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सितंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संकुचित राजनीति की बदरंग तस्वीर

    जाति-धर्म के फैक्टर में, कोई नहीं है टक्कर में....उक्त स्लोगन आज की राजनीति के परिप्रेक्ष्य में देखा जाय बिल्कुल सटीक बैठता है I विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में वर्तमान में जिस तरह की राजनीति चल रही है ,आने वाले समय में विषम परिस्थितियों को आमंत्रित करने का कार्य किया जा रहा है I जो न तो लोकतंत्र के सेहत के लिए ठीक होगा न ही आवाम के लिए ही हितकारी होगा I  हमारे राजनीतिक दलों के आकाओं को भी चिन्तन करने की जरूरत है कि सत्ता के लिए ऐसी ओछी राजनीति कर देश की स्थिरता को संकट में डालने का कार्य कर रहे हैं I देश के बड़े-बड़े  अलम्बरदार माइक सम्हालते ही सबसे बड़े देश-भक्त बन जाते हैं I लेकिन चुनाव आते ही वोट पहले और देश बाद में होता है I मंचों पर जो विचारधारा प्रस्तुत करते हैं ,वो चुनावी रणनीति में बदल जाती है I बस एक ही एजेंडा होता है जीत सिर्फ जीत इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं I पार्टी का सिद्धांत तो तेल लेने चला जाता है I अभी हाल के दिनों में कुछ राजनीतिक घटनाओं में उक्त झलक दिखी I पंजाब, उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव होने हैं I जातिगत आधार पर राजनीति शुरू हो गयी है I यूपी में

बहुत....मंहगा पड़ेगा I निकल गया जनता का तेल....|

एक जमाना था जब सड़कों पर गाने गाए जाते थे कि महंगाई डायन खाए जात है, तब लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे और इसे एक मनोरंजन का साधन मात्र समझते थे I लेकिन आज महंगाई रूपी डायन साक्षात प्रकट हो चुकी है और जनता को हलकान कर दिया है I कहां जाता था कि पहले की सरकारें उच्च वर्ग व मध्यम वर्ग के लोगों को देख कर ही योजनाएं बनाई जाती थी I कमजोर, पिछड़ा, गरीब व्यक्ति के लिए कार्य नहीं किया जाता था I लेकिन अब थोड़ा उलट हो गया है,उच्च वर्ग व कमज़ोर वर्ग को ही मौजूदा सरकारें तवज्जो देती हैं अब पिस रहा है मध्यम वर्ग I हर तरफ मंहगाई की आग लगी है I पेट्रोल, डीजल व घरेलू गैस, बिजली, घर में लगने वाले घरेलू सामानों,रासायनिक पदार्थों, कपड़ा की कीमतों में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है I इस वर्ष विगत महीनों में मंहगाई की थोक दर दहाई से नीचे आया ही नहीं है I वित्त मंत्रालय की ही माने तो अगस्त माह में थोक दर 11.39% रही I सच ये है कि हर वर्ग मंहगाई की मार से कराह रहा है I देश की जनता दोहरा मार झेल रही है एक तरफ कोरोना महामारी के चलते लोगों की नौकरियां और रोजगार गए, वहीं दूसरी ओर मंहगाई ने बेहाल कर रखा है I उच्च