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सितंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सत्ययुग से कलयुग तक.....सफरनामा रावण का !

सत्ययुग से कलयुग तक.....सफरनामा रावण का ! ‌विजयदशमी के अवसर पर आप सभी को बधाई देते हुए आइये आज हम आपसे रावण के सतयुग से कलयुग तक के सफरनामा पर बात करते हैं।पहले बात करते हैं सतयुग के रावण की जो लंका का राजा था। एक ऋषि पिता व राक्षसी माँ का पुत्र था। वो शंकर का अनन्य भक्त व प्रकाण्ड विद्वान था। एक बाहुबली,महा पराकर्मी व  अह्नकारी राजा था।  उसने अपनी बहन का बदला लेने के लिए प्रभु राम की पत्नी माता सीता जी का छल से हरण कर लंका ले गए थे। जहाँ प्रभु राम ने उसे व पूरे वंश को मार कर माता सीता को छुड़ाकर ले आये थे। तब से लेकर अबतक इसे पर्व के रूप में मनाया जाता है। और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप विजयदशमी के दिन मनाया जा रहा है। और रावण व उनके परिजनों के पुतले जलाये जाते हैं। जो आज भी जारी है। लेकिन सतयुग से कलयुग आ गया है हर वर्ष रावण जी उठता है और फिर उसे जला कर मारना पड़ता है।  कभी आपने सोचा आखिर अब तक रावण को हर जलाना क्यों पड़ता हैं!  यही लगता है कि हम कागज के रावण मार देते हैं ,लेकिन मन में बसे रावण को युगों से मार नही सके हैं। यही कारण है कि मार कर भी उसे अपने व समाज में जीवित

विजयदशमी की शुभकामनाएं

सभी पाठकों को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व विजयदशमी की कोटिशः बधाई.....

क्या लिखूँ ,क्या न लिखूँ..........

इस टाइटल को देख आप सब सोच रहे होंगे कि ये क्या लिख दिया !  मैं कोई टॉपिक सोच ही रहा था कि जिस पर लिखना शुरू करूँ।  देश के हालात ही ऐसा है कि सच लिखना है तो नाराजगी भी झेलने के लिए तैयार रहना है।  समाज की पहली कड़ी मानव है, जिसका स्वभाव भी आज कुछ अलग हो हो चला है । इसका जिम्मेदार टेंशन से भरी जिंदगी है या हमारा समाज है। इसी उधेड़बुन में जिंदगी गुजर रही है। बुजुर्गों की बात माने आधुनिकता भरी जिंदगी में सुख सुविधा व विलासिता भरी है। लेकिन वो शान्ति,अपनत्व,दूसरों के दुख सुख में निस्वार्थ सहभागिता अब नही दिख रही है। लेकिन आज भागम भाग जिंदगी में ये सारी चीजे गायब हो चली है।  हाँ इतना जरूर है कि  पर हाल चाल होता रहता है। अब सवाल ये है कि इससे आपस में अपनत्व बढ़ता है ,शायद नही। लोगों में दूसरों के लिए टाइम नही होता है। बहाना होता है बिजी हूँ। मानता हूँ कि आपके पास टाइम नही है।  लोगों के सुख दुःख में जाते हैं ,कुछ देर बैठे और मेजबान से कहते भैया चलते हैं,और भी कुछ काम है। लेकिन होता ये  है कि घर पर पहुंच कर टीवी,या मोबाइल में बिजी हो जाते हैं या फिर किसी होटल या ऑफिस में बैठ कर गपशप करते हैं। ये

‌क्या लक्ष्य से भटक रहे हैं भारतीय युवा....?

