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मौसमी घोटाला------------!

दोस्तों आपको अजीब लगा होगा कि बहुत घोटाले सुने हैं लेकिन ये घोटाला कौन सा है। आपको बता दे कि ये घोटाला मौसम के अनुसार ही होता है यही हकीकत है। ये प्रत्येक वर्ष आता आईये जरा इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं। इस मौसमी घोटाले का सम्बंध गरीबी से जुडा हुआ है। सर्दी का मौसम आ चुका है, जिन गरीबों के तन पे कपडा नही है उनको ठंड लगना लाजिमी है। इसके लिए उनके लिए गर्म कपडे का बंदोबस्त करना स्वाभाविक है। इसके लिए सरकार सहित बहुत सी स्वयं सेवी संस्थायें सक्रिय हो जाती है। गरीबों के बदन ढकने और उन्हे ठंड से राहत पहुंचाने के लिए जुट जाते हैं। लेकिन इनके पीछे बहुत ही बडा गोरख धंधा होता है जोकि गरीबों की आड में ये खेल खेला जाता है। अब जानिए ये कैसे होता है। पहले सरकार इमदाद के बारे में बात करते हैं जिसमें कम्बल बांटने के लिए प्रदेश सरकारें जिलों को धन आवंटित करती है जिन्हे जिले का प्रशासन कम्बल आपूर्ति के लिए बाकायदा टेण्डर निकालता है । सबसे कम रेट वाले को कम्बल आपर्ति के लिए नियुक्ति किया जाता है,फिर शुरू होता है असली खेल जिसमें करीब तीन सौ के आस पास के रेट की स्वीकृति होती है और कम्बल की सप्लाई

सरलता,ईमानदारी एवं त्याग की प्रतिमूर्ति थे डा0रूद्र प्रताप सिंह

पूर्व सांसद डा0 रूद्र प्रताप सिंह का निधन अमेठी- ईमानदार व कर्मठ पूर्व संासद डा0 रूद्रप्रताप सिंह के बीमारी के चलते चलते आकस्मिक निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी। कस्बा व्यापारियों ने दुकाने बंद करके शोक सभा में दो मिनट का मौन रखकर श्रन्द्राजंलि अर्पित की। दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे जामों रियासत के राजा व पूर्व सांसद डा0 रूद्रप्रताप सिंह 80 वर्ष का निधन लखनऊ में एक निजी अस्पताल में भोर सुबह तीन बजे हो गया। ये कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड गई। उनके पैतृक गांव जामों में लोगों सूचना मिलते कस्बा जामों के बाजार की दुकानें एवं स्कूल व कालेज बंद हो गये। निधन की सूचना पर उनके भतीजे प्रतापगढ एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ऊर्फ गोपाल व गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह लखनऊ आवास पहुंच गये। लखनऊ में ही उनकी अंतेष्टि किया गया,उन्हे इकलौते पुत्र रविप्रताप सिंह मुखाग्नि दी । जगदीशपुर विधायक राधेश्याम सहित विशिष्टगण मौजूद रहे।जामों कस्बे के व्यापारियों ने कस्बे में व्यापारमण्डल अध्यक्ष शिवप्रताप मिश्र की अध्यक्षता में दो मिनट का मौन रखकर श्र

