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चाहे करो जितने जतन , हम नही हैं मिटने वाले.....!



मैं भ्रष्टाचार हूँ , फिर भी शक्तिशाली हूँ,व्यापक हूँ, नस नस में समाया हूँ कहते हैं मुझको सिस्टम। मुझे मिटाने वाले ही खुद तो मिट गए ,लेकिन मुझे नही मिटा सके। ईमानदारी से मेरा मुकाबला रहता है। मेरे बिना हर काम अधूरा रहता है। लोकतांत्रिक देश में एक विशाल वट वृक्ष की तरह होती हैं,जिसकी जड़ें बहुत ही गहरी होती है। जिसका जीता जागता उदाहरण 2G स्पेक्ट्रम मामले देखा जा रहा है। इस घोटाले के चलते आई टी क्षेत्र के हजारों  कर्मचारियों को सर्विस से हाथ धोना पड़ा। अधिकारियों को जेल तक की हवा खानी पड़ी। और दोषी बिना सबूत रिहा हो रहे हैं। इस मामले पर निर्णय  सीबीआई अदालत के जज का कहना है कि सुबह से शाम तक सबूत का इंतजार करता रहता था लेकिन सीबीआई ने दोषियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नही दे पायी । और सबूतों के अभाव में बरी करना पड़ा। जज का ये बयान सीबीआई के कार्यशैली को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। विगत सात वर्षों से चल रही सुनवाई के दौरान जब आपको सबूत नही मिला तो किस विना पर केस दायर किया और सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंस रद्द किया गया। भारत में दूरसंचार क्षेत्र में निवेश करने वाली टेलीकॉम कम्पनियों को होने वाले घाटे की भरपाई कौन करेगा। गौरतलब हो कि 2G केस में बुधवार को स्पेशल सीबीआई कोर्ट के आए फैसले ने संयुक्त अरब अमीरात की एतिसलात, नॉर्वे की टेलिनॉर और रूस की सिस्टेमी जैसी उन टेलिकॉम कंपनियों को भारत सरकार के खिलाफ हथियार सौंप दिया जिनके लाइसेंस सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिए थे।  जानकारों का कहना है कि ये कंपनियां लाइसेंस आवंटन को खारिज किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 2.5 अरब डॉलर (करीब 160 अरब रुपये) के निवेश के नुकसान की भरपाई की मांग भारत सरकार से कर सकती हैं। ये तो बाद की बात है। देश की जनता को इस फैसले ने हिला कर रख दिया है। उनकी इस मान्यता पर एक बार फिर मुहर लग गई कि भ्रष्टाचार करने वाली बड़ी मछलियों को सजा मिलती नही और छोटी मछलियों को बलि का बकरा बनाया जाता है। 01 लाख 76 हजार करोड़ के घोटाले में UPA सरकार के मंत्री ए राजा, डीएमके की राज्यसभा सांसद कनुमोई सहित 17 को अप्रैल 2011 में आरोपी बनाया गया था। दरअसल कोर्ट ने तीन मामलों की सुनवाई की है, जिसमें दो सीबीआई और एक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का है।
पहले सीबीआई केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के अलावा डीएमके के राज्यसभा सांसद कनिमोई, पूर्व टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए. राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदौलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक कंपनी के एमडी संजय चंद्रा, कुशेगांव फ्रूटस एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा व राजीव अग्रवाल, कलाईगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और सिनेयुग फिल्म्स के करीम मोरानी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी गौतम जोशी, सुरेंद्र पिपारा, हरि नैयर आरोपी हैं। इसके अलावा तीन कंपनियों स्वान टेलीकॉम लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडू) को भी आरोपी बनाया गया था। सीबीआई की इस प्रकार की असफलता कोई नई बात नही है। इससे पूर्व में कई हाईप्रोफाइल मामले में फेल हो चुकी हैं। एक बार तो सीबीआई की कार्यप्रणाली से आहत होकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी तल्ख़ टिप्पणी देते हुए कहा कि सीबीआई की हालत पिंजरे में बंद  तोता जैसी है। चर्चित बेफोर्स मामले में 31 मई 2005 को  हिंदुजा बंधुओं श्रीचन्द, गोपी चन्द , प्रकाश चन्द सहित बेफोर्स कंपनी के अधिकारियों को बरी कर दिया था। क्योंकि सीबीआई ने उनके खिलाफ सबूत नही इकट्ठा कर कोर्ट में नही पेश कर सकी। 2G स्पेक्ट्रम मामले के दो अन्य मामले में भी यही हुआ था। देश की सबसे चर्चित मर्डर मिस्ट्री आरुषि-हेमराज हत्याकांड में असिलयत नही खोल सकी । अभी एक दिन पूर्व मुम्बई के आदर्श सोसायटी घोटाला में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहाण को भी कोर्ट ने सबूत के अभाव में रिहा कर दिया है। देश की जनता का सीबीआई पर सशंकित होना लाजमी है। हाँ एक राहत भरी बात ये जरूर आई कि देश के जाने माने भ्रष्टाचारी राजनेता लालू प्रसाद यादव को 1100 करोड के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में कोर्ट ने पुनः जेल की राह दिखाई है। लेकिन उनके सहयोगी जगन्नाथ मिश्र का बरी होना अवश्य ही चौंकाने वाली बात है। कोर्ट ने लालू के 1990 के बाद बनाई गई सम्पति को भी जब्त करने का भी आदेश दिया। 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में केंद्र सरकार का कहना है कि जब केस दायर हुआ था तो उन्ही की सरकार थी और हेरिंग उसी समय की है। अब हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। कोई भी भ्रष्टाचारी नही बचने पायेगा। जो भी हो भ्रष्टाचार देश के विकास में दीमक की तरह है। इसे ख़त्म करना सरकारों की जिम्मेदारी है। इतना अवश्य ध्यान देने की जरूरत है कि इसके दोषी नीचे स्तर के हों या फिर बड़ी पहुँच वाले हों,सभी को समान  सजा मिलना सुनिश्चित करें। फिलहाल भ्रष्टाचार रूपी पेड़ की जड़े बहुत गहरी हैं। इसके सूखने बहुत समय लगेगा।  इसलिए चाहे करो जितने जतन , हम नही हैं मिटने वाले.... ये लाइनें सटीक बैठ रही हैं।
@NEERAJ SINGH
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