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चाहे करो जितने जतन , हम नही हैं मिटने वाले.....!

मैं भ्रष्टाचार हूँ , फिर भी शक्तिशाली हूँ,व्यापक हूँ, नस नस में समाया हूँ कहते हैं मुझको सिस्टम। मुझे मिटाने वाले ही खुद तो मिट गए ,लेकिन मुझे नही मिटा सके। ईमानदारी से मेरा मुकाबला रहता है। मेरे बिना हर काम अधूरा रहता है। लोकतांत्रिक देश में एक विशाल वट वृक्ष की तरह होती हैं,जिसकी जड़ें बहुत ही गहरी होती है। जिसका जीता जागता उदाहरण 2G स्पेक्ट्रम मामले देखा जा रहा है। इस घोटाले के चलते आई टी क्षेत्र के हजारों  कर्मचारियों को सर्विस से हाथ धोना पड़ा। अधिकारियों को जेल तक की हवा खानी पड़ी। और दोषी बिना सबूत रिहा हो रहे हैं। इस मामले पर निर्णय  सीबीआई अदालत के जज का कहना है कि सुबह से शाम तक सबूत का इंतजार करता रहता था लेकिन सीबीआई ने दोषियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नही दे पायी । और सबूतों के अभाव में बरी करना पड़ा। जज का ये बयान सीबीआई के कार्यशैली को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। विगत सात वर्षों से चल रही सुनवाई के दौरान जब आपको सबूत नही मिला तो किस विना पर केस दायर किया और सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंस रद्द किया गया। भारत में दूरसंचार क्षेत्र में निवेश करने वाली टेलीकॉम कम्पनियों को

मोदी मैजिक के आगे बेबस दिखी कांग्रेस

दो राज्यों के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। जिसमें बीजेपी ने अपने गढ़ गुजरात को न केवल बचाया बल्कि हिमाचल प्रदेश को कांग्रेस से छीनने में कामयाब रही है। इस तरह विगत साढ़े तीन वर्ष में बीजेपी की केंद्र की सरकार सहित 19 राज्यों में सरकार बना लिया है। अब हम सबसे अहम् चुनाव की बात करें जिसे भारतीय राजनीति में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी राज्य से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी आते हैं। इतना ही इसी राज्य के गुजरात मॉडल के चलते बीजेपी की सरकार केंद्र भी बनी थी।  हाल के गुजरात विधानसभा के चुनाव में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सभी बीजेपी के विरोधियों गुजरात मॉडल को लेकर ही हमला बोला है। और गुजरात में  22 वर्षों से चल रही बीजेपी सरकार को घेरने का मन बनाया । इसमें कांग्रेस व अन्य काफी सफल भी रहे। अब मोदी के गुजरात मॉडल को कसौटी पर कसा जाने लगा। राहुल गांधी भी गुजरात में डेरा डाल दिया और गांवों की खाक छानना शुरू कर दिया। इसी भी पाटीदार आंदोलन की अगुवाई कर रहे हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश, व अल्पेश ठाकोर,जैसे युवा नेताओं का भी साथ मिला। इतना ही नही व्यवसाइयों में gst को लेकर

चुनावों को प्रभावित करते अमर्यादित भाषा चुनावी सफलता के हैं कारक....!

 भारतीय राजनीति में चुनाव के समय पर जनता से सरोकार वाले मुद्दे गौड़ हो जाते हैं।  चाहे यूपी का चुनाव हो,लोकसभा का चुनाव या फिर अब गुजरात में चल रहे चुनावी में भी यही हो रहा है। गुजरात विकास का मॉडल लोकसभा में प्रमुख मुद्दा रहा था। गुजरात चुनाव के शुरुआत के दौर पर कांग्रेस ने जनता की जरूरतों व विकास को लेकर बीजेपी पर हमलावर हुई। लेकिन जैसे जैसे चुनावी सरगर्मी आगे बढ़ी , वैसे वैसे जनता के मूलभूत मुद्दे गायब होने लगे। सियासत जातियों को और बढ़ने लगी । दलित,पाटीदार जातियों की आरक्षण राजनीति हावी होने लगी। उधर मोदी, राहुल के द्वारा मंदिरों पर इनकी  परिक्रमा ने सुर्खियां बटोरने लगी। जाति से धर्म की ओर मुड़ने लगी।  फिर क्या था सियासत ने मुगल काल का भी दौरा किया जहाँगीर ,शाहजहाँ व औरंगजेब की भी आमद हुई। लेकिन ये सफर अभी नही थमा। ये सियासी सफ़र गुजरात के मान सम्मान से जुड़ा । इसके कारक रहे 2014 विवादित बोल के महारथी मणिशंकर अय्यर ने एक बार फिर मोदी को चाय वाला के बाद नीच कह कर गुजरात चुनाव में हलचल मचा दी। और बीजेपी व पीएम मोदी ने इस विवादित बोल को लपकने में देर नही लगाई। और इसे गुजरात की अस्मिता से

सबसे बड़ा हिंदूवादी कौन,कांग्रेस या भाजपा! फिर सेक्युलर कौन?

