सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

पाकिस्तान पर सुषमा की साइको सर्जिकल स्ट्राइक...!

पाकिस्तान पर सुषमा की साइको सर्जिकल स्ट्राइक...!
भारत पाक के तल्ख रिश्तों के बीच पाक नेताओं के झूँठे प्रलाप के बीच सुषमा स्वराज ने UNGA में अपने सम्बोधन में जोरदार हमला बोलते हुए पाकिस्तान को वो आइना दिखाया जिसकी कल्पना न तो विदेशी मामलों के एक्सपर्ट ने किया था न ही पाकिस्तान के हुक्मरानों। भारत की विदेश मंत्री विश्व पटल पर पाक की बखिया उधेड़ कर रख दिया । पाकिस्तान की जनता पर पर साइको सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए कहा की दोनों देश साथ साथ आजाद हुए। लेकिन अब हम कहाँ  वो कहाँ!   हमने डॉक्टर बनाये उन्होंने जिहादी बनाये। हमने बैज्ञानिक  पैदा किया तो वो आतंकी । हमने एम्स बनाये,अंतरिक्ष पहुंचे, तो पाकिस्तान ने लश्करे तय्यबा, जैश ए मोहम्मद,इंडियन मुजाहिद्दीन, हक्कानी नेटवर्क बनाया। हम गरीबी से लड़ रहे हैं तो पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। हमारी पहचान विकास से होती है तो उनकी पहचान आतंकी देश के रूप में होती है।  इतना ही नही पाकिस्तान के साथ साथ सभी देशों को घेरते हुए कहा विश्व मंच पर सभी आतंक की भर्त्सना करते हैं , लेकिन आतंकवाद की परिभाषा पर आज भी सभी देश एकमत नही हो सके हैं। सभी देशों को मिलकर इसके खिलाफ लड़ना ही होगा। सुषमा का भाषण कई मायनों में ऐतिहासिक रहा । उन्होंने न केवल पाकिस्तान के  भारत के खिलाफ झूठ को उजागर किया बल्कि अपने साइको अटैक से भारत का पक्ष मजबूती से रखा । जिससे पाकिस्तान की जनता भी आत्ममंथन के लिए मजबूर होगी। भारत का ऐसा पक्ष शायद ही कोई नेता अभी तक रख पाया होगा। सुषमा का लाजबाब उदबोधन का प्रधानमंत्री के अलावा विपक्ष भी कायल हो गया है। वही पाकिस्तान की आवाज नही निकल रही है कि इसका क्या जबाब दूँ। इस साइको इफेक्ट का असर जरूर पाक के साथ विश्व के उन नेताओं पर पड़ेगा जो पाक के हिमायती हैं, और उसे बेचारा बताते हैं।  सुषमा के इस सम्बोधन ने पाकिस्तान की जनता को उनके हुक्मरानों के झूठ के पुलिंदे को खोल कर रख दिया है। इस सम्बोधन के बाद एक अवश्य होगी कि इस स्ट्राइक  से तत्काल तो नही दूरगामी परिणाम मिलना तय है। सुषमा ने अपनी बातों से UNGA में बैठे बिभिन्न देशों के नुमाइंदों के सामने पाकिस्तान को एक्सपोज़ करने में कामयाब रहीं है। और उसे आतंकी देश के रूप में सिद्ध करने कामयाब रहीं।  भारत-पाक के संबंधों के जानकारों का भी मानना है कि सुषमा जी उम्मीद से अधिक प्रभावी ढंग से अपनी बात रखने में सफल रही हैं,उनके इस साइको सर्जिकल स्ट्राइक का असर भी पाक व विश्व पटल दोनों पर दिखेगा। 
@NEERAJ SINGH

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक कानून दो व्यवस्था कब तक !

हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर  आमजन  कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर  बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह

आओ मनाएं संविधान दिवस

पूरे देश में  संविधान दिवस मनाया जा रहा है। सभी वर्ग के लोग संविधान के निर्माण दिवस पर अनेकों ने कार्यक्रम करके संविधान दिवस को मनाया गया। राजनीतिक पार्टियों ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी कर के संविधान की चर्चा करके इस दिवस को गौरवमयी बनाने का का प्रयास किया गया। प्रशासनिक स्तर हो या  फिर विद्यालयों में बच्चों द्वारा शपथ दिलाकर निबंध लेखन चित्रण जैसी प्रतियोगिताएं करके दिवस को मनाया गया। बताते चलें कि 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था और संविधान लागू 26 जनवरी 1950 को हुआ था। संविधान सभा में बनाने वाले 207 सदस्य थे इस संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी थे। इसलिए इन्हें भारत का संविधान निर्माता भी कहा जाता है । विश्व के सबसे बड़े संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था। भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को समिति की स्थापना हुई थी । जिसकी अध्यक्षता डॉ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में समिति गठित गठित की गई थी । 19 नवंबर 2015 को राजपत्र अधिसूचना के सहायता से

अपनो के बीच हिंदी बनी दोयम दर्जे की भाषा !

  हिंदी दिवस पर विशेष---  जिस देश में हिंदी के लिए 'दो दबाएं' सुनना पड़ता है और 90% लोग अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं..जहाँ देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस और पीसीएस में लगातार हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ हो रहा अन्याय और लगातार उनके गिरते हुए परिणाम लेकिन फिर भी सरकार के द्वारा हिंदी भाषा को शिखर पर ले जाने का जुमला।। उस देश को हिंदी_दिवस की शुभकामनाएं उपरोक्त उद्गगार सिविल सेवा की तैयारी कर रहे एक प्रतियोगी की है। इन वाक्यों में उन सभी हिंदी माध्यम में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों की है । जो हिन्दी साहित्य की दुर्दशा को बयां कर रहा है। विगत दो-तीन वर्षों के सिविल सेवा के परिणाम ने हिंदी माध्यम के छात्रों को हिलाकर रख दिया है। किस तरह अंग्रेजियत हावी हो रही है इन परीक्षाओं जिनमें UPSC व UPPCS शामिल है इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। हाल ही में दो दिन पूर्व UPPCS की टॉप रैंकिंग में हिन्दी माध्यम वाले 100 के बाहर ही जगह बना पाए । जो कभी टॉप रैंकिंग में अधिकांश हिंदी माध्यम के छात्र सफल होते थे । लेकिन अब ऐसा नही है। आज लाखों हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों के भव