एक जमाना था जब सड़कों पर गाने गाए जाते थे कि महंगाई डायन खाए जात है, तब लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे और इसे एक मनोरंजन का साधन मात्र समझते थे I लेकिन आज महंगाई रूपी डायन साक्षात प्रकट हो चुकी है और जनता को हलकान कर दिया है I कहां जाता था कि पहले की सरकारें उच्च वर्ग व मध्यम वर्ग के लोगों को देख कर ही योजनाएं बनाई जाती थी I कमजोर, पिछड़ा, गरीब व्यक्ति के लिए कार्य नहीं किया जाता था I लेकिन अब थोड़ा उलट हो गया है,उच्च वर्ग व कमज़ोर वर्ग को ही मौजूदा सरकारें तवज्जो देती हैं अब पिस रहा है मध्यम वर्ग I हर तरफ मंहगाई की आग लगी है I पेट्रोल, डीजल व घरेलू गैस, बिजली, घर में लगने वाले घरेलू सामानों,रासायनिक पदार्थों, कपड़ा की कीमतों में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है I इस वर्ष विगत महीनों में मंहगाई की थोक दर दहाई से नीचे आया ही नहीं है I वित्त मंत्रालय की ही माने तो अगस्त माह में थोक दर 11.39% रही I सच ये है कि हर वर्ग मंहगाई की मार से कराह रहा है I देश की जनता दोहरा मार झेल रही है एक तरफ कोरोना महामारी के चलते लोगों की नौकरियां और रोजगार गए, वहीं दूसरी ओर मंहगाई ने बेहाल कर रखा है I उच्च वर्ग तो महंगाई से निपटने में सक्षम है I वहीं कमजोर तबका को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे तौर पर मिल रहा है I आवास, शौचालय, राशन, आयुष्मान योजना के तहत इलाज, मुफ़्त शिक्षा जैसी तमाम सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं I वहीं मध्यम वर्ग की कोई सुनवाई नहीं हुई है I बानगी के तौर पर अगर आवास भी सरकारी सहायता से बनेगा तो लोन सुविधा से ही हो सकता है I सेविंग पर भी बेचारों को टैक्स देना पड़ता है I हर तरफ से मध्यम वर्ग ही परेशान किया जा रहा है I इस तबके के बच्चे बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं I सबसे अधिक बेरोजगारों की संख्या इसी वर्ग में है I इसी में मौजूद सामन्य तबका तो आरक्षण की मार से बेहाल है I माना कि कमजोर तबके को सरकारी इमदाद की ज़रूरत है I उच्च वर्ग टैक्स जमा कर देश के विकास में बड़े सहयोगी के रूप में हैं I लेकिन नए आर्थिक नियमों के अनुसार मध्यम वर्ग भी काफी लोग टैक्स पेयर की श्रेणी में आ गया है I फिर भी इन्हें कम से कम मंहगाई जैसी विकराल समस्या से निपटने के लिए सरकारों को उचित कदम उठाए जाने चाहिए I वरना मध्यम से कमजोर श्रेणी में आने में देर नहीं लगेगी I देश विकास करना चाहिए अच्छी सड़कें, पुल निर्माण सहित बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को चलाने चाहिए I लेकिन सरकारों को भी इतना ध्यान अवश्य ही देने की ज़रूरत है कि इस देश में विभिन्न स्तर पर आर्थिक रूप से अति कमजोर ,निम्न, मध्यम वर्ग, मध्यम-उच्च एवं उच्च वर्ग के लोग निवास करते हैं I सभी को ध्यान में रखते हुए योजनाओं का क्रियान्वयन करने की आवश्यकता है I लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है कि जो भी योजनाओं को धरातल पर सरकार द्वारा लायी जाती है, उनका पहला मापदण्ड वोट आधारित होता है I इसे लागू करने से पहले ये सोचते हैं कि इससे कितना वोट का लाभ हमारी पार्टी को होगा I ये चलन आज ही नहीं बल्कि पहले से ही चला आ रहा है I मनरेगा,अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति जैसी योजना इसी तरह का उदाहरण भर है I आज भी अनेक योजनाएं varg विशेष तक ही सीमित है I कभी देश प्रधानमंत्री भरे मंच से कहता है कि देश संसाधन पर पहला हक अल्पसंख्यक का है I देश की राजनीति देश के विकास परियोजनाओं पर भी हावी हो चुकी है I जिसका खामियाजा जनता भुगतना पड़ रहा है I पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं I जनता परेशान है,इसके निदान के बजाय एक दूसरे पर आरोप लगाया जा रहा है I वर्तमान केन्द्र सरकार पुरानी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों को लागू करने के कारण तेल के दाम बढ़ने का आरोप लगाया है तो विपक्षी दल का कहना है कि तेल कम्पनियों को फायदा देने का आरोप लगा रही है I फिलहाल इस में जनता ही पिस रही है I अगर हम इस मुद्दे पर बात करें तो हम मान भी लें कि पिछली सरकारों की गलती भुगत रहे हैं, तब सवाल ये उठता है कि वर्तमान सरकार का इस समस्या से निजात दिलाने के लिए क्या उतरदायित्व नहीं बनता है I वित्तमंत्री का इतना ही कह देने से कि ये पूर्व की सरकार की गलती है आप जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकते हैं I इसलिये जनता ने उन्हें गद्दी से हटा कर आपको बैठाया है I अगर आप मंहगाई जैसे ज्वलन्त मुद्दे से मुकरते रहे और दूसरों पर दोषारोपण करते रहे तो आने वाला समय आप पर भारी पड़ सकता है I रही बात "सबका साथ सबका विकास" का नारा तभी सार्थक होगा, जब सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए सरकारी योजनाओं को लागू किया जाय औऱ पिछली सरकारों पर ठीकरा फोड़ना बंद कर सकारात्मक सोच के साथ पेट्रोलियम पदार्थों सहित सभी प्रकार घरेलू समानों की कीमतों को नियंत्रित किया जाए I वरना देश मे गरीबी व अमीरों के बीच की खाई बढ़ती जाएगी जो एक लोकतांत्रिक देश के लिए शुभ संकेत नहीं होगा I अभी जनता का तेल निकल रहा है, अब देखना होगा आगे आने वाले चुनावों में जनता किसका तेल निकालती है I
जय हिंद, जय भारत I
@NEERAJ SINGH
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