आज की राजनीति में कौन असली है ,कौन नकली पहचान करना मुश्किल हो रहा है। गुजरात चुनाव की बात करें  यहाँ दोनों राष्ट्रीय दल एक दूसरे से बड़ा हिन्दुवत्त्ववादी  दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। और एक दूसरे पर साम्प्रदायिक राजनीति करने आरोप लगाया जा रहा है। अब हम यहीं से अपनी बात शुरू करते हैं की कौन दल कितना सेक्युलर है ,साम्प्रदायिक  है या फिर दोनों पाक साफ़ हैं । बीजेपी का जन्म ही धार्मिक पृष्ठभूमि से हुई है। इसके विस्तार में भी धार्मिक आंदोलन की अहम भूमिका रही है। जब देश में मण्डल की राजनीति हावी थी ,ठीक उसी समय मण्डल को काटने का कार्य कमण्डल ने किया । 1984 में 02 सीटों वाली बीजेपी कमण्डल के बल पर 1989 में नौंवी लोकसभा में 85 सांसद सदन में पहुंचने में कामयाब हुए। वर्तमान में 285 सांसदों के साथ पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी जो देश पर 60 वर्ष से राज किया आज सत्ता से दूर हो गई है। जरा कांग्रेस की भी बात करते हैं जो बीजेपी को हिंदूवादी व साम्प्रदायिक बताने वाली पार्टी सोमनाथ मंदिर का संसद में बिल पास कर पुनर्निर्माण कराया तो वहीं बाबरी विवादित ढांचा पर 1949 म

अमेठी को कांग्रेस का दुर्ग कहना कितना मुनासिब !

देश की राजनीति की सुर्खियों में अमेठी एक बार फिर आ गई है। कांग्रेस का गढ कहे जाने वाली अमेठी में नगर निकाय चुनावमे जो किरकिरी कांग्रेस की हुई काफी सोचनीय है। 2009 के बाद जिस तरह कांग्रेस के इस दुर्ग में दिनों दिन हालात पार्टी के हाथ से फिसलते जा रहे हैं अब अमेठी को कांग्रेस का दुर्ग कहना बेमानी है ! नगर निकाय के परिणाम से राहुल की अमेठी एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। देश की राजनीति में अमेठी-अमेठी की गूंज चंहुओर सुनाई पडने लगी है। होना भी लाजिमी है क्योंकि राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र अमेठी जहां से गांधी परिवार का नाता काफी पुराना है। इस क्षेत्र में नगर निकाय के आये  हुए परिणामों की धमक पूरे देश में सुनने को मिल रही है। इस संसदीय क्षेत्र की सभी छः सीटों में से चार पर भाजपा ने अपनी पताका फहराने में कामयाब रही है। एक सीट पर सपा व एक पर निर्दल ने बाजी मारी है। कांग्रेस को अपने गढ में ही करारी हार का सामना पडा है।  गुजरात चुनाव में अमेठी के विकास के मुद्दे पर राहुल को अक्सर ही ही भाजपा घेरती रही है। लेकिन नगर निकाय के परिणामों ने भाजपा को राहुल पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। म

अस्तित्व के जद्दोजहद से जूझती गुजरात चुनाव में राजनीतिक पार्टियां !

राजनीति के कितने रंग होते हैं, और इन रंगों की होली कैसे खेली जाती है, नेताओं ने गुजरात चुनाव में पूरे दम ख़म के साथ दिखा रहे हैं।आज राजनीति भी सातों रंगों से सजी हुई है,भले ही काले रंग का जलवा कुछ अधिक ही दिख रहा है। अब आइये बात करते हैं देश में गुजरात चुनाव का महत्व क्या है ? आखिर देश की जनता की नजरे गुजरात विधान सभा चुनाव क्यों जमी हैं! मीडिया का जमावड़ा व कवरेज ये जरूर दर्शाता है कि जनता व देशवासियों में सवाल तो कई हैं,लेकिन जबाब कितने का मिलता है ये देखने की बात है। गुजरात विधान सभा चुनाव  का प्रचार अपने चरम पर है । सभी दल मतदाता को रिझाने का भरकस प्रयास किया जा रहा है। विकास,आरक्षण व जाति के मुद्दों  पर शुरू होने वाला ये चुनाव मंदिरों व गिरजाघरों से होके गुजरते हुए अब ये गुजरात गौरव व राष्ट्रवाद पर आकर टिक गया है।  कांग्रेस भी करो या मरो के नारे के साथ राहुल गांधी के नेतृत्व पूरी दमदारी से चुनावी वैतरणी पार करने के फ़िराक में हैं। जिसके खेवनहार के रूप में राहुल ने पटेल आंदोलन के मुखिया और चर्चित चेहरा हार्दिक पटेल  को चुना है। साथ ही पाटीदार आंदोलन के विरोधी चेहरा अल्पेश ठाकोर  व ऊन

पद्मावती फिल्म का विरोध-------- सामाजिक आक्रोश !

पद्मावती फिल्म को लेकर आजकल देश भर में आक्रोश व प्रर्दशन देखने को मिल रहा था। पहले तो इस फिल्म से क्षत्रिय व राजा रजवाडे ही विरोध करते हुए दिखे लेकिन अब अनेक हिन्दू संगठन भी सामने आ गये हैं। उनका कहना है हमारे इतिहास व संस्कृति के साथ फिल्म मेकर खिलावाड कर रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नही किया जा सकता है। इस बात से अनेक इतिहासकार व प्रबुद्ध वर्ग  का बडा तबका भी  सहमत दिख रहा है। करणी सेना के बैनर तले हजारों की संख्या में लोग देश भर में इस फिल्म के विरोध में लामबंद हो रहे हैं। इसे राजनीतिक रूप भी नेता लोग देने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा के अनेक नेता खुलकर सामने आ गये हैं। वहीं कांग्रेस में इसे लेकर मतभेद है। कांग्रेस के नेता शशि थरूर इसका समर्थन करते दिखे तो ज्योतिरादित सिंधिया खुलकर इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं। इस फिल्म में रानी पद्मावती के किरदार को तोड मरोड कर पेश करने की बात की जा रही है। जोकि गौरवशाली व बलिदानी जौहर करने वाली रानी का अपमान माना जा रहा है। जबकि फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली व पद्मावती का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का कहना है कि ऐसा कुछ नही है,पहले फिल्म

नोटबंदी के एक वर्ष का सफर ....सियासत का बना अहम मुद्दा....!

