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अमेठी में किस स्तर पर पहुंचेगी भाजपा व कांग्रेस की राजनीति

अमेठी। संसदीय क्षेत्र अमेठी में लोकसभा चुनाव के दरम्यान क्षेत्र मे ंशुरू हुई भाजपा और कांग्रेस की नूराकुश्ती किस हद तक जायेगी यह आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। गांधी नेहरू परिवार के गढ को ढहाने की नियत से भ1जापा ने यहां स्मृति इरानी को 2014 के चुनाव में उतार कर काफी कुछ हासिल करने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान यहां जन सभा पर सीधी लडाई में भाजपा को लाने में सफलता हासिल की। भले ही सीट भाजपा की झोली मे ंजाने से बच गई।  कडी मशक्कत के बाद कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी इस सीट को बचानें में सफल हुए। चुनाव के दरम्यान विरोध की प्रक्रिया जो शुरू हुई उसमें कहीं कहीं ओछी हरकत भी देखी गई। उसी दौरान आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कुमार विश्वास भी अमेठी से कांग्रेस के किले को उखाड फेंकने की कोशिश कर रहे थें।  कहीं-कहीं उनपर अंडे बरसाये गये। कहीं काली स्याही फेंकी गई तो जगह-जगह काले झंडे दिखाए गये। यह करतब कांग्रेसियों के द्वारा दिखाया गया। इसी कडी में स्मृति इरानी का भी पुरजोर विरोध हुआ। उन्हें भी काले झंडे दिखाए गये। प्रत्युत्तर में भाजयुमो कार्यकर्ताओं द्वारा

दोषियों के वीडियो की प्रामाणिकता पर सवाल उठाना गलत -जेएनयू प्रशासन

जेएनयू के जिस वीडियो पर विवाद हो रहा है, उसे यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार भूपिंदर जुत्शी ने सही बताया है. उन्होंने कहा कि दोषियों के वीडियो की प्रामाणिकता पर सवाल उठाना गलत है. क्योंकि रिकॉर्डिंग खुद जेएनयू प्रशासन ने कराई थी. पुलिस को सौंपे वीडियो, रिपोर्ट जुत्शी ने कहा, 'जब हमें पता चला कि अनुमति न होने के बावजूद अफजल गुरु को लेकर यह कार्यक्रम हो रहा है, तभी इसकी रिकॉर्डिंग के आदेश दे दिए गए थे. इसके साथ ही हमने इस घटना की एक रिपोर्ट भी तैयार की थी. यह रिपोर्ट और वीडियो दोनों हमने पुलिस को सौंप दिए हैं.' इसलिए आने दी कैंपस में पुलिस जुत्शी ने बताया कि जेएनयू प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति तब रद्द कर दी थी. जब पता चला कि आपत्तिजनक पर्चे बांटे जा रहे हैं. इसके बाद हमने अपनी टीम वहां भेजी थी. पुलिस को कैंपस में आने देना हमारी मजबूरी थी. क्योंकि पुलिस ने हमें जो चिट्ठी थी भेजी थी, इसमें साफ-साफ देशद्रोह का जिक्र था. पुलिस कार्रवाई पर हमारा जोर नहीं जुत्शी ने कहा कि ऐसे गंभीर आरोप के बाद भी अगर हम पुलिस को रोकते तो हम पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती थी. हमने अपनी जांच कर 8 छात्रों के ख

कंबल खूब बंटे, ठंडी फिर भी न गई गरीबों की, बीत गया मौसम हो गया घोटाला

मौसमी घोटाला........................... कंबल खूब बंटे, ठंडी फिर भी न गई गरीबों की, बीत गया मौसम हो गया घोटाला दोस्तों आपको अजीब लगा होगा कि बहुत घोटाले सुने हैं लेकिन ये घोटाला कौन सा है। आपको बता दे कि ये घोटाला मौसम के अनुसार ही होता है यही हकीकत है। ये प्रत्येक वर्ष आता आईये जरा इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं। इस मौसमी घोटाले का सम्बंध गरीबी से जुडा हुआ है। सर्दी का मौसम आ चुका है, जिन गरीबों के तन पे कपडा नही है उनको ठंड लगना लाजिमी है।इसके लिए उनके लिए गर्म कपडे का बंदोबस्त करना स्वाभाविक है। इसके लिए सरकार सहित बहुत सी स्वयं सेवी संस्थायें सक्रिय हो जाती है। गरीबों के बदन ढकने और उन्हे ठंड से राहत पहुंचाने के लिए जुट जाते हैं। लेकिन इनके पीछे बहुत ही बडा गोरख धंधा होता है जोकि गरीबों की आड में ये खेल खेला जाता है। अब जानिए ये कैसे होता है। पहले सरकार इमदाद के बारे में बात करते हैं जिसमें कम्बल बांटने के लिए प्रदेश सरकारें जिलों को धन आवंटित करती है जिन्हे जिले का प्रशासन कम्बल आपूर्ति के लिए बाकायदा टेण्डर निकालता है । सबसे कम रेट वाले को कम्बल आपर्ति के लिए नियुक्ति किया