सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आओ मनाएं संविधान दिवस

पूरे देश में  संविधान दिवस मनाया जा रहा है। सभी वर्ग के लोग संविधान के निर्माण दिवस पर अनेकों ने कार्यक्रम करके संविधान दिवस को मनाया गया। राजनीतिक पार्टियों ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी कर के संविधान की चर्चा करके इस दिवस को गौरवमयी बनाने का का प्रयास किया गया। प्रशासनिक स्तर हो या  फिर विद्यालयों में बच्चों द्वारा शपथ दिलाकर निबंध लेखन चित्रण जैसी प्रतियोगिताएं करके दिवस को मनाया गया। बताते चलें कि 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था और संविधान लागू 26 जनवरी 1950 को हुआ था। संविधान सभा में बनाने वाले 207 सदस्य थे इस संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी थे। इसलिए इन्हें भारत का संविधान निर्माता भी कहा जाता है । विश्व के सबसे बड़े संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था। भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को समिति की स्थापना हुई थी । जिसकी अध्यक्षता डॉ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में समिति गठित गठित की गई थी । 19 नवंबर 2015 को राजपत्र अधिसूचना के सहायता से

यूं ही नहीं कहा जाता इन्हें ‘रेडियो मैन’, ये है पूरी कहानी

सूचना क्रान्ती के इस युग में सदाबहार रेडियो अब भी उतना प्रभावी और बेमिसाल है। यह लोगों के मन मष्तिष्क पर किस कहर असर पैदा करता है , सिंहपुर , अमेठी के   प्रमोद श्रीवास्तव की कहानी इसकी गवाह है।   अमेठी के निवासी हैं प्रमोद आपको यकीन नहीं होगा लेकिन यह बात सत्य है। दरअसल , प्रमोद कौथनपुरवा गांव , सिंहपुर , अमेठी के निवासी है। बताया जा रहा है कि 1990 में अचानक तेज बुखार से बिमार हो गये थे , असके बाद वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगे थे। साथ ही बताया जा रहा है कि इसको लेकर परिवार वाले कुछ समझ नहीं पा रहे थे। इसके बाद घरवालों ने प्रमोद को लखनऊ के केजीएमसी अस्पताल में डॉक्टरों को दिखाया। बताया जा रहा है कि इलाज करने वाले डॉक्टर ने पहले पूरा मामला समझा , और उनके शौक को जाना। परिजनों ने बताया कि प्रमोद को रेडियो सुनना बहुत पसंद है , फिर डॉक्टरों ने ऐसी तरकीब निकाली , जिसे सुन हर कोई हैरान रह गया। इलाज करने वाले डॉक्टर ने दवा के साथ रेडियो सुनने की सलाह दी , यह नुस्खा असरदार निकला , रेडियो की आवाज से धीरे-धीरे प्रमोद की तबीयत ठीक होने लगी। बीएड कर चुके आज पूरी तरह स

दीपावली की शुभकामनाएं......

जीवन को संदेश देने वाला प्रकाश का त्यौहार है दीपावली

भारत परम्पराओं का देश है। देश की संस्कृति के दर्शन इन्ही पारम्परिक त्योहारों में होते हैं। बुराई का अन्त को होलिका दहन,असत्य पर सत्य की विजय विजयदशमी व अंधकार को मिटाने का संकल्प दीपावली ये सभी त्योहार कहीं न कहीं हमारे सांस्कारिक भाव एवं संस्कृति के द्योतक हैं। हर वर्ष इन त्योहारों को मनाने का मतलब ही है कि हम अपने कर्त्‍तव्‍यों व संस्कारों को याद रखें और हजारों साल से इस परम्परा को चलने के पीछे आने वाली पीढियों का जानकारी दी जाय। आईये हम प्रकाश के इस पर्व के बारे में चर्चा करते हैं। देश दीपावली का पर्व पांच दिनों का होता है, इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है और समापन भैया दूज को होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है। दीपावली कब से प्रारंभ हुई इसके संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उन कथाओं के साथ जुड़ी घटनाएं दीपावली के महत्व को बढ़ाती हैं। आइए जानते हैं कि दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है धार्मिक पुस्तक रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष

कहीं आप में भी तो नहीं.....!