नोटबंदी के एक वर्ष पूरे हो गये। जिसे लेकर बुधवार के  दिन भर भाजपा ने नोटबंदी को सफल बताया तो विपक्षी दल फेल बता रहे हैं । कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी  ने 08 नवम्बर की सुबह की शुरुआत ही एक ट्वीट के जरिये किया वो भी शायरी के साथ लिखा कि .....      एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है,       तुमने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना। और नोटबंदी को देश की एक बड़ी त्रासदी कहा । ठीक एक दिन पूर्ब गुजरात में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को संगठित लूट की संज्ञा दी। इस पर पलटवार करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी को सफल बताते हुए 2जी,कोल आवंटन,कॉमनवेल्थ को संगठित लूट बताया। इन आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच आइये हम एक वर्ष पीछे की ओर चलते हैं। सनद रहे कि 08 नवम्बर 2016  की रात 08 बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करते हुए कहा कि देश में चालू करेंसी में 500 व 1000 के नोट आज रात 12 बजे के बाद रद्दी कागज बन जायेंगे। इन नोटों के विमुद्रीकरण से देश की अर्थव्यवस्था का 85%चलन की इकॉनोमी ठप्प सी हो गई। दूसरे दिन बैंकों में ले

समाज में अनैतिकता के खिलाफ की लड़ाई में सफर.... न्याय से इच्छा मृत्यु तक !

 समाज में आज भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कि मानवता को कलंकित करने में पीछे नही होते हैं। अपने से कमजोर लोगों को चाहे वो जाति के नाम ,धर्म के नाम पर परेशान करना इनकी फितरत में होता है। इनका शिकार कभी कभी दिव्यांग ही क्यों न हो । इन्हें तो इन लाचारों पर भी तरस नही आता है।इन पीड़ितों की सुनवाई शासन प्रशासन भी नही सुनते हैं। अंत में इन्हें मौत का ही सहारा दिखता है। आइये हम बानगी के तौर एक घटना का जिक्र करते हैं।  थानाक्षेत्र शिवरतनगंज के पूरे कैथन मजरे टेढ़ई निवासी एक दिव्यांग ने पडोसी दबंगों के आतंक से परेशान होकर गाँव से पलायन कर दिया और किराये पर हैदरगढ़ कस्बे में निवास कर रहे दिव्यांग ने प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है ।   जानकारी के मुताबिक गाँव निवासी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव अपने पड़ोसियों के आतंक से क्षुब्ध होकर गाँव से पलायन कर चुकें हैं प्रमोद कुमार श्रीवास्तव  की माने तो मामले की शिकायत को लेकर थाने से लेकर जनपद स्तरीय व राज्य स्तरीय उच्चाधिकारियों को भेजी थी परन्तु कोई कार्यवाही न होने से परेशान दिव्यांग ने गाँव से पलायन करने का निश्चय कर लिया और 9 सितम्

किशोरों का बाल्यावस्था व प्रौढावस्था के बीच मचलता बचपन

 आज का किशोरावस्था एक नई दिशा व पहचान के लिये उत्सुक  होता है । जिसके चलते इस शारीरिक परिवर्तन काल में मन में तरह-तरह विचार आते रहते हैं । यह उम्र एक अवस्था से दूसरी अवस्था की ओर अग्रसर रहता है । इसलिए इस परिवर्तन काल में अच्छे बुरे की पहचान ही नहीं हो पाती है, और कभी अच्छे कभी गलत कदम उठा लेते हैं जिसके कारण मन में तनाव जैसी स्थिति आ जाती है। किशोरवस्था बुद्धि का विकास पूर्ण नही होता है, फिर भी ये कुछ कर गुजरने की जहमत उठाने में गुरेज नही करते हैं। जिससे अपनी एक पहचान बना सकें और चर्चा में रहें। इनके लिए हर प्रतिस्पर्धा में जीत आवश्यक है। हार इन्हें जरा भी पसंद नही हैं। हार का मतलब सीधे सुसाइड समझते हैं। जबकि हार से ही जीत की शुरुआत होती है,पर कौन इन्हें समझाये। ये अवस्था ही आवेशित, उग्र, आक्रमक होती है।इन्हें प्यार व शांत मन से समझाया जा सकता है। अब किशोरों की लाइफ पहले से काफी बदल चुकी है। ये शिक्षक, महान खिलाड़ी,राजनीतिक , आदि को अपना आदर्श मानते थे। लेकिन अब तो वीडियो गेम में मशगूल रहने वाले किशोरों को गेम में मौजूद कैरेक्टर को अपना हीरो मान रहे हैं।एक नई आर्टिफिशियल माइंड जन्म ल

दूसरों के घर लक्ष्मी के आगमन पर जलने वाले दीपक बनाने वाले खुद दो जून की रोटी के लिए मोहताज