पंचायत चुनाव में एसी व देशी का जलवा कायम

नीरज सिंह अभी तो ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है,ये फिल्मी डायलाग इस पंचायत चुनाव में सटीक बैठ रही है। एसी व देशी दोनों शबाब पर है। सच बात है त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की गर्माहट साफ दिखने लगी है। कोर्ट में पडी अपीलों पर निर्णयों का असर दिख जरूर जाता है लेकिन राजनीतिक तपन थमने का नाम नही ले रही हैं। पंचायत चुनाव के समर में बडे बडे सूरमा विभिन्न वार्डो से अपनी भाग्य अजमाने के लिए कूद पडे है। सुबह शाम मतदाताओं की चैखट चूमने के अलावा गांव की गलियों की धूल फांक रहे है। जहां एक ओर बीडीसी प्रत्याशी अपने मतदाता को रिझाने के लिए गांव गांव भटक रहे हैं और विकास कराने की कसमें खा रहे हैं। वहीं जिला पंचायत सदस्य का चुनाव इस चुनाव से थोडा इतर है। इस बार के चुनाव में प्रचार का तरीके में प्रत्याशियों ने कुछ बदलाव लाया है। जहां पहले की तरह देशी का जलवा कायम है वहीं इस बार एसी लग्जरी वाहनों का भी जलवा कायम हो चुका है। जिले के लगभग सभी वार्डों में प्रत्याशियों के साथ सफारी,इनोवा,क्वालिस, व स्कार्पियों जैसे लग्जरी वाहन काफिले में शामिल हैं। उनके साथ रंगरूट कार्यकत्र्ताओं का चलना चलन बन गया है। प्रत्याशी क

दिलचस्प बन रही अमेठी की सियासत.......................

दिलचस्प बन रही अमेठी की सियासत....................... अमेठी की राजनीति कितना करवट बदल रही है ये हाल के दिनों में राजनीतिक सरगर्मियां बता रही हैं। कैसे कांग्रेस के युवराज व पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भाजपा एक चक्रव्यूह में घेरने की कवायद में जुट गयी है। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की करीबी समझे जाने वाली स्मृति ईरानी को उतार कर जहां तगड़ी चुनौती दी थी। जब से लेकर अब तक स्मृति ईरानी बराबर अमेठी में आ रही हैं। और कोई ऐसा मौका नही छोड रही हैं कि जब कांग्रेस को घरने का काम न किया हो। इतना ही नही अब वहीं प्रधानमंत्री के बेहद करीबी समझे जाने वाले रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर को भी राहुल को अमेठी में घेरने के लिए मोदी की एनडीए सरकार ने लगा दिया है। उत्तर प्रदेश में राज्य सभा में गये रक्षा मंत्री ने राहुल गांधी के ही संसदीय क्षेत्र के एक गांव को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद ले लिया है। जिसको लेकर कांग्रेस के पेशानी पर कुछ ज्यादा ही बल पड़ गया है। अभी तक तो कांगे्रस स्मृति ईरानी के आने को लेकर ही हलाकान रहती थी। कल ही कांग्रेस ने रविवार को अमेठी आ रही केंद्रीय मं

आलोचना करना देशद्रोह !

क्या आलोचना करना देशद्रोह है? : महाराष्ट्र सरकार ने सर्कुलर जारी करके कहा है कि सरकार और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ टिप्पणी करने पर देशद्रोह का केस दर्ज होगा. बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी सरकार भी अभिव्यक्ति का गला घोंटने वाली है. सवाल ये भी कि क्या आलोचना करना देशद्रोह है. महाराष्ट्र सरकार ने इसी केस में हाईकोर्ट के निर्देश का हवाला सर्कुलर जारी किया है जिसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लिखकर, बोलकर, संकेतों के जरिये या चित्रों के माध्यम से या किसी भी और तरीके से सरकार के प्रतिनिधि या जन प्रतिनिधि के खिलाफ नफरत, अपमान, अलगाव, दुश्मनी, असंतोष, विद्रोह या हिंसा का भाव पैदा करता है या ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत कार्रवाई हो सकती है. महाराष्ट्र सरकार के इस आदेश में मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के अलावा ज़िला परिषद अध्यक्षों और पार्षदों को भी जन-प्रतिनिधि माना गया है. यानी इन सभी के खिलाफ की गयी आपत्तिजनक टिप्पणी देशद्रोह के दायरे में मानी जा सकती है. आदेश में आईपीसी की जिस धारा 124ए का जिक्र किया गया है, वो देशद्रोह के मामले में लागू होती है. देशद्रोह

