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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुखौटों में छिपी है बॉलीवुड----!

  लाख छुपाओ छुप न सकेगा  राज हो कितना गहरा लाख छुपाओ छुप न सकेगा राज हो कितना गहरा दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा .........उक्त पंक्तियां 1962 में बनी देवानन्द फ़िल्म असली नकली का गीत है जिसे लता मंगेशकर जी ने गाया था। इसके बोल आज पूरी तरह से वहीं चरितार्थ हो रही है ,जहां ये फ़िल्म बनी थी। बॉलीवुड का अब NCB नकली मुखौटे उतारने लगे हैं। लोगों के सपनों को साकार करने वाली लाखों के हाथों में रोजगार देने वाली दुनिया में अलग पहचान रखने वाली रखने वाली अलग पहचान रखने वाली रखने वाली समाज को नई दिशा देने वाली बॉलीवुड की पहचान अलग ही दिशा में हो रही है बॉलीवुड का जो सच निकल के आ आ रहा है ,बहुत ही विस्मयकारी और दुखदायी है। अब बॉलीवुड को ड्रग बॉलीवुड के नाम से मीडिया में पहचान बन गई है जो कि काफी दुःखद बात है। एक----दो----तीन--- नहीं कई चेहरों वाली बॉलीवुड है । एक-एक करके बेनकाब भी हो रहें हैं। आज NCB  की इस कार्रवाई से बॉलीवुड में हर तरफ हड़कंप मचा हुआ छोटी सी बड़ी मछलियां एनसीबी की जाल में फंस रही है छोटे से बड़े एक्टर डायरेक्टर प्रोड्यूसर भी फस रहे हैं आज ड्रग के इस रैकेट में जिस प्रका

अपनो के बीच हिंदी बनी दोयम दर्जे की भाषा !

  हिंदी दिवस पर विशेष---  जिस देश में हिंदी के लिए 'दो दबाएं' सुनना पड़ता है और 90% लोग अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं..जहाँ देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस और पीसीएस में लगातार हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ हो रहा अन्याय और लगातार उनके गिरते हुए परिणाम लेकिन फिर भी सरकार के द्वारा हिंदी भाषा को शिखर पर ले जाने का जुमला।। उस देश को हिंदी_दिवस की शुभकामनाएं उपरोक्त उद्गगार सिविल सेवा की तैयारी कर रहे एक प्रतियोगी की है। इन वाक्यों में उन सभी हिंदी माध्यम में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों की है । जो हिन्दी साहित्य की दुर्दशा को बयां कर रहा है। विगत दो-तीन वर्षों के सिविल सेवा के परिणाम ने हिंदी माध्यम के छात्रों को हिलाकर रख दिया है। किस तरह अंग्रेजियत हावी हो रही है इन परीक्षाओं जिनमें UPSC व UPPCS शामिल है इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। हाल ही में दो दिन पूर्व UPPCS की टॉप रैंकिंग में हिन्दी माध्यम वाले 100 के बाहर ही जगह बना पाए । जो कभी टॉप रैंकिंग में अधिकांश हिंदी माध्यम के छात्र सफल होते थे । लेकिन अब ऐसा नही है। आज लाखों हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों के भव

कोरोना से कंगना तक महाराष्ट्र सरकार का एक्शन

जब राजनीति अपना रंग बदलती है,देश का संविधान आहत होता है। सत्ता पर बैठे लोग शक्ति का प्रयोग समाज के हित में ना होकर बदले की भावना से किसी विशेष वर्ग या व्यक्ति पर करता है, तब समाज व संविधान दोनों को चोट पहुंचती है । इसका जीता जागता उदाहरण मौजूदा महाराष्ट्र की उद्धव सरकार   है।  ये वही सरकार है , जो कोरोना जैसी महामारी को नहीं हरा सकी। कंगना रनौत को हराने में जुट गई है। इसी कड़ी में आज बीएमसी ने कंगना रनौत कंगना रनौत के मुंबई के पालहिल में स्थित मणिकर्णिका फिल्म्स के ऑफिस पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ किया । लगातार दो घंटे तक अभियान में बुलडोजर व 50 से अधिक कर्मचारियों का दस्ता जुटा हुआ था। जब मुंबई हाईकोर्ट के स्टे मिलने के बाद ही रुका, तब तक 48 करोड़ के बने शानदार ऑफिस तहस नहस हो चुका था।  बीएमसी के इस कृत्य की हर तरफ निंदा हो रही है। ट्विटर अकाउंट पर # DeathOfDemocracy  माध्यम से लाखों लोगों ने नाराजगी जताई है। कौन है कंगना रनौत जी हां अब ये जानना जरूरी है कि जिस कंगना से महाराष्ट्र सरकार का विवाद छिड़ा है आखिर कौन है ये किरदार । कंगना रनौत बॉलीवुड जगत की जानी-मानी फिल्म स

जरा कोई मेरी भी सुनो

  विश्व पटल पर महाशक्ति के रूप में उभरने वाला भारत देश   आज पूरे विश्व में अपना लोहा मनवा रहा है। विश्व में कोई भी देश इस स्थिति में नहीं है कि भारत देश   की अनदेखी कर सकता हो। हर क्षेत्र में   भारत ने नया आयाम स्थापित किया है। देश की मोदी सरकार अनेक कार्यकलापों के कारण हमेशा में चर्चा में रहती है। इस सरकार   के कार्यकाल में तीन तलाक ,   धारा 370,   राम मंदिर निर्माण जैसे ज्वलंत मुद्दों का भी निस्तारण हुआ है। 2014 में युवाओं ने मोदी सरकार को इस उम्मीद से गद्दी पर बैठाया था   कि घटते रोजगार के अवसरों को बढ़ाया जाए , नौकरियां उपलब्ध कराई जाए जिससे बेरोजगार युवाओं के हाथों में रोजगार मिले। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा आज स्थित उलट है , रोजगार मिलने के बजाय रोजगार भी बेरोजