आज देश में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर काफी हंगामा बरपाया जा रहा है। रोहिंग्या के बारे आज भी देश में काफी कण जानने वाले है कि रोहिंग्या की चिड़िया का नाम है। फिलहाल अखबारों की सुर्खियां व चैनलों की breaking ने जागरूक जनता को बता दिया है कि रोहिंग्या क्या है,इसका विवाद क्या है। पडोसी मुल्क म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमान निकाले जा रहे हैं। इन्हें भारत में प्रश्रय देने क्यों जोर दिया जा रहा है ,सरकार इन्हें भारत में प्रश्रय देने से क्यों इंकार कर रही है क्योंकि ये मुस्लिम सम्प्रदाय से हैं! इन्हीं सब सवालों में उलझी हुई है रोहिंग्या जाति की समस्या । पहले ये जानना आवश्यक है कि रोहिंग्या से जुड़े तथ्य क्या है। रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के रखाइन राज्य से हैं। बिगत के वर्षों में इनके बगावती तेवर से चितिंत होकर म्यांमार की सरकार ने इन्हें ये बताकर कि ये देश में आतंकी गतिगतिविधियों में लिप्त हैं, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा का खतरा है। इस बात से इसलिए भी इत्तेफाक रखा जा सकता है ,क्योंकि इसी समुदाय से कई बड़े आतंकियों के सम्बन्ध पाये गए । यही सब कारण सवाल बन गया कि उनके ही देश ने उन्हें निकालने पर क्यों मजबूर है! भारत में भी करीब 16 हजार लोगों को शरणार्थी का संयुक्त राष्ट्र की ओर प्रमाण मिला हुआ है। लेकिन सरकार का दावा है कि करीब 50 हजार रोहिंग्या मुस्लिम भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, जम्मू एंड काश्मीर,दिल्ली व बंगाल सहित अन्य राज्यों में फैले हुए हैं। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकी वारदातों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।और आंतरिक सुरक्षा खतरे में पड जायेगी। इसी रिपोर्ट को अहमियत देते हुए रोहिन्याओं को निकालने की बात सरकार कर रही है।वही देश विपक्षी दल के नेताओं व तथाकथित सेकुलरों की जमात हो हल्ला मचा रही है कि मुस्लिम हैं , इसलिये देश निकाला किया जा रहा है , क्यों तिब्बती, चकमा,आदि को जगह दी जा रही है? मेरी समझ में नही आ रहा है कि जिस समुदाय ने अपने ही देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है। उनपर ये सेक्युलर लोग विश्वास किस मज़बूरी में कर रहे हैं, समझ से परे हैं, अपने देश कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बन कर दिल्ली की सड़कों के किनारे पड़े हैं।जिस तिब्बती शरणार्थियों की बात कर रहें हैं ,वे शान्ति के प्रतीक हैं। उस समुदाय में आतंकी पैदा नही होते हैं। ये हो हल्ला सिर्फ राजनीतिक चोचला है ,वोट की राजनीति है।इन्हें अपने Voters की चिंता है देश की चिंता थोड़े ही करते हैं। इनके लिए सत्ता पहली प्राथमिकता है ,इसके बाद देश हित आता है। ऐसी ही poltics देश हित में नही होती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अभिशाप है।देश हित सर्वोपरि है उसके बाद ही दूसरे हित के बारे में सोचा जाय।
@NEERAJ SINGH
नीरज जी आपने बहुत सही लिखा हुआ है की रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन करने वाले केवल राजनीतिक भला देख रहे हैं इनके लिए देश हित का कोई मायने नहीं है ।
जवाब देंहटाएंDhanyawad
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