बिन्दास बोल ------

Iभारत के हुक्मरानों को क्या हो गया है कि यह पाकिस्तान से बात करने के लिए बेचैन क्यों रहते हैं। हर बार मिलता है धोखा;झूठ व मक्कारी।कितना चोंचले बाजी कर विश्व को जताने की आवश्यकता नहीं है कि हम सही है। कोई जरूरत नहीं है इस आतंकवादी देश से बात करने की । देश की जनता के मनोदशा को समझना चाहिए और इस पडोसी देश को कठोर सबक सिखाने की आवश्यकता है। लेकिन क्या ऐसा संभव है इस देश के कर्णधार नेता पाकिस्तान को ढंग से सबक सीखा सकेंगे।तभी तो जनता के मुखार विन्दो यही निकलता है

कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद शरीर के अंदर होने वाले प्रभाव

सॉफ्ट ड्रिंक से जुड़ी एक खबर ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। ब्रिटेन के पूर्व फार्मासिस्ट नीरज नाइक ने 'दी रेनिगेड फार्मासिस्ट' नाम के अपने ब्लॉग में कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद शरीर के अंदर होने वाले प्रभावों को सबके सामने लाया है। इस ब्लॉग में उन्होंने दिखाया है कि कोका कोला पीने के 1 घंटे के अंदर शरीर में क्या-क्या होता है। सोशल साइट्स पर भी यह जानकारी काफी वायरल हो रही है। डेली मेल के मुताबिक, नीरज नाइक ने एक ग्राफिक के माध्यम से बताया कि कैसे ये ड्रिंक्स शरीर से जरूरी खनिज तत्व बाहर कर देते हैं और आदमी मानसिक व शारीरिक रूप से बदलने लगता है: पहले 10 मिनट: जब आप कोक का1 कैन पीते हैं तो आपके शरीर में 10 चम्मच शुगर एकसाथ जाती है। ये मात्रा 24 घंटे में लिए गए शुगर के बराबार होती है। अचानक इतना मीठा खाने से आपको उलटी भी हो सकती है लेकिन इसमें मिले फॉस्फोरिक एसिड के कारण ऐसा नहीं होता। 20 मिनट बाद: पीने के 20 मिनट बाद ही पीने वाले की ब्लड शुगर एकदम से बढ़ जाती है, जिसके कारण शरीर से इंसुलिन तेजी से निकलता है। शरीर का लिवर इस पर प्रतिक्रिया करता है और इसे फैट में बदलने लगता ह

न्यायपालिका के फैसलों का लोकतंत्र में समानता के प्रहरी

उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने आज एक पिटीशन पर एक बार फिर ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा है कि मदरसों पर झण्डारोहण एवं राष्ट्रगान अनिवार्य है। अगर ऐसा नही है तो देश का अपमान है जोकि राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में है। माननीय न्यायालय ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि तत्काल सर्कुलर जारी करे। ये बात अहम नहीं कि फैसला कोर्ट ने क्या दिया । इससे अधिक अहम बात ये हैे कि देश की कार्यपालिका को जो करना है वो आज न्यायपालिका कर रही है। कार्यपालिका पर राजनीति इतनी हावी हो गई कि देश हित में क्या हो रहा है इससे अधिक देश के कर्णधारों की राजनीति नफा नुकसान अधिक देखा जा रहा है। इस दरम्यान न्यायपालिका के कुछ महत्वपूर्ण फैसले आये हैं। जोकि समानता के मूल अधिकार को परिलक्षित करता है। प्रोमोशन में आरक्षण, अधिकारियों, न्यापालिका से जुडे बच्चों को प्राथमिक विद्यालय में पढाये के फैसलों समाज के हर तबकों से भूरि भूरि प्रशंसा मिली है। इसी कडी में मदरसों में झण्डारोहण एवं राष्ट्रगान अनिवार्य करना देश में सामाजिक समानता की ओर माननीय न्यायालय एक औेर कदम है। बिगत वर्षों में जिस प्रकार देश में राजनीति में संकीर्णता दिखी है वह सो