विजयदशमी पर विशेष----  आप सोच रहे होंगे ये कैसा सवाल कर दिया जिसका मतलब समझ में नहीं आ रहा है। जी हां बिलकुल सोचा आपने हम तो आपके भीतर बैठे बुराईयों के दानव की बात कर रहे हैं, जो दिखता नही है, कभी-कभी उसे आप समझ नही पाते हैं कि ये अवगुण है या फिर गुण। जब आप इसके बारे में थोडा बहुत समझते हैं तो उसे छिपाने का प्रयास करते हैं और खुद से भी झूठ बालना शुरू करते हैं, जो एक और बुराई उन्हीो बुराईयों के साथ समाहित हो जाती है। जीवन दर्शन समान है । जीवन कोरे कागज के समान है जिसमें जैसा रंग भरोगे वैसा ही दिखेगा। जीवन के कोरे कागज में बुराई भरोगे तो वही भरेगा , अगर गुण व संस्कागर भरोगे तो वही दिखेगा । अगर हम जीवन का मन से विश्लेषण करते हैं ,तो जीवन में घटी अच्छी -बुरी घटनाओं के साथ-साथ आपके अंदर की अच्छाई व कमियों के दर्शन प्राप्त हो जाएंगे। अच्छे इंसान बनने के लिये अच्छी प्रवृत्तियों को अपने जीवन मे लाना होगा। वही कभी-कभी चन्द स्वार्थ व लाभ के लिए आसुरी प्रवृत्तियों को अपना लेता है। और खुशहाल जीवन की राह से भटक जाता है। इसी प्रकार प्रवृत्तियों से बचने के लिए हमारी भारतीय संस्कृति में ढ़े

बापू के सपनों का भारत बना सियासी अखाडा

देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 150वीं जयन्ती धूमधाम से मनाई जा रही है। देश के हर कोने में राष्ट्र बापू को याद किया गया। ऐसे ही नही आज बापू को राष्ट्रपिता का दर्जा मिला है। उनके सत्य,अहिंसा,ईमानदारी व आदर्शों की देश ही नही दुनिया कायल थी। देश की आजादी दिलाने में उनके कर्तव्यों को न भुलाने के और जनता को पुत्र समान प्यार देने के वाले बापू को राष्ट्र पिता का दर्जा मिला । हर वर्ष 02 अक्टूबर पर उनकी जयंती सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष 02 अक्टूबर की विशेषता 150वीं वर्षगांठ होना था। जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छता वर्ष के रूप में मना कर बापू को श्रद्धांजलि दी।प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार 60 करोड़ की आबादी तक शौचालय की सुविधा दी गई। जिसे बापू के सपनों को साकार करने का कार्य किया गया है। आज के दिन देश दो महापुरुषों की जयंती मनाता है , पहला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर बहादुर शास्त्री का जन्मदिन 02 अक्टूबर को ही हुआ था। अब हम बात करते हैं इन महापुरुषों के सिद्धांतों व उनके मूल्यों पर चलने वाले देश में क

भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं माँ अहोरवा

द्वापर कालीन माँ अहोरवा देवी के मंदिर में भक्तों आस्था है कि सच्चे मन से मांगी गयी मुराद माँ अहोरवा अवश्य पूर्ण करती हैं शारदीय नवरात्रि तथा चैत्र नवरात्रि में भक्त माँ की विशेष पूजा अर्चना करतें हैं देवी माँ के नौ रूपों की पूजा करने वाले भक्त माँ अहोरवा के एक दिन में तीन रूपों के दर्शन कर अपने कल्याण की कामना करतें हैं| रायबरेली-इन्हौना मार्ग पर सिंहपुर ब्लाक मुख्यालय के निकट स्थित माँ अहोरवा देवी के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास में थे तो माता कुंती समेत द्रोपदी व पांडवों ने देवी माँ की पूजा की थी प्राकृतिक रूप से विद्यमान माँ अहोरवा की मूर्ति के बारे में मान्यता है कि माँ के दर्शन से भक्तों के कष्ट तो दूर होतें ही हैं सच्चे मन से मांगी गयी मुराद भी माँ पूरी करती हैं|बड़ी संख्या में ऐसे भक्त हैं जो प्रत्येक सोमवार माँ के दर्शन कर परिक्रमा करतें हैं|मान्यता है कि दूध और पूत से परिवारों को संतृप्त रखने की शक्ति माँ अहोरवा में है| कई प्रकार के शारीरिक कष्टों वाले भक्त माँ के दर्शनों से निजात पाते हैं बड़ी संख्या में ऐसें भक्

