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नोटबंदी के एक वर्ष का सफर ....सियासत का बना अहम मुद्दा....!


नोटबंदी के एक वर्ष पूरे हो गये। जिसे लेकर बुधवार के  दिन भर भाजपा ने नोटबंदी को सफल बताया तो विपक्षी दल फेल बता रहे हैं । कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी  ने 08 नवम्बर की सुबह की शुरुआत ही एक ट्वीट के जरिये किया वो भी शायरी के साथ लिखा कि .....
     एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,
      तुमने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना।
और नोटबंदी को देश की एक बड़ी त्रासदी कहा । ठीक एक दिन पूर्ब गुजरात में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को संगठित लूट की संज्ञा दी। इस पर पलटवार करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी को सफल बताते हुए 2जी,कोल आवंटन,कॉमनवेल्थ को संगठित लूट बताया। इन आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच आइये हम एक वर्ष पीछे की ओर चलते हैं। सनद रहे कि 08 नवम्बर 2016  की रात 08 बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करते हुए कहा कि देश में चालू करेंसी में 500 व 1000 के नोट आज रात 12 बजे के बाद रद्दी कागज बन जायेंगे। इन नोटों के विमुद्रीकरण से देश की अर्थव्यवस्था का 85%चलन की इकॉनोमी ठप्प सी हो गई। दूसरे दिन बैंकों में लेन देन बंद कर दिया गया। देश में अघोषित आर्थिक आपातकाल जैसी स्थित बन गई। गरीब हो या अमीर सभी सरकार के इस निर्णय से सकते में आ गए। धीरे धीरे आशंका के बादल नई सुबह के साथ साथ छंटना शुरू हुआ। तीसरे दिन ही नोट बदलने के लिए बैंकों के बड़ी बड़ी लाइनों का लगना शुरू कर दिया। एटीएम के आगे रुपये निकालने के लिए लम्बी कतारें लगी।धीरे धीरे व्यवस्था पटरी आने लगी । लेकिन विपक्ष ने पूरे जीडीपी घटने की बात करते दिखे। वहीं सत्ता इस पर अपना बचाव करते दिखे। विगत में वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा को एक लिखित जबाव में सूचित किया कि "नोटबंदी के बाद आय करदाताओं की संख्या बढ़ी है। 2016 के नवंबर से 2017 के 31 मार्च तक कुल 1.96 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में 1.63 करोड़ और वित्त वर्ष 2014-15 में 1.23 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए थे। मंत्री ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य जीडीपी को बड़ा, स्वच्छ और वास्तविक बनाना था। ये तो सरकार का पक्ष था,जो कि नोटबंदी को देश के लिए फायदेमंद बताया। कांग्रेस ने त्रासदी व संगठित लूट की संज्ञा दे रहे हैं। उनका कहना है कि नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। हजारों रोजगार व्यक्तियों के हाथों से काम छीन लिया गया है। उद्योग धंधे ठप्प हो गए हैं।  पूरा वर्ष आरोप-प्रत्यारोप बीत गया । फिलहाल अब नोटबंदी को एक वर्ष बीत चुका है,वर्तमान में फायदा कम नुकसान अधिक दिख रहा है। नोटबंदी के बाद विकास का पहिया  थम सा गया था,  जिसका असर जीडीपी भी कम हुई। लेकिन ऐसा पहले भी हो चुका है ,ग्रोथ कम ज्यादा होता रहता है। उद्योग जगत में बंदी जैसा हाल तो नही था ,पर उत्पादन में गिरावट अधिक देखी गई।जोकि धीरे धीरे पटरी पर आ रही है। उदाहरण के तौर पर कार बाजार में कुछ विशेष मॉडल  की कार को छोड़ अधिकाँश मॉडल बड़ी मात्रा में उपलब्ध रहती थी। लेकिन अब स्थित ये है कि कारों की डिलवरी में 15 से 25 दिन तक लग रहे हैं। कार की देश में सबसे अग्रणी मारुती सुजुकी के एक अधिकारी ने बताया कि पहले हजारों की संख्या में गाड़ियां स्टॉक में तैयार रहती थी।  नोटबंदी व जीएसटी के चलते  उत्पादन पर सीधे असर डाला है, इसलिए बुकिंग के बाद ही कुछ हफ्ते में गाडी क्रेता को उपलब्ध कराते हैं। इधर भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 7,62,072 जाली नोट पकड़े गए, जो वित्त वर्ष 2015-16 में पकड़े गए 6.32 जाली नोटों की तुलना में 20.4 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष में नोटबंदी के बाद 500 रुपये और 1000 रुपये के जाली नोट तुलनात्मक रूप से अधिक संख्या में पकड़े गए। अब नोटबंदी के बाद पकड़े गए नकली नोटों की संख्या पिछले साल से कुछ ही ज़्यादा है, इसलिए यह पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि नोटबंदी का असर आतंकवाद और नक्सलवाद पर पड़ा है। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि कश्मीर में 'पत्थरबाज़ बेअसर हुए हैं। नकली नोट, आतंकवाद,भ्रष्टाचार में कमी हुई है।  जो भी हो अर्थशास्त्रियों का विकास दर में गिरावट का कारण उत्पादन  व निर्माण में कमी होना बताया है।इनका ये भी मानना है कि वर्तमान में नोटबंदी का तत्कालिक लाभ भले ही न मिले लेकिन इसके दूरगामी अच्छे परिणाम की उम्मीद अवश्य है। मोदी जी नोटबंदी के पीछे एक मंशा ये भी थी कि हमारा देश कैशलेश हो, इस तरफ लोगों रुझान बढा भी है। लेकिन अभी तक केवल 20 प्रतिशत ही लेनदेन कैशलेश हो पा रहा है। अभी इस तरफ अभी और जनता को जागरूक होने की जहमत उठानी होगी।अब देखना है कि नोटबंदी को राजनीतिकरण कर सियासी दल फायदे के लिए कब इस्तेमाल किया जाता रहेगा!
@NEERAJ SINGH


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