कौवा पंचायत बन के रह गयी है हमारे देश की स्ंसद

स्ंसद की कार्यवाही शायद सांसदों के लिए राजनीति का अखाडा मात्र रह गया है। उसकी अहमियत क्या है, देश की प्रगति विकास के लिए कितनी अहम है, जनता के नजर में क्या मायने रखती है! इन सवालों का जबाब देने की आवश्यकता नही है। जनप्रतिनिधियों को इससे कोई लेना देना नही रह गया है। हां रह गया ये जरूर है कि देश हित के कार्य न होकर व्यक्तिगत अरोपों प्रत्यारोपों का केन्द्र बन रह गया है विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र का संसद भवन। सैकडों साल के राजनीतिक अनुभव वाली कांग्रेस हो या जनसंघ वाली भाजपा या फिर समाजवादी और वामपंथी विचाराधारा वाले दल सभी अपने गौरवमयी इतिहास को भुलाकर सिर्फ कौवा पंचायत बन के रह गयी है हमारे देश का सबसे बडा अंग जहां से देश की दिशा व दशा तय होती है। देश में स्वास्थ्य,शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, सुरक्षा, रोजगार जैसे ज्वलंत मुद्दों को छोड हमारे सांसद एक दूसरे को नीचा दिखाने का कार्य किया जा रहा है। आखिर जनता पूंछती है क्या हम इसी लिए अपना अमूल्य वोट देकर भेजा है कि सुषमा स्वराज क्यों ललित मोदी की मदद की जैसे बिना सिर पैर के मुद्दों पर बहस हो कि हमारी समस्याओं के निराकरण के लिए चुना है, ये अहम सवाल

सिस्टम में नासूर बन चुका है भ्रष्टाचार

सिस्टम में नासूर बन चुका है भ्रष्टाचार दोस्तों ---- आयुक्त कार्यालय गया था एक कार्य के सिलसिले में वहां पहुंच कर पता किया कि इस कार्य से संबंधित बाबू जी कौन है।जिससे पूछा उस बाबू ने सामने पड़ी कुर्सी पर बैठे सज्जन की ओर संकेत करते हुए कहा कि वह ही है। मैं उनके पास गया तो पूछा कि क्या काम है;मैंनेअपना कार्य बताया तो बड़ी शालीनता का परिचय देते हुए कहा कि आपके सारे कागजात अभी नहीं आये हैं।उसे लेकर आएंगे तभी काम संभव है। मैंने उसी समय जिले के बाबू से पूछा कि आपने कहा था कि कागजात भेजे हैं लेकिन यहां तो नहीं है। तब बाबू ने जो जबाब दिया मैं सन्न रह गया ।जरा जबाब सुनिये ---भाई ऐसे काम नहीं होता है कुछ ले देकर बाबू को सेट करो नहीं तो घूमते रहोगे। ये हालत है हमारे सिस्टम की। मैं पत्रकार हूँ मैं समझता था कि कोई भ्रष्टाचारी ये बातें नहीं करने की हिम्मत नहीं करेगा। लेकिन आज ये दम्भ भी टूट गया। आखिर इस भोली भाली जनता कैसे इन भेडियों के रूप में बैठे भ्रष्टाचारियों को झेलते होंगे। कार्यपालिका के पूरे सिस्टम में वायरस की तरह फैल चुका है। और खुले आम जनता को जोंक की तरह चूस रहे हैं। नीचे से लेकर ऊपर

लोकतांत्रिक विचारधारा का हास !

लोकतांत्रिक विचारधारा का हास ! स्ंासद की कार्यवाही शायद सांसदों के लिए राजनीति का अखाडा मात्र रह गया है। उसकी अहमियत क्या है, देश की प्रगति विकास के लिए कितनी अहम है, जनता के नजर में क्या मायने रखती है! इन सवालों का जबाब देने की आवश्यकता नही है। जनप्रतिनिधियों को इससे कोई लेना देना नही रह गया है। हां रह गया ये जरूर है कि देश हित के कार्य न होकर व्यक्तिगत अरोपों प्रत्यारोपों का केन्द्र बन रह गया है विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र का संसद भवन। सैकडों साल के राजनीतिक अनुभव वाली कांग्रेस हो या जनसंघ वाली भाजपा या फिर समाजवादी और वामपंथी विचाराधारा वाले दल सभी अपने गौरवमयी इतिहास को भुलाकर सिर्फ कौवा पंचायत बन के रह गयी है हमारे देश का सबसे बडा अंग जहां से देश की दिशा व दशा तय होती है। देश में स्वास्थ्य,शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, सुरक्षा, रोजगार जैसे ज्वलंत मुद्दों को छोड हमारे सांसद एक दूसरे को नीचा दिखाने का कार्य किया जा रहा है। आखिर जनता पूंछती है क्या हम इसी लिए अपना अमूल्य वोट देकर भेजा है कि सुषमा स्वराज क्यों ललित मोदी की मदद की जैसे बिना सिर पैर के मुद्दों पर बहस हो कि हमारी समस्याओं के