लोगों की मन्नतों को फलीभूत करता रहा है सिद्धपीठ टीकरमाफी आश्रम

भारत देश में यूपी के अमेठी जनपद में मौजूद सिद्धपीठ स्वामी परमहंस आश्रम टीकरमाफी में भक्तों द्वारा सिद्धपीठ पर मंथा टेका और पूजा अर्चना कर अपनी मनौती को पूरा करने के लिए स्वामी जी की आराधना करते हैं।न जाने कितने के दुख दूर हुए और कितने परिवारों में कलह से शांति मिली। और नव वधूओं की गोद हरीभरी हुई। कितने अपने रोजगार और पढाई के लिए मन्नते मांगी। पीठ के महंत दिनेशानंद महाराज लोगों को स्वामी जी की भभूती और प्रसाद वितरित किया। और स्वामी जी की नीरि घर-घर शांति का संदेश देने परिवार के बीच पहुची। जो एक बार आया वह बिना दुबारा प्रसाद ग्रहण किये बेचैन हो जाता है। जिनकी मत मार जाती है जो पागल हो जाते है वो भी गोसेवा और समाधि के दर्शन सुबह शाम आरती प्रसाद ग्रहण करने से उनमें बदलाव सा आ जाता है। देश के कोने कोने के अतिरिक्‍त सुलतानपुर, प्रतापगढ, चिलबिला, आदि स्‍थानों के व्यापारी भी समाधि पर पूजा अर्चना कर स्वामी जी से सुख शांति की मंगल कामना करते हैं। यहां पर विशाल गौशाला है जो विशाल जंगल में अपना चारा स्वयं तलाशती है। जबकि आश्रम के आस-पास के किसान भूषा और अनाज दोनों का दान कर आश्रम में श्रद्धा के

73वें स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएं

सभी शुभेच्छु पाठकों को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आपका ब्लॉगर---- नीरज सिंह

इतिहास के पन्नों में दफ्न थी दो भाइयों की अमर कहानी

गुलामी की जंजीर से जकड़े भारत को दासता से मुक्ति दिलाने के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपना सर्वस्व लुटाया। ब्रिटिश शासन काल में भारतीय जनमानस पर हो रहे क्रूर अत्याचार के खिलाफ छिड़ी जंग में क्षेत्र के अनेकों ऐसे वीर योद्धा शामिल रहे जिनकी दास्तान इतिहास के पन्नों में भी जगह नही बना पाए।जिसके पीछे मुख्य कारण ये स्वयं अपने परिजनों से बिछुड़ गए तो समाज क्या परिवार भी इनके हाल व अंजाम से अंजान ही हो गया । इन देश भक्त स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों के परिवार की भी हालात और दशा इतनी खराब हो गयी कि समाज की मुख्य धारा से किनारे हो गए । मुसाफिरखाना क्षेत्र के नेवादा गॉव के ऐसे दो जांबाज देशभक्त भाई थे ।लल्लू सिंह व संकठा सिंह।इन दो सगे भाइयों में बड़े भाई लल्लू सिंह को देश के लिए शहीद होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जबकि छोटे भाई संकठा सिंह नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज की ओर से स्वाधीनता आंदोलन की जंग लड़ते हुए ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए थे।नेवादा गॉव के निवासी ये देशभक्त सगे भाई स्वनाम धन्य पिता महादेव सिंह के पुत्र थे । साधारण ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े दो

सावधान! होली का रंग, ना हो जाए बदरंग

मौज मस्ती का त्यौहार होली को लेकर बच्चे या युवा या फिर हो बूढ़े सब पर एक ही रंग चढ़ा रंग चढ़ा होता है वह है मस्ती इस त्यौहार को लेकर लोगों में विशेषकर युवाओं बच्चों में उमंग व में उमंग व उत्साह देखते ही बनता है। होली के दिन रंगोली की तरह रंगा हुआ होता है। लेकिन जिन रंगों का हम प्रयोग प्रयोग करते हैं । उसको लेकर क्या हम सोचते हैं कि यह रंग हमारे शरीर को कितना नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। नहीं इसका अनुमान लोगों को कम ही रहता है। इसलिए इन रासायनिक रंगों से बचने की आवश्यकता है। क्योंकि यह जितना ही हानिकारक होता है , उतना ही प्राकृतिक रंग हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। इसलिए रासायनिक रंगों के प्रति सावधानी बरतना अति आवश्यक है । जहां एक तरफ फलों सब्जियों व फलों के रंग सेहत के के लिए लाभकारी होते हैं । वहीं रासायनिक रंग सेहत के लिए परेशानी का सबब बन जाते हैं । क्या हैं प्राकृतिक रंगों से स्वास्थ्य के लिए लाभ अब हम बात करते हैं प्राकृतिक रंगों की जिसमें काले रंग के लिए जामुन काला अंगूर अंगूर रसभरी मुनक्का आलूबुखारा आदि में पाए जाते हैं । जो शरीर को लाभ देने का कार्य करते हैं