बाज़ार में चाइना के सामानों के व्यापक फैलाव  होने के कारण कुम्हारो का पुश्तैनी व्यापार बंद होने के कगार पर है ।मिट्टी के दीए बनाने वाले खुद दो जून की रोटी के लिए  मोहताज हो रहे हैं दीपावली पर सैकड़ों दीये खरीदने वाले मात्र धन की देवी के पास ही दिखे  जलाते हैं मिट्टी से बने दीपक से दूसरो के घरों को रोशन करने वाले कुम्हारो के  घर में अंधेरा हो रहा है रोशनी का पर्व दीपावली का  आमतौर पर वही उत्सुकता से इंतजार करने वाले कुम्हार बढ़ती महंगाई और दिखते  की जगह बिजली से जगमगाने वाली  चाइनीज झालरों और बल्बो से खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं सस्ते और आकर्षक होने का कारण पिछले कई सालों से दीपावली पर चाइनीज झालरों रंगीन मोमबत्ती होती हैं टिमटिमाते  बल्बों की खरीदारी की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ रहा है ग्रामीण शिल्पकारो का कहना है कि पहले हम लोग चार पांच महीने पहले से ही दीपावली पर बिकने वाले  दीया और भैया दूज पर बिकने वाले खिलौने बनाने में जुट जाते थे लेकिन अब वह बात नहीं रह गई कुछ दुकानों पर आज भी कुल्हडो  में चाय बिकती जिससे हम लोगों का व्यवसाय कुछ चल रहा है इसी वजह से हम लोगों की दाल रोटी चल

LOK DASTAK: दीपावली बिशेष...... एक दीप इन्हें भी समर्पित करें...

LOK DASTAK: दीपावली बिशेष...... एक दीप इन्हें भी समर्पित करें... : मां लक्ष्मी के पूजन के दीपावली के पर्व पर जहां लोग अपने अपने घरों व दुकानदारों पर साफ सफाई करते हुए मां के आगमन की तैयारी में जुटे हुए ...

दीपावली बिशेष...... एक दीप इन्हें भी समर्पित करें.....

मां लक्ष्मी के पूजन के दीपावली के पर्व पर जहां लोग अपने अपने घरों व दुकानदारों पर साफ सफाई करते हुए मां के आगमन की तैयारी में जुटे हुए हैं। साथ रंग रोगन व लाईटों से जगमगाने जा रहे हैं। वहीं जिला मुख्यालय गौरीगंज के ब्लाॅक मुख्यालय पर दो व्यक्ति ऐसे भी दिखे जो स्वतंत्रता सेनानी के समारक को सजाने में जुटे हुए दिखे। इसे देखकर संवाददाता के मन में कौतूहल जागा कि आखिर जब लोग अपने घरों व संस्थानों की सजावट में जुटे हुए हैं, तब ये व्यक्ति यहां क्या कर रहा है। जब पूंछा कि आप कौन है क्या कर रहे हैं! इस पर उस ब्यक्ति ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वे जिले के विकासखण्ड गौरीगंज के बासूपुर के प्रधान नरेन्द्र सिंह हैं। उन्होंने बताया कि कल मंगलवार को  जब हम विकासखण्ड मुख्यालय में इस रास्ते से आ रहे थे कि तभी देखा कि स्वतंत्रता सेनानियों का स्मारक स्थल पूर्ण रूप से गंदा पडा हुआ है। जबकि कि स्थल की दीवार से जुडा नगरपालिका का आफिस है औेर दर्जनों सफाई कर्मी आते हैं फिर भी ये पावन स्थल गंदा  और उपेक्षित पडा है। इसी पता चलता है कि नगर पालिका शहर में कितनी सफाई करती है। मुझे ये देख बहुत ही ग्लानि हुई

स्त्री,हमारी सोच और समाज

‌हमारी सोच से ही समाज की रूपरेखा तैयार होती है। कहने का मतलब ये है कि आप जिस नजरिये से समाज को देखते हैं, उस रूप में समाज दिखेगा। यानी आपके मन मष्तिष्क में चलने वाली फीचर ही पर सब कुछ निर्भर है। समाज में तो अच्छा बुरा सब कुछ है। अब आपको सोचना है कि अच्छे को अपनाया जाय फिर समाज की बुराइयों को अपनाना ठीक होगा,फैसला तो आपके मन पर है। महिलाओं के सशक्तिकरण कारण की बात करते हैं। लेकिन उनका सशक्तिकरण हमारे समाज को हजम नही हो पाता है। अगर घर की बहू सर्विस करने लगती हैं। तो लोग उसके बारे न जाने क्या सोचने लगते हैं।इतना ही नही चारित्रिक दोष का सर्टिफिकेट देने लगते हैं। जब उसके परिजन इन घटिया बातों को ध्यान नहीं देंगे , तब कहना शुरू करेंगे कि बहू कमाए तो घरवाले खाएँ। लेकिन जब तक वही बहू अपने मायके में बेटी बन कर कमाती तो कोई कहने वाला नही होगा। समाज में रहे रेपकांड  को पुरूष प्रधान समाज इसके लिए महिलाओं को ही दोषी माना जाता है।कम कपडे पहनना  ,अंगो का खुलापन इसका कारण मन जाता है।लेकिन जब 5साल से भी कम व 55 साल से अधिक महिलाओं के साथ रेप होना कम कपडे पहनना कारण है, कदापि ही नही है। ये विकृत मानसिक

क्या होगा इस पतित पावन देश का ..........!

