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अब मेरे बाबू को कौन लौटायेगा..........

अब मेरे बाबू को कौन लौटायेगा.......
ये दर्द भरी आवाज एक माँ की जो अपने नन्हे मुन्ने बच्चे को खो चुकी है। वो उसे अब खो चुकी जिसमें अपना भविष्य देख रही थी। जी हाँ हम बात करे हैं  रेयान स्कूल की घटना की जो शुक्रवार की सुबह घटित हुई थी और स्कूल में एक मासूम बच्चे प्रद्युम्न 06 वर्ष की गला काट कर हत्या कर दी गई। इस दर्दनाक घटना के होने की सूचना ने हर माँ बाप  को हिलाकर रख दिया, जिनके बच्चे इतनी हाई प्रोफाइल मंहगे स्कूल में पढ़ रहे हैं । एक बार उन्हें विश्वास नही हुआ की रियान जैसे इतने बडे संस्थान ये घटना हो सकती है। लेकिन हत्या की घटना हुई ,इससे इनकार भी नही किया जा सकता है। संस्थान की लापरवाही ने एक मासूम कीजान ले ली। इसी संस्थान की दक्षिणी दिल्ली शाखा में  स्कूल के वाटर टैंक में डूबने से दिव्यांश(06वर्ष) की मौत हो गई। यह अनहोनी वसंत कुंज स्थित रेयॉन इंटरनैशनल स्कूल में शनिवार को हुई। बच्चे के पिता रामहेत मीणा का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने उनको धमकाया और चुप रहने को कहा। उधर, स्कूल प्रबंधन घटना को हादसा बता रहा है, जबकि पुलिस ने लापरवाही से मौत का मुकद्दमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 2 दिनों के भीतर स्कूल परिसर में मौत होने की यह दूसरी घटना है। इसके पहले 27 जनवरी को कापहसहेड़ा स्थित निगम स्कूल के सेप्टिक टैंक में गिरकर एक अन्य बच्चे की मौत हो गई थी। सवाल ये उठ रहा कि रियान इंटरनेशनल जैसी देश की जानी मानी शिक्षण संस्थानों का जब ये हाल है तब एनी का क्या होगा। मंहगी फीस अभिभावकों के स्टेटस बन चुका है। अपनी ख्वाहिशों को दबाकर लाखों रुपये बच्चों की पढ़ाई  पर खर्च कर मध्यमवर्गीय  हर माँ-बाप का अब एक सपना होता है कि मेरे बच्चे का अच्छे से अच्छे स्कूल में admission हो और सब सुख सुविधाओं से पूर्ण हो जिससे बच्चे को पढ़ने लिखने में कोई problem न हो। सबसे बड़ी उम्मीद इन महंगे स्कूलों से पैरेंट्स को ये होती है कि यहाँ बच्चे secure हैं। लेकिन जब यहीं ये मासूम सुरक्षित नहीं हैं तो कहाँ होंगे। आये दिन इस प्रकार के हादसे होते हैं, लेकिन management के कानों में जूं तक नहीं रेंगती है। हो भी क्यों न भई ये रसूख वाले जो हैं। पैसे की ताकत व राजनीतिक पहुंच इन्हें अंधा व बहरा बना देता है। और इन्हीं के बल पर पीड़तों की आवाज बन्द कर दी जाती है। आज तक हुए इन हादसों के जिम्मेदारों को अब तक कोई सजा नही हो सकी है। गुरुग्राम हादसे में भी यही हुआ कि पुलिस बड़े मोहरों को छोड़ छोटे मोहर को ही फंसाने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन प्रद्युम्न के पिता ने पकडे गए आरोपी कंडक्टर पर पुलिस कार्यवाही पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। मृतक प्रद्युम्न  के माता की मांग है कि स्कूल की प्रिंसिपल व  मैनेजमेंट के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो। उनका कहना है हम चाहते हैं कि मेरे बच्चे के साथ जो हुआ वो दूसरे पैरेंट्स के बच्चों साथ कोई अनहोनी न हो ।  लेकिन संस्थान के मैनेजमेंट के रसूख का नतीजा है कि प्रदेश सरकार का मंत्री  भी मैनेजमेंट  की बोली बोल रहा है। इस घटना ने रियान जैसे इंटरनेशनल स्कूल की व्यवस्था की पोल खोल रहा है कि अगर कंडक्टर स्कूल अंदर कैसे गया । टॉयलेट के पास कैमरा खराब था क्यों नही इतने समय से नहीं बना। केयर टेकर उस वक्त कहाँ थी जब बच्चा टॉयलेट गया था! ये सब बाते बड़े स्कूलों की व्यवस्था की कलई खोल दे रहा है। पैरेंट्स भी जब admission कराने जाते हैं तब स्कूल के सभी नियम कायदे पर सिंगनेचर कर देते है लाखों रुपये जमा कर देते हैं। लेकिन उन्हें ये भी पूछना चाहिये कि हमारे बच्चों की सुरक्षा गारण्टी का फॉर्म भी क्यों नही भरवाया जाता है।  इसलिये कि मंहगे स्कूल को ही सुरक्षा की गारण्टी अभिभावक मान कर चलते हैं ,याद तब आती है जब कोई बच्चे के साथ घटना हो जाती है। सरकार को भी चाहिये कि देश के भविष्य व माँ बाप के सपनों को संवारने वाले इन मासूमों की सुरक्षा के स्कूल पीरियड में संस्थाओं को उत्तरदायित्व बनाये। और स्कूल के नियम कायदों को भी कड़ाई से लागू किया जाये। जिससे मासूम की जान न जाए। और माँ रो रो कर ये न कहे कि अब मेरे बाबू को कौन लौटायेगा.......
@NEERAJ SINGH

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