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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या होगा इस पतित पावन धरती का------------------!

सूचना क्रान्ति के दौर में भी भंयकर पिछड़ा है अमेठी जनकवि और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने अमेठी जैसे वीवीआईपी लोकसभा क्षेत्र में भी 2 जी और 3जी जैसी सेवायें न चलने पर रोष जताते हुए कहा है कि देश 21 वीं शताब्दी में पहुंच गया है और अमेठी के लोगों को 16 वीं शताब्दी में रहने के लिए विवश होना पड़ रहा है। सूचना क्रान्ति के जबरदस्त बदलाव के बाद भी अमेठी के लोगों को टेक्नोलॉजी से जानबूझ कर वंक्षित रखा गया है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि अमेठी का नाम एक बड़े परिवार से जुड़ने के कारण दुनिया भर में लिया जाता है। लेकिन अमेठी को असल में देखने के बाद महसूस होता है कि जनता को केवल ठगा गया है। यहां केवल वंशवाद के नाम पर जनता को भ्रमित करके अपनी जगह तो संसद में तय की गयीए लेकिन अमेठी लोकसभा क्षेत्र के लोगों को सूचना क्रान्ति के युग में भी कोसों दूर रखा गया है। डॉ कुमार ने कहा ये सब इसलिए किया गया है कि अमेठी के लोग अगर सूचना क्रान्ति के साधनों जैसे टीवीए इंटरनेटए टिव्टरए फेसबुक जैसे साधनों से अगर रुबरु हो जाऐंगे तो अपने जनप्रतिनिधि की हकीकत भी सामने आ जाएगी। डॉ वि

स्तरहीन पत्रकारिता व व्यवसायीकरण

पत्रकारिता अब सामाजिक सरोकार से दूर हो चली है,ये वो पत्रकारिता  नही रह गई है जो कि समाज को अच्छे बुरे का फर्क समझााने के लिए एक आईना का काम करती थी के परिवेष में आईने में दिखने वाली आकृति धूमिल जरूर दिखने लगी है। हो भी क्यों न अब तो इसका पूर्ण व्यवसायीकरण हो चला है। जब मैं मास काॅम कर रहा था । तो पत्रकारिता के इतिहास के बारे में पढने को मिला तो लगा कि पत्रकार  द्वारा पत्रों को आकार देने का काम नही करते बल्कि एक बडे समाज सुधारक की भूमिका में अपने दायित्व निर्वहन करते हैं। ये सब पढते पढते मैं उन अतीत के लेखनी के शूरबीरों के प्रति नतमस्तक होने के लिए मन व्याकुल हो चलता था। बताया गया कि पत्रकारिता अनेक प्रकार की होती है। उसमें से पीत पत्रकारिता के लिए बचने की सलाह दी जाती है । लेकिन जब हम बडे ही मनोयोग से समाज सेवा व समाज में एक नई भूमिका के निभाने को आतुर हुआ।शुरूआती दिन अच्छे चले लेकिन कुछ दिनों में ही ये आतुरता व पत्रकारिता का वेग थमने लगा और सपनों का ख्याली पुलाव धीरे धीरे कपूर की मानिंद उडने लगा। कलम चलने की शुरूआत से चला सफर धीरे धीरे पत्रकारिता में आये बदलाव के थपेडों का झेलता रहा