मंथन..... कभी कभी देश की दशा व लोगों की सोच पर मंथन करता हूँ, मन द्रवित हो उठता है। जिस आजादी के लिए सौ वर्ष से भी अधिक संघर्ष करना पड़ा । लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी । तब जाकर देश आजाद हो सका । आज इसी आजादी का मजाक बनाया जा रहा है। हमारे राष्ट्रीय गीत ,राष्ट्रगान व राष्ट्र ध्वज को सांप्रदायिक नजरिये से देखने का काम हो रहा है। जिस ध्वज के तले अपनी जान न्यौछार करने वाले चाहे हिंदू रहे,मुस्लिम रहे या फिर सिख धर्म के रहे वो जाति- धर्म के नाम पर उनकी पहचान नहीं थी बल्कि एक भारतीय रूप में बलिदान किया था। ये उनका अपमान नही तो और क्या है। क्या हो रहा है हमारे संविधान ने देश की जनता को बोलने का मौलिक अधिकार दे दिया है तो इसका मतलब ये नही कि आप किसी को गाली देने लगो। राष्ट्र की अस्मिता से जुड़ी चीजों का अपमान करना शुरू कर दें,ये सही नही है। आज राष्ट्र भक्ति व राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों को बताना पड़ेगा! इससे देश की दशा व सोच का पता चलता है।लेकिन मायने ये रखता कितने इसका समर्थन करते हैं।  जब हाथों में ध्वज ,जुबान में बन्देमातरम् का गीत लिए अंग्रेजों से लड़कर स्वतन्त्रता के दीवानों ने अपने प्रा

गांधी परिवार की कर्मभूमि पर सियासत....!

          ‌एक बार फिर अमेठी सुर्खियों में आ गया है। आना भी लाजिमी है ,क्योंकि राहुल गांधी को अपने ही घर में आने से  प्रशासन द्वारा रोका जा रहा था । ये मेरा नही कांग्रेस के नेताओं का का कहना है। इस माह की 04 तारीख को राहुल गांधी का अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करने जा रहे हैं। वही भाजपा सूत्रों के अनुसार आगामी 10 अक्टूबर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी अमेठी दौरे पर आ रहे हैं। इससे लगता है कि अमेठी की सियासत का पारा चढ़ना तय है। जिसकी तपन का असर देश की राजनीति में दिखना तय है। हो भी क्यों न, ये गांधी परिवार की कर्मभूमि जो है। कांग्रेस का आरोप रहता है कि जब से यूपीए की सरकार गई यहाँ से सारे प्रोजेक्ट हटा लिए गये।,चाहे वो मेगाफूड पार्क हो या फिर पेपर मिल रहा हो। उनका आरोप है कि बीजेपी अमेठी के विकास को ठप्प कर दिया है। उधर भाजपा नेताओं का जबाब है कि गांधी परिवार ने दशकों से अमेठी की जनता को छलने का कार्य किया है। जो भी प्रोजेक्ट की बात कांग्रेस कर रही है ,सिर्फ हवा हवाई साबित हुई है। कांग्रेस के जिला प्रवक्ता अनिल सिंह का कहना है कि भाजपा ने अ

बापू के देश में हकीकत स्वच्छ भारत की.......!

‌आज हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी 148वीं जयंती को राष्ट्रीय स्वच्छता दिवस के रूप में विगत तीन वर्षों से मना रहे है। आज  स्वच्छता दिवस की तीसरी वर्षगांठ हैै। गाँधी जयंती के 145वें वर्ष 02 अक्टूबर 2014 को देश के प्रधानमंत्री ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत किया था।   पूरे देश में इसे लेकर काफी उत्साह देखने को मिला। मुंबई में लोग सड़कों पर दौड़े। तो दिल्ली सहित देश के बिभिन्न भागों में लोग झाड़ू लेकर सड़कों, पार्को सहित सार्वजनिक स्थानों पर जमकर सफाई गीरी  की गई। प्रिंट मीडिया ने बड़े बड़े कॉलम लिखे ,सरकारों ने विज्ञापन के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया । इलेक्ट्रॉनिक चैनलों ने स्वच्छता पर कार्यक्रमों को ऑर्गेनाइज किया, जिसमें डिवेट के साथ इस क्षेत्र में अच्छे कार्य करने वालों को पुरस्कार भी दिए गए। जिसमें उपराष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री जैसी हस्तियों ने भाग लिया । राष्ट्रपति आज के दिन पोरबन्दर पहुंचे। भारत सरकार के इस अभियान में गांधी जी के 150वीं जयंती 02 अक्टूबर 2019 पर देश को करीब 1.20 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा है जिसमें 1.96लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इससे करीब 2.50

सत्ययुग से कलयुग तक.....सफरनामा रावण का !