जवानों की शहादत से घायल कश्मीर

किसी शायर ने कश्मीर की समस्या पर शायराना अंदाज में कहा.... ये मसला दिल का है , हल कर दे इसे मौला। ये दर्द-ए- मोहब्बत भी, कहीं कश्मीर ना बन जाए।। कवि ने इन कविता की लाइनों में कश्मीर के दर्द को बयां किया है कि कश्मीर का मसला ना सुलझने वाला मसला बनकर रह गया है। देश का कभी सिरमौर कहा जाने वाले कश्मीर को आतंक रूपी एक नासूर रोग लग चुका है। देश आजाद होने के बाद कश्मीर का दो भाग हुआ। जिसमें पाकिस्तान वाले हिस्से को पीओके कहा गया यानी कि पाक अधिकृत कश्मीर , वहीं भारतीय हिस्से को कश्मीर कहा गया गया। सरदार पटेल ने सैकड़ों रियासतों का भारत में मिलाया । केवल यही एक इकलौता राज्य रहा जिसे 35 ए, 370 धारा के तहत विशेष दर्जा के साथ भारत मे शामिल किया गया । एक अलग संवैधानिक अधिकार दिया गया । लेकिन यही विशेष अधिकारों का प्रतिफल रहा कि कश्मीर का एक तबका धीरे-धीरे इसे अपना सर्वोच्च अधिकार मानने लगा और इसी का परिणाम हुआ कश्मीर में एक अलग गुट उभर कर आया। जिसे अलगाववादी गुट कहा जाता है । अगर इस गुट को को पाक परस्त गुट कहा जाए तो अशियोक्ति नहीं होगी। देश व प्रदेश की सरकारों की नीतियों पर भी कश्मी

भारत की राजनीति में प्रियंका गांधी !

भारतीय राजनीति में कांग्रेस की तरफ से एक और गांधी की एंट्री हुई है ,नाम है प्रियंका गांधी । कभी रिश्तो की डोर लेकर अमेठी की राजनीति में सरगर्मी मचाने वाली कभी मां के चुनाव की कमान संभालती तो कभी भाई राहुल गांधी के चुनाव की कमान संभालने का कार्य प्रियंका गांधी करती थी । प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रूप से उनका नाता राजनीति से जुड़ा रहा है और अक्सर कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में आने के लिए दबाव बनाया जाता रहा है या फिर मीडिया कि लोग जब पूछते कि आप कब आ रही हैं सक्रिय राजनीति में तब जबाब में बस मुस्कुरा कर आगे निकल जाती थी । आज वही प्रियंका गांधी भाई के साथ कदम से कदम मिलाने की सोच लेकर भारतीय राजनीति में आ चुकी हैं । ऐसा नहीं है कि राजनीति में पहली बार आई हैं, मां और भाई के चुनाव को बखूबी संभालती थी इतना ही नहीं उनकी सीटों के अलावा आसपास के जिलों की सीटों में प्रचार भी किया था।  अब तक कितना डंका इनका बज चुका है यह तो पिछले इतिहास को देख कर ही पता चलता है ।लेकिन एक बात तय है कांग्रेस जिस हाल में आज खड़ी है प्रियंका गांधी कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए संजीवन

देशद्रोहियों पर कार्यवाही या फिर चुनावी स्टंट!

