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नवंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अस्तित्व के जद्दोजहद से जूझती गुजरात चुनाव में राजनीतिक पार्टियां !

राजनीति के कितने रंग होते हैं, और इन रंगों की होली कैसे खेली जाती है, नेताओं ने गुजरात चुनाव में पूरे दम ख़म के साथ दिखा रहे हैं।आज राजनीति भी सातों रंगों से सजी हुई है,भले ही काले रंग का जलवा कुछ अधिक ही दिख रहा है। अब आइये बात करते हैं देश में गुजरात चुनाव का महत्व क्या है ? आखिर देश की जनता की नजरे गुजरात विधान सभा चुनाव क्यों जमी हैं! मीडिया का जमावड़ा व कवरेज ये जरूर दर्शाता है कि जनता व देशवासियों में सवाल तो कई हैं,लेकिन जबाब कितने का मिलता है ये देखने की बात है। गुजरात विधान सभा चुनाव  का प्रचार अपने चरम पर है । सभी दल मतदाता को रिझाने का भरकस प्रयास किया जा रहा है। विकास,आरक्षण व जाति के मुद्दों  पर शुरू होने वाला ये चुनाव मंदिरों व गिरजाघरों से होके गुजरते हुए अब ये गुजरात गौरव व राष्ट्रवाद पर आकर टिक गया है।  कांग्रेस भी करो या मरो के नारे के साथ राहुल गांधी के नेतृत्व पूरी दमदारी से चुनावी वैतरणी पार करने के फ़िराक में हैं। जिसके खेवनहार के रूप में राहुल ने पटेल आंदोलन के मुखिया और चर्चित चेहरा हार्दिक पटेल  को चुना है। साथ ही पाटीदार आंदोलन के विरोधी चेहरा अल्पेश ठाकोर  व ऊन

पद्मावती फिल्म का विरोध-------- सामाजिक आक्रोश !

पद्मावती फिल्म को लेकर आजकल देश भर में आक्रोश व प्रर्दशन देखने को मिल रहा था। पहले तो इस फिल्म से क्षत्रिय व राजा रजवाडे ही विरोध करते हुए दिखे लेकिन अब अनेक हिन्दू संगठन भी सामने आ गये हैं। उनका कहना है हमारे इतिहास व संस्कृति के साथ फिल्म मेकर खिलावाड कर रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नही किया जा सकता है। इस बात से अनेक इतिहासकार व प्रबुद्ध वर्ग  का बडा तबका भी  सहमत दिख रहा है। करणी सेना के बैनर तले हजारों की संख्या में लोग देश भर में इस फिल्म के विरोध में लामबंद हो रहे हैं। इसे राजनीतिक रूप भी नेता लोग देने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा के अनेक नेता खुलकर सामने आ गये हैं। वहीं कांग्रेस में इसे लेकर मतभेद है। कांग्रेस के नेता शशि थरूर इसका समर्थन करते दिखे तो ज्योतिरादित सिंधिया खुलकर इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं। इस फिल्म में रानी पद्मावती के किरदार को तोड मरोड कर पेश करने की बात की जा रही है। जोकि गौरवशाली व बलिदानी जौहर करने वाली रानी का अपमान माना जा रहा है। जबकि फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली व पद्मावती का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का कहना है कि ऐसा कुछ नही है,पहले फिल्म

नोटबंदी के एक वर्ष का सफर ....सियासत का बना अहम मुद्दा....!

नोटबंदी के एक वर्ष पूरे हो गये। जिसे लेकर बुधवार के  दिन भर भाजपा ने नोटबंदी को सफल बताया तो विपक्षी दल फेल बता रहे हैं । कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी  ने 08 नवम्बर की सुबह की शुरुआत ही एक ट्वीट के जरिये किया वो भी शायरी के साथ लिखा कि .....      एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,       तुमने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना। और नोटबंदी को देश की एक बड़ी त्रासदी कहा । ठीक एक दिन पूर्ब गुजरात में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को संगठित लूट की संज्ञा दी। इस पर पलटवार करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी को सफल बताते हुए 2जी,कोल आवंटन,कॉमनवेल्थ को संगठित लूट बताया। इन आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच आइये हम एक वर्ष पीछे की ओर चलते हैं। सनद रहे कि 08 नवम्बर 2016  की रात 08 बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करते हुए कहा कि देश में चालू करेंसी में 500 व 1000 के नोट आज रात 12 बजे के बाद रद्दी कागज बन जायेंगे। इन नोटों के विमुद्रीकरण से देश की अर्थव्यवस्था का 85%चलन की इकॉनोमी ठप्प सी हो गई। दूसरे दिन बैंकों में ले

समाज में अनैतिकता के खिलाफ की लड़ाई में सफर.... न्याय से इच्छा मृत्यु तक !

 समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कि मानवता को कलंकित करने में पीछे नही होते हैं। अपने से कमजोर लोगों को चाहे वो जाति के नाम ,धर्म के नाम पर परेशान करना इनकी फितरत में होता है। इनका शिकार कभी कभी दिव्यांग ही क्यों न हो । इन्हें तो इन लाचारों पर भी तरस नही आता है।इन पीड़ितों की सुनवाई शासन प्रशासन भी नही सुनते हैं। अंत में इन्हें मौत का ही सहारा दिखता है। आइये हम बानगी के तौर एक घटना का जिक्र करते हैं।  थानाक्षेत्र शिवरतनगंज के पूरे कैथन मजरे टेढ़ई निवासी एक दिव्यांग ने पडोसी दबंगों के आतंक से परेशान होकर गाँव से पलायन कर दिया और किराये पर हैदरगढ़ कस्बे में निवास कर रहे दिव्यांग ने प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है ।   जानकारी के मुताबिक गाँव निवासी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव अपने पड़ोसियों के आतंक से क्षुब्ध होकर गाँव से पलायन कर चुकें हैं प्रमोद कुमार श्रीवास्तव  की माने तो मामले की शिकायत को लेकर थाने से लेकर जनपद स्तरीय व राज्य स्तरीय उच्चाधिकारियों को भेजी थी परन्तु कोई कार्यवाही न होने से परेशान दिव्यांग ने गाँव से पलायन करने का निश्चय कर लिया और 9 सितम्