौहार है ।भगवान राम जब बुराई के उपासक लंकेश रावण का अंत करके अयोध्या नगरी पहुंचे तो अयोध्या वासियों ने भगवान राम के आने और विजय की खुशी मे पूरे नगर को देश रोशन कर दिया तब से लेकर आज तक यह परंपरा चलती आ रही है उस परंपरा को अब विकास ने पीछे छोड दिया है । चाइनीज निर्मित झालर व बल्ब लोगों की पहली पसंद है । जिससे कुम्हार अब इस धन्धे को छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
@NEERAJ SINGH
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