हम लेके रहेंगे ,आजादी आजादी ! भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह! जैसे नारों से देश के ऐतिहासिक सेंट्रल यूनिवर्सिटी जेएनयू का परिसर 3 वर्ष पूर्व 9 फरवरी 2016 को गूंज उठा था। वक्त था आतंकवादी अफजल गुरु की बरसी का, जिसमें उस तथाकथित छात्रों ने सभा करके अफजल गुरु की बरसी मनाई जा रही थी। जिसमें कन्हैया कुमार जोकि जेएनयू का छात्र संघ अध्यक्ष था ,उमर खालिद, शहला राशिद, अपराजिता,एजाज खान जैसे वामपंथी भी शामिल थे। जिसमें देश विरोधी नारे लगे। इसके वीडियो वायरल होने लगे। तब एबीपी कार्यकर्ता द्वारा बसंत कुञ्ज में 124A के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने कार्यवाही करते हुए 12 फरवरी को कन्हैया कुमार सहित दर्जनों को गिरफ्तार किया । वहीं उमर व अनिर्बन 24 फरवरी को कोर्ट में सरेंडर किया था । लेकिन उस संशय का लाभ लेकर ये 03 मार्च को अंतरिम जमानत पर छूट गए । दिल्ली पुलिस उस वक्त कोई ठोस सपूत नहीं जुटा पाई । लेकिन 36 माह बाद पुलिस ने इस चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य समेत कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है। जिसमें सात  कश्मीरी  छात्र भी शामिल हैं। इस प्रकार 46

मोदी का खौफ या अस्तित्व को लेकर मज़बूरी का गठबंधन!

देश के सबसे बड़े जनसंख्या वाले राज्य एवं लोकसभा के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में दो क्षेत्रीय दलों के गठबंधन ने भारतीय राजनीति में खलबली मचा कर रख दी है। देश में राजनीति के बदलते तेवर देखने को मिल रहा है। विचारों और सिद्धान्तों के दुश्मन आज गले मिल रहे हैं ,गठबंधन बना रहे हैं। कहीं मोदी की ख्याति और सफलता का खौफ तो नही है! राजनीति में कब कैसे उलट-पलट हो जाय कोई इस बात का गुमान नही कर सकता है सब कुछ उसके हिसाब से चल सके । वर्तमान समय यही कुछ राजनीतिक परिदृश्य तैयार हो रहा है। किसी समय इंदिरा गांधी के विरोध में विपक्षियों का गठबंधन बनते थे, जिसका नतीजा जनता पार्टी की सरकार बनी थी, भले ही सफल न हुई हो। अब लोकसभा 2019 में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती व  समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेश की 80 सीटों में 38-38 सीट पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है । वहीं अमेठी व  रायबरेली लोकसभा में कांग्रेस के  राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एवं सोनिया गांधी के खिलाफ  दोनों सीटों पर कोई प्रत्याशी ना उतारने का फैसला किया है ,अन्य दो सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़

आरक्षण का खेल ,मोदी का मास्टर स्ट्रोक !

आरक्षण का खेल ,मोदी का मास्टर स्ट्रोक राजनीति अनिश्चितताओं भरा खेल है। कब कौन राजनीतिक दल व उसके नेता की किस्मत पलट जाय किसी को पता नही होता है। हर पल हर घड़ी संशय से भरा है। पांच राज्यों के चुनाव परिणामों ने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया । बीजेपी के मूल वोटबैंक सवर्णों की नाराजगी राज्यों के हुए चुनाव में खूब दिखा । जहाँ सीटों के जीत हार का अन्तर से अधिक नोटा वोटों संख्या थी। जिससे मध्य प्रदेश व राजस्थान की सत्ता से बाहर जाना पड़ा है। सवर्णों की एसएसी/एसटी एक्ट को लेकर नाराजगी को देखते बीजेपी नेताओं के माथे पर चिन्ता की लकीरें खिंच गई । इसके प्रभाव को काम करने व सवर्णों को मनाने के पार्टी मंथन चल ही रहा था , कि राम मंदिर मुद्दा बड़ी जोर शोर से शुरू हो चुका था । संघ,विहिप, साधु-संतो,व हिन्दू संगठनों का दबाब इस मुद्दे पर बढ़ता जा रहा था । जोकि अब भी जारी है। इसी बीच बसपा व सपा का महागठबंधन यानी बुआ व बबुआ का गठजोड़ हुआ,जोकि बीजेपी के लिए यूपी में अच्छा संकेत नहीं है। क्योंकि कहा जाता है देश में सरकार बनाने का रास्ता यूपी से ही गुजरता है । अब कांग्रेस सहित विपक्षियों के चहुंओर हमले से मोदी