भारत के पांच सर्वश्रेष्ठ विश्विद्यालयों में  BHU का शुमार होता है। आजकल यूनिवर्सिटी उसमें पढ़ रही छात्राओं की सुरक्षा को लेकर चर्चा में आ गया है।  महामना मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से सन् 1916 में स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय देश का जाना माना विशाल परिक्षेत्र में फैला शिक्षा का केंद्र है। भारत सहित कई देशों के करीब 30 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। कभी शिक्षा के लिए जाना जाने वाला ये यूनिवर्सिटी आज छात्राओं की असुरक्षा के लिए जाना जाता है। विगत 21 सितम्बर को एक छात्रा के साथ हुई छेड़छाड़ से आहत छात्राओं ने इसकी शिकायत यूनिवर्सिटी के वॉइस चाँसलर से किया लेकिन कोई कार्यवाही न होता देख रात में ही धरना देना शुरू कर दिया। इसी बीच पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू हो गई। और पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया ,जिससे मौजूद दर्जनों  छात्राएं घायल हो गई। अब फिर क्या था सत्ता दल व यूनिवर्सिटी का प्रशासन पर जुबानी हमले तेज हो गए । यहीं नही बेटी बचाओं ,बेटी बढ़ाओ की योजना पर सवाल   खड़े कर दिए गए। देश के युवाओं को किस दिशा में ले जाने का कार्य किया जा रहा है।आज अपने भविष्य को ही  बगावत का पाठ पढ़ाया जा रहा है। BH

पाकिस्तान पर सुषमा की साइको सर्जिकल स्ट्राइक...!

पाकिस्तान पर सुषमा की साइको सर्जिकल स्ट्राइक...! भारत पाक के तल्ख रिश्तों के बीच पाक नेताओं के झूँठे प्रलाप के बीच सुषमा स्वराज ने UNGA में अपने सम्बोधन में जोरदार हमला बोलते हुए पाकिस्तान को वो आइना दिखाया जिसकी कल्पना न तो विदेशी मामलों के एक्सपर्ट ने किया था न ही पाकिस्तान के हुक्मरानों। भारत की विदेश मंत्री विश्व पटल पर पाक की बखिया उधेड़ कर रख दिया । पाकिस्तान की जनता पर पर साइको सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए कहा की दोनों देश साथ साथ आजाद हुए। लेकिन अब हम कहाँ  वो कहाँ!   हमने डॉक्टर बनाये उन्होंने जिहादी बनाये। हमने बैज्ञानिक  पैदा किया तो वो आतंकी । हमने एम्स बनाये,अंतरिक्ष पहुंचे, तो पाकिस्तान ने लश्करे तय्यबा, जैश ए मोहम्मद,इंडियन मुजाहिद्दीन, हक्कानी नेटवर्क बनाया। हम गरीबी से लड़ रहे हैं तो पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। हमारी पहचान विकास से होती है तो उनकी पहचान आतंकी देश के रूप में होती है।  इतना ही नही पाकिस्तान के साथ साथ सभी देशों को घेरते हुए कहा विश्व मंच पर सभी आतंक की भर्त्सना करते हैं , लेकिन आतंकवाद की परिभाषा पर आज भी सभी देश एकमत नही हो सके हैं। सभी देशों को मिलकर इसके

नवरात्रि की शुभकामनाएं.......

सुधी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं..... *सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते.* ╔══════════════════╗ ║       •||जय माता दी||•                                ║.       ╚══════════════════╝        *सुख, शान्ति एवम समृध्दि की*                   *मंगलमयी             *कामनाओं के साथ      आप एवं आप के परिवार जनो को नवरात्री की हार्दिक मंगल कामनायें। माँ अम्बे आपको सुख समृद्धि वैभव ख्याति प्रदान करे। जय माँ भवानी।।*                    *•||नवरात्री||•*                          *की*         *" हार्दिक " शुभकामनाएं !!!* 💐💐💐💐💐💐💐

देश हित सर्वोपरि या रोहिंग्या हित ........!