सत्ययुग से कलयुग तक.....सफरनामा रावण का ! ‌विजयदशमी के अवसर पर आप सभी को बधाई देते हुए आइये आज हम आपसे रावण के सतयुग से कलयुग तक के सफरनामा पर बात करते हैं।पहले बात करते हैं सतयुग के रावण की जो लंका का राजा था। एक ऋषि पिता व राक्षसी माँ का पुत्र था। वो शंकर का अनन्य भक्त व प्रकाण्ड विद्वान था। एक बाहुबली,महा पराकर्मी व  अह्नकारी राजा था।  उसने अपनी बहन का बदला लेने के लिए प्रभु राम की पत्नी माता सीता जी का छल से हरण कर लंका ले गए थे। जहाँ प्रभु राम ने उसे व पूरे वंश को मार कर माता सीता को छुड़ाकर ले आये थे। तब से लेकर अबतक इसे पर्व के रूप में मनाया जाता है। और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप विजयदशमी के दिन मनाया जा रहा है। और रावण व उनके परिजनों के पुतले जलाये जाते हैं। जो आज भी जारी है। लेकिन सतयुग से कलयुग आ गया है हर वर्ष रावण जी उठता है और फिर उसे जला कर मारना पड़ता है।  कभी आपने सोचा आखिर अब तक रावण को हर जलाना क्यों पड़ता हैं!  यही लगता है कि हम कागज के रावण मार देते हैं ,लेकिन मन में बसे रावण को युगों से मार नही सके हैं। यही कारण है कि मार कर भी उसे अपने व समाज में जीवित

विजयदशमी की शुभकामनाएं

सभी पाठकों को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व विजयदशमी की कोटिशः बधाई.....

क्या लिखूँ ,क्या न लिखूँ..........

इस टाइटल को देख आप सब सोच रहे होंगे कि ये क्या लिख दिया !  मैं कोई टॉपिक सोच ही रहा था कि जिस पर लिखना शुरू करूँ।  देश के हालात ही ऐसा है कि सच लिखना है तो नाराजगी भी झेलने के लिए तैयार रहना है।  समाज की पहली कड़ी मानव है, जिसका स्वभाव भी आज कुछ अलग हो हो चला है । इसका जिम्मेदार टेंशन से भरी जिंदगी है या हमारा समाज है। इसी उधेड़बुन में जिंदगी गुजर रही है। बुजुर्गों की बात माने आधुनिकता भरी जिंदगी में सुख सुविधा व विलासिता भरी है। लेकिन वो शान्ति,अपनत्व,दूसरों के दुख सुख में निस्वार्थ सहभागिता अब नही दिख रही है। लेकिन आज भागम भाग जिंदगी में ये सारी चीजे गायब हो चली है।  हाँ इतना जरूर है कि  पर हाल चाल होता रहता है। अब सवाल ये है कि इससे आपस में अपनत्व बढ़ता है ,शायद नही। लोगों में दूसरों के लिए टाइम नही होता है। बहाना होता है बिजी हूँ। मानता हूँ कि आपके पास टाइम नही है।  लोगों के सुख दुःख में जाते हैं ,कुछ देर बैठे और मेजबान से कहते भैया चलते हैं,और भी कुछ काम है। लेकिन होता ये  है कि घर पर पहुंच कर टीवी,या मोबाइल में बिजी हो जाते हैं या फिर किसी होटल या ऑफिस में बैठ कर गपशप करते हैं। ये

‌क्या लक्ष्य से भटक रहे हैं भारतीय युवा....?

भारत के पांच सर्वश्रेष्ठ विश्विद्यालयों में  BHU का शुमार होता है। आजकल यूनिवर्सिटी उसमें पढ़ रही छात्राओं की सुरक्षा को लेकर चर्चा में आ गया है।  महामना मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से सन् 1916 में स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय देश का जाना माना विशाल परिक्षेत्र में फैला शिक्षा का केंद्र है। भारत सहित कई देशों के करीब 30 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। कभी शिक्षा के लिए जाना जाने वाला ये यूनिवर्सिटी आज छात्राओं की असुरक्षा के लिए जाना जाता है। विगत 21 सितम्बर को एक छात्रा के साथ हुई छेड़छाड़ से आहत छात्राओं ने इसकी शिकायत यूनिवर्सिटी के वॉइस चाँसलर से किया लेकिन कोई कार्यवाही न होता देख रात में ही धरना देना शुरू कर दिया। इसी बीच पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू हो गई। और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया ,जिससे मौजूद दर्जनों  छात्राएं घायल हो गई। अब फिर क्या था सत्ता दल व यूनिवर्सिटी का प्रशासन पर जुबानी हमले तेज हो गए । यहीं नही बेटी बचाओं ,बेटी बढ़ाओ की योजना पर सवाल   खड़े कर दिए गए। देश के युवाओं को किस दिशा में ले जाने का कार्य किया जा रहा है।आज अपने भविष्य को ही  बगावत का पाठ पढ़ाया जा रहा है। BH

पाकिस्तान पर सुषमा की साइको सर्जिकल स्ट्राइक...!

पाकिस्तान पर सुषमा की साइको सर्जिकल स्ट्राइक...! भारत पाक के तल्ख रिश्तों के बीच पाक नेताओं के झूँठे प्रलाप के बीच सुषमा स्वराज ने UNGA में अपने सम्बोधन में जोरदार हमला बोलते हुए पाकिस्तान को वो आइना दिखाया जिसकी कल्पना न तो विदेशी मामलों के एक्सपर्ट ने किया था न ही पाकिस्तान के हुक्मरानों। भारत की विदेश मंत्री विश्व पटल पर पाक की बखिया उधेड़ कर रख दिया । पाकिस्तान की जनता पर पर साइको सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए कहा की दोनों देश साथ साथ आजाद हुए। लेकिन अब हम कहाँ  वो कहाँ!   हमने डॉक्टर बनाये उन्होंने जिहादी बनाये। हमने बैज्ञानिक  पैदा किया तो वो आतंकी । हमने एम्स बनाये,अंतरिक्ष पहुंचे, तो पाकिस्तान ने लश्करे तय्यबा, जैश ए मोहम्मद,इंडियन मुजाहिद्दीन, हक्कानी नेटवर्क बनाया। हम गरीबी से लड़ रहे हैं तो पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। हमारी पहचान विकास से होती है तो उनकी पहचान आतंकी देश के रूप में होती है।  इतना ही नही पाकिस्तान के साथ साथ सभी देशों को घेरते हुए कहा विश्व मंच पर सभी आतंक की भर्त्सना करते हैं , लेकिन आतंकवाद की परिभाषा पर आज भी सभी देश एकमत नही हो सके हैं। सभी देशों को मिलकर इसके

नवरात्रि की शुभकामनाएं.......

