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दीपावली की शुभकामनाएं......

जीवन को संदेश देने वाला प्रकाश का त्यौहार है दीपावली

भारत परम्पराओं का देश है। देश की संस्कृति के दर्शन इन्ही पारम्परिक त्योहारों में होते हैं। बुराई का अन्त को होलिका दहन,असत्य पर सत्य की विजय विजयदशमी व अंधकार को मिटाने का संकल्प दीपावली ये सभी त्योहार कहीं न कहीं हमारे सांस्कारिक भाव एवं संस्कृति के द्योतक हैं। हर वर्ष इन त्योहारों को मनाने का मतलब ही है कि हम अपने कर्त्‍तव्‍यों व संस्कारों को याद रखें और हजारों साल से इस परम्परा को चलने के पीछे आने वाली पीढियों का जानकारी दी जाय। आईये हम प्रकाश के इस पर्व के बारे में चर्चा करते हैं। देश दीपावली का पर्व पांच दिनों का होता है, इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है और समापन भैया दूज को होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है। दीपावली कब से प्रारंभ हुई इसके संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उन कथाओं के साथ जुड़ी घटनाएं दीपावली के महत्व को बढ़ाती हैं। आइए जानते हैं कि दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है धार्मिक पुस्तक रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष

कहीं आप में भी तो नहीं.....!

विजयदशमी पर विशेष----  आप सोच रहे होंगे ये कैसा सवाल कर दिया जिसका मतलब समझ में नहीं आ रहा है। जी हां बिलकुल सोचा आपने हम तो आपके भीतर बैठे बुराईयों के दानव की बात कर रहे हैं, जो दिखता नही है, कभी-कभी उसे आप समझ नही पाते हैं कि ये अवगुण है या फिर गुण। जब आप इसके बारे में थोडा बहुत समझते हैं तो उसे छिपाने का प्रयास करते हैं और खुद से भी झूठ बालना शुरू करते हैं, जो एक और बुराई उन्हीो बुराईयों के साथ समाहित हो जाती है। जीवन दर्शन समान है । जीवन कोरे कागज के समान है जिसमें जैसा रंग भरोगे वैसा ही दिखेगा। जीवन के कोरे कागज में बुराई भरोगे तो वही भरेगा , अगर गुण व संस्कागर भरोगे तो वही दिखेगा । अगर हम जीवन का मन से विश्लेषण करते हैं ,तो जीवन में घटी अच्छी -बुरी घटनाओं के साथ-साथ आपके अंदर की अच्छाई व कमियों के दर्शन प्राप्त हो जाएंगे। अच्छे इंसान बनने के लिये अच्छी प्रवृत्तियों को अपने जीवन मे लाना होगा। वही कभी-कभी चन्द स्वार्थ व लाभ के लिए आसुरी प्रवृत्तियों को अपना लेता है। और खुशहाल जीवन की राह से भटक जाता है। इसी प्रकार प्रवृत्तियों से बचने के लिए हमारी भारतीय संस्कृति में ढ़े

बापू के सपनों का भारत बना सियासी अखाडा

देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 150वीं जयन्ती धूमधाम से मनाई जा रही है। देश के हर कोने में राष्ट्र बापू को याद किया गया। ऐसे ही नही आज बापू को राष्ट्रपिता का दर्जा मिला है। उनके सत्य,अहिंसा,ईमानदारी व आदर्शों की देश ही नही दुनिया कायल थी। देश की आजादी दिलाने में उनके कर्तव्यों को न भुलाने के और जनता को पुत्र समान प्यार देने के वाले बापू को राष्ट्र पिता का दर्जा मिला । हर वर्ष 02 अक्टूबर पर उनकी जयंती सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष 02 अक्टूबर की विशेषता 150वीं वर्षगांठ होना था। जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छता वर्ष के रूप में मना कर बापू को श्रद्धांजलि दी।प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार 60 करोड़ की आबादी तक शौचालय की सुविधा दी गई। जिसे बापू के सपनों को साकार करने का कार्य किया गया है। आज के दिन देश दो महापुरुषों की जयंती मनाता है , पहला राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर बहादुर शास्त्री का जन्मदिन 02 अक्टूबर को ही हुआ था। अब हम बात करते हैं इन महापुरुषों के सिद्धांतों व उनके मूल्यों पर चलने वाले देश में क