‌आज देश में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर काफी हंगामा बरपाया  जा रहा है। रोहिंग्या के बारे आज भी देश में काफी कण जानने वाले है कि रोहिंग्या की चिड़िया का नाम है। फिलहाल अखबारों की सुर्खियां व चैनलों की breaking ने जागरूक जनता को बता दिया है कि रोहिंग्या क्या है,इसका विवाद क्या है।  पडोसी मुल्क म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमान निकाले जा रहे हैं। इन्हें भारत में प्रश्रय देने क्यों जोर दिया जा रहा है ,सरकार इन्हें भारत में प्रश्रय देने से क्यों इंकार कर रही है क्योंकि ये मुस्लिम सम्प्रदाय से हैं! इन्हीं सब सवालों में उलझी हुई है रोहिंग्या जाति की समस्या । पहले ये जानना आवश्यक है कि रोहिंग्या से जुड़े तथ्य क्या है। रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के रखाइन  राज्य से हैं। बिगत के वर्षों में इनके बगावती तेवर से चितिंत होकर म्यांमार की सरकार ने इन्हें ये बताकर कि ये देश में आतंकी गतिगतिविधियों में लिप्त हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा का खतरा है। इस बात से इसलिए भी इत्तेफाक रखा जा सकता है ,क्योंकि इसी समुदाय से कई बड़े आतंकियों के सम्बन्ध पाये गए । यही सब कारण  सवाल बन गया कि उनके ही देश ने उन्हें निकाल

अब मेरे बाबू को कौन लौटायेगा..........

अब मेरे बाबू को कौन लौटायेगा....... ये दर्द भरी आवाज एक माँ की जो अपने नन्हे मुन्ने बच्चे को खो चुकी है। वो उसे अब खो चुकी जिसमें अपना भविष्य देख रही थी। जी हाँ हम बात करे हैं  रेयान स्कूल की घटना की जो शुक्रवार की सुबह घटित हुई थी और स्कूल में एक मासूम बच्चे प्रद्युम्न 06 वर्ष की गला काट कर हत्या कर दी गई। इस दर्दनाक घटना के होने की सूचना ने हर माँ बाप  को हिलाकर रख दिया, जिनके बच्चे इतनी हाई प्रोफाइल मंहगे स्कूल में पढ़ रहे हैं । एक बार उन्हें विश्वास नही हुआ की रियान जैसे इतने बडे संस्थान ये घटना हो सकती है। लेकिन हत्या की घटना हुई ,इससे इनकार भी नही किया जा सकता है। संस्थान की लापरवाही ने एक मासूम कीजान ले ली। इसी संस्थान की दक्षिणी दिल्ली शाखा में  स्कूल के वाटर टैंक में डूबने से दिव्यांश(06वर्ष) की मौत हो गई। यह अनहोनी वसंत कुंज स्थित रेयॉन इंटरनैशनल स्कूल में शनिवार को हुई। बच्चे के पिता रामहेत मीणा का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने उनको धमकाया और चुप रहने को कहा। उधर, स्कूल प्रबंधन घटना को हादसा बता रहा है, जबकि पुलिस ने लापरवाही से मौत का मुकद्दमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 2 द

पत्रकारों की जमात का विभाजन क्यों .........!

 जब हमारी पत्रकारों की जमात अपनी वरिष्ठ लेखिका गौरी लंकेश की हत्या के गम में डूबा हुआ है, ठीक उसी समय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ जिसे समाज का आइना कहा जाता है उसे भी विभाजन का कुत्सित प्रयास कुछ तथकथित सेक्युलर नेताओं द्वारा किया जा रहा है। जैसे ही गौरी लंकेश की हत्या बेंगलुरु में हुई कि उसके चंद मिनट में ही सोशल साईटों पर उनकी हत्या का जिम्मेदार भी बताया जाने लगा बिना जांच के ही। अब गौरी लंकेश की हत्या को सियासी जामा पहनाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी जा रही है। इतना ही नहीं एक निर्भीक, निडर निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाली महिला पत्रकार को बीजेपी विरोधी करार दिया गया। हिन्दू वादी संगठनों व बीजेपी पर भी आरोप लगाये जा रहे हैं कि उनकी हत्या में इनका हाथ है।  क्या ये सही है कि बिना किसी जांच के आरोप लगाये जाने चाहिए! हर पत्रकार के अपने अपने विचार होते हैं। इसी विचारों के चलते अक्सर ही हर दल व संगठन के प्रति अपना अलग ही नजरिया होता है। लेकिन इसका मतलब ये नही की जिसके विचारों  से पत्रकार के विचारों में विरोधाभास हो तो पत्रकार की हत्या कर दी जाय। ये समझ से परे है। रही बात गौरी लंकेश की  तो वो ब