क्या होगा इस पतित पावन धरती का------------------!

सूचना क्रान्ति के दौर में भी भंयकर पिछड़ा है अमेठी जनकवि और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने अमेठी जैसे वीवीआईपी लोकसभा क्षेत्र में भी 2 जी और 3जी जैसी सेवायें न चलने पर रोष जताते हुए कहा है कि देश 21 वीं शताब्दी में पहुंच गया है और अमेठी के लोगों को 16 वीं शताब्दी में रहने के लिए विवश होना पड़ रहा है। सूचना क्रान्ति के जबरदस्त बदलाव के बाद भी अमेठी के लोगों को टेक्नोलॉजी से जानबूझ कर वंक्षित रखा गया है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ कुमार विश्वास ने कहा कि अमेठी का नाम एक बड़े परिवार से जुड़ने के कारण दुनिया भर में लिया जाता है। लेकिन अमेठी को असल में देखने के बाद महसूस होता है कि जनता को केवल ठगा गया है। यहां केवल वंशवाद के नाम पर जनता को भ्रमित करके अपनी जगह तो संसद में तय की गयीए लेकिन अमेठी लोकसभा क्षेत्र के लोगों को सूचना क्रान्ति के युग में भी कोसों दूर रखा गया है। डॉ कुमार ने कहा ये सब इसलिए किया गया है कि अमेठी के लोग अगर सूचना क्रान्ति के साधनों जैसे टीवीए इंटरनेटए टिव्टरए फेसबुक जैसे साधनों से अगर रुबरु हो जाऐंगे तो अपने जनप्रतिनिधि की हकीकत भी सामने आ जाएगी। डॉ वि

स्तरहीन पत्रकारिता व व्यवसायीकरण

पत्रकारिता अब सामाजिक सरोकार से दूर हो चली है,ये वो पत्रकारिता  नही रह गई है जो कि समाज को अच्छे बुरे का फर्क समझााने के लिए एक आईना का काम करती थी के परिवेष में आईने में दिखने वाली आकृति धूमिल जरूर दिखने लगी है। हो भी क्यों न अब तो इसका पूर्ण व्यवसायीकरण हो चला है। जब मैं मास काॅम कर रहा था । तो पत्रकारिता के इतिहास के बारे में पढने को मिला तो लगा कि पत्रकार  द्वारा पत्रों को आकार देने का काम नही करते बल्कि एक बडे समाज सुधारक की भूमिका में अपने दायित्व निर्वहन करते हैं। ये सब पढते पढते मैं उन अतीत के लेखनी के शूरबीरों के प्रति नतमस्तक होने के लिए मन व्याकुल हो चलता था। बताया गया कि पत्रकारिता अनेक प्रकार की होती है। उसमें से पीत पत्रकारिता के लिए बचने की सलाह दी जाती है । लेकिन जब हम बडे ही मनोयोग से समाज सेवा व समाज में एक नई भूमिका के निभाने को आतुर हुआ।शुरूआती दिन अच्छे चले लेकिन कुछ दिनों में ही ये आतुरता व पत्रकारिता का वेग थमने लगा और सपनों का ख्याली पुलाव धीरे धीरे कपूर की मानिंद उडने लगा। कलम चलने की शुरूआत से चला सफर धीरे धीरे पत्रकारिता में आये बदलाव के थपेडों का झेलता रहा