सुधी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं..... *सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते.* ╔══════════════════╗ ║       •||जय माता दी||•                                ║.       ╚══════════════════╝        *सुख, शान्ति एवम समृध्दि की*                   *मंगलमयी             *कामनाओं के साथ      आप एवं आप के परिवार जनो को नवरात्री की हार्दिक मंगल कामनायें। माँ अम्बे आपको सुख समृद्धि वैभव ख्याति प्रदान करे। जय माँ भवानी।।*                    *•||नवरात्री||•*                          *की*         *" हार्दिक " शुभकामनाएं !!!* 💐💐💐💐💐💐💐

देश हित सर्वोपरि या रोहिंग्या हित ........!

‌आज देश में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर काफी हंगामा बरपाया  जा रहा है। रोहिंग्या के बारे आज भी देश में काफी कण जानने वाले है कि रोहिंग्या की चिड़िया का नाम है। फिलहाल अखबारों की सुर्खियां व चैनलों की breaking ने जागरूक जनता को बता दिया है कि रोहिंग्या क्या है,इसका विवाद क्या है।  पडोसी मुल्क म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमान निकाले जा रहे हैं। इन्हें भारत में प्रश्रय देने क्यों जोर दिया जा रहा है ,सरकार इन्हें भारत में प्रश्रय देने से क्यों इंकार कर रही है क्योंकि ये मुस्लिम सम्प्रदाय से हैं! इन्हीं सब सवालों में उलझी हुई है रोहिंग्या जाति की समस्या । पहले ये जानना आवश्यक है कि रोहिंग्या से जुड़े तथ्य क्या है। रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के रखाइन  राज्य से हैं। बिगत के वर्षों में इनके बगावती तेवर से चितिंत होकर म्यांमार की सरकार ने इन्हें ये बताकर कि ये देश में आतंकी गतिगतिविधियों में लिप्त हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा का खतरा है। इस बात से इसलिए भी इत्तेफाक रखा जा सकता है ,क्योंकि इसी समुदाय से कई बड़े आतंकियों के सम्बन्ध पाये गए । यही सब कारण  सवाल बन गया कि उनके ही देश ने उन्हें निकाल

अब मेरे बाबू को कौन लौटायेगा..........

अब मेरे बाबू को कौन लौटायेगा....... ये दर्द भरी आवाज एक माँ की जो अपने नन्हे मुन्ने बच्चे को खो चुकी है। वो उसे अब खो चुकी जिसमें अपना भविष्य देख रही थी। जी हाँ हम बात करे हैं  रेयान स्कूल की घटना की जो शुक्रवार की सुबह घटित हुई थी और स्कूल में एक मासूम बच्चे प्रद्युम्न 06 वर्ष की गला काट कर हत्या कर दी गई। इस दर्दनाक घटना के होने की सूचना ने हर माँ बाप  को हिलाकर रख दिया, जिनके बच्चे इतनी हाई प्रोफाइल मंहगे स्कूल में पढ़ रहे हैं । एक बार उन्हें विश्वास नही हुआ की रियान जैसे इतने बडे संस्थान ये घटना हो सकती है। लेकिन हत्या की घटना हुई ,इससे इनकार भी नही किया जा सकता है। संस्थान की लापरवाही ने एक मासूम कीजान ले ली। इसी संस्थान की दक्षिणी दिल्ली शाखा में  स्कूल के वाटर टैंक में डूबने से दिव्यांश(06वर्ष) की मौत हो गई। यह अनहोनी वसंत कुंज स्थित रेयॉन इंटरनैशनल स्कूल में शनिवार को हुई। बच्चे के पिता रामहेत मीणा का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने उनको धमकाया और चुप रहने को कहा। उधर, स्कूल प्रबंधन घटना को हादसा बता रहा है, जबकि पुलिस ने लापरवाही से मौत का मुकद्दमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 2 द

पत्रकारों की जमात का विभाजन क्यों .........!

 जब हमारी पत्रकारों की जमात अपनी वरिष्ठ लेखिका गौरी लंकेश की हत्या के गम में डूबा हुआ है, ठीक उसी समय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ जिसे समाज का आइना कहा जाता है उसे भी विभाजन का कुत्सित प्रयास कुछ तथकथित सेक्युलर नेताओं द्वारा किया जा रहा है। जैसे ही गौरी लंकेश की हत्या बेंगलुरु में हुई कि उसके चंद मिनट में ही सोशल साईटों पर उनकी हत्या का जिम्मेदार भी बताया जाने लगा बिना जांच के ही। अब गौरी लंकेश की हत्या को सियासी जामा पहनाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी जा रही है। इतना ही नहीं एक निर्भीक, निडर निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाली महिला पत्रकार को बीजेपी विरोधी करार दिया गया। हिन्दू वादी संगठनों व बीजेपी पर भी आरोप लगाये जा रहे हैं कि उनकी हत्या में इनका हाथ है।  क्या ये सही है कि बिना किसी जांच के आरोप लगाये जाने चाहिए! हर पत्रकार के अपने अपने विचार होते हैं। इसी विचारों के चलते अक्सर ही हर दल व संगठन के प्रति अपना अलग ही नजरिया होता है। लेकिन इसका मतलब ये नही की जिसके विचारों  से पत्रकार के विचारों में विरोधाभास हो तो पत्रकार की हत्या कर दी जाय। ये समझ से परे है। रही बात गौरी लंकेश की  तो वो ब