कविता का नया विश्वास का नाम है कुमार विश्वास

आज की युवा पीढ़ी में कविता,कीर्तन, भजन के प्रति रोचकता कम होती जा रही है। इन विधाओं में कविता की हालत कुछ अधिक ही बद्तर होती जा रही थी। लोग कवि सम्मेलन में जाते जरूर लेकिन time कम ही देते थे। चार घंटे के बाद ही पांडाल खाली होना शुरू हो जाता था। श्रोता के नाम पर आयोजक मण्डल बचता और उनका साथ देते वे कवि मण्डली जिन्हें अपना परिश्रमिक पाना होता था। लेकिन इसी बीच साहित्यिक जगत में एक नया युवा कवि आया और ऐसा ऐसा करिश्मा दिखाया जनता सारी - सारी रात जग कर उसकी कविता की बारी का इंतजार करते हैं ।कविता को को नया आयाम देने काम किया। युवाओं में तो उसका विश्वास ऐसे जमा कि उन्हें कुछ ही समय में सुपर स्टार बना दिया । साहित्य के आंगन आने वाला ये सितारा कोई और नहीं कुमार विश्वास जी थे।.... कोई पागल समझता है,कोई दीवाना समझता है .......... जैसे गीत अथवा कविता की पंक्तियों ने युवाओं को इसका पागल कर दिया और सोशल साईट पर सारे रिकॉर्ड टूट गए। आज भी कोई फिल्मी गीत व कविता लोकप्रियता में इसे छू नहीं पायी है। हर युवा कुमार का दीवाना बन चुका था। पेशे से प्रोफेसर साहित्य के क्षेत्र में बड़ा कवि बन चुका था। उनकी ये

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए साबित होगी नई रोशनी....!

तलाक-तलाक .....ये तीन शब्द मुस्लिम महिलाओं के जीवन का सबसे भयावह शब्द और नारकीय जीवन की शुरूआत होती थी। जिसे याद करते ही इन महिलाओं की रूहें कांप जाती थी। लेकिन Supreem court के पांच सदस्यीय पीठ ने 22 अगस्त 2017 के फैसले से मुस्लिम महिलाओं की जिन्दगी में राहत भरी रोशनी लेकर आयी है। इस फैसले ने महिलाओं को सामाजिक समानता के अधिकार की ओर बढने वाला कदम माना जा रहा है। जोकि संविधान में लिंग व धर्म के आधार पर सभी के साथ भेदभाव न किये जाने की बात की गई है। मुस्लिम महिलाओं में इससे काफी आत्मविश्वास जगा और अपने हकों की लडाई को आगे ले जाने का बल मिला। आफरीन, तस्नीम, नेहा खान, समीना जैसी लाखों पीडित महिलाओं में न्याय की आस जगी है। इतना ही नहीं मुस्लिम महिलाओं में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आत्मविश्वास व सुरक्षा की भावना जगी है। जानकारों का मानना है कि ये निर्णय सामाजिक बदलाव की एक बयार है जोकि आगे चल कर तूफान बनने में देर नही लगेगी। आल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लाॅ बोर्ड का अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर का कहना है कि इस फैसले हमारा आत्मविश्वास बढा है। तीन तलाक को रोकना है तो इसके कडा कानून बनाया ज