कविता का नया विश्वास का नाम है कुमार विश्वास

आज की युवा पीढ़ी में कविता,कीर्तन, भजन के प्रति रोचकता कम होती जा रही है। इन विधाओं में कविता की हालत कुछ अधिक ही बद्तर होती जा रही थी। लोग कवि सम्मेलन में जाते जरूर लेकिन time कम ही देते थे। चार घंटे के बाद ही पांडाल खाली होना शुरू हो जाता था। श्रोता के नाम पर आयोजक मण्डल बचता और उनका साथ देते वे कवि मण्डली जिन्हें अपना परिश्रमिक पाना होता था। लेकिन इसी बीच साहित्यिक जगत में एक नया युवा कवि आया और ऐसा ऐसा करिश्मा दिखाया जनता सारी - सारी रात जग कर उसकी कविता की बारी का इंतजार करते हैं ।कविता को को नया आयाम देने काम किया। युवाओं में तो उसका विश्वास ऐसे जमा कि उन्हें कुछ ही समय में सुपर स्टार बना दिया । साहित्य के आंगन आने वाला ये सितारा कोई और नहीं कुमार विश्वास जी थे।.... कोई पागल समझता है,कोई दीवाना समझता है .......... जैसे गीत अथवा कविता की पंक्तियों ने युवाओं को इसका पागल कर दिया और सोशल साईट पर सारे रिकॉर्ड टूट गए। आज भी कोई फिल्मी गीत व कविता लोकप्रियता में इसे छू नहीं पायी है। हर युवा कुमार का दीवाना बन चुका था। पेशे से प्रोफेसर साहित्य के क्षेत्र में बड़ा कवि बन चुका था। उनकी ये

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए साबित होगी नई रोशनी....!

तलाक-तलाक .....ये तीन शब्द मुस्लिम महिलाओं के जीवन का सबसे भयावह शब्द और नारकीय जीवन की शुरूआत होती थी। जिसे याद करते ही इन महिलाओं की रूहें कांप जाती थी। लेकिन Supreem court के पांच सदस्यीय पीठ ने 22 अगस्त 2017 के फैसले से मुस्लिम महिलाओं की जिन्दगी में राहत भरी रोशनी लेकर आयी है। इस फैसले ने महिलाओं को सामाजिक समानता के अधिकार की ओर बढने वाला कदम माना जा रहा है। जोकि संविधान में लिंग व धर्म के आधार पर सभी के साथ भेदभाव न किये जाने की बात की गई है। मुस्लिम महिलाओं में इससे काफी आत्मविश्वास जगा और अपने हकों की लडाई को आगे ले जाने का बल मिला। आफरीन, तस्नीम, नेहा खान, समीना जैसी लाखों पीडित महिलाओं में न्याय की आस जगी है। इतना ही नहीं मुस्लिम महिलाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आत्मविश्वास व सुरक्षा की भावना जगी है। जानकारों का मानना है कि ये निर्णय सामाजिक बदलाव की एक बयार है जोकि आगे चल कर तूफान बनने में देर नही लगेगी। आल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लाॅ बोर्ड का अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर का कहना है कि इस फैसले हमारा आत्मविश्वास बढा है। तीन तलाक को रोकना है तो इसके कडा कानून बनाया ज

ये सन्नाटा क्यूँ है भाई............

आप सभी इस डायलॉग से परचित अवश्य होंगे क्यों की ये डायलॉग मशहूर फ़िल्म शोले का है। ये आज की राजनीतिक माहौल में सटीक बैठ रहा है। ममता दीदी के आज दिये बयान ने धर्मनिरपेक्ष का ढोंग रचने वाले नेताओं में इस विवादित बयान ने सन्नाटा  फैला दिया है । सब इसे लेकर गूँगे बन गए हैं। ममता ने दुर्गा पूजा व मोहर्रम के एक साथ पड़ने पर लाइन ऑडर की दुहाई देकर एक दिन यानी 01 अक्टूबर के दिन मूर्ति विसर्जन पर पूरे बंगाल में रोक लगा दी है। कोई सेक्युलर नेता ममता सरकार के घटिया निर्णय का विरोध करने हिमाकत  कर नही पा रहा है। क्योंकि कही विशेष समुदाय नाराज न हो जाये। इतना ही नही ममता के धुर विरोधी वामपंथी भी विरोध के बजाय हाँ में हाँ मिलाते tv चैनलों के डिवेट में दिख जायेंगे क्योंकि मामला अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ा है।  ममता दीदी के इस राजनीति को देख यही लगता है कि उनकी सरकार सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए ही बनी है। बाकी बंगाली जनता के लिए उनकी सरकार में कोई जगह नही है। माँ,मानुष व माटी का नारा शायद ममता सरकार भूल चुकी हैं।  जिस प्रकार एक विशेष धर्म की भावनाओं के लिए बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं हहत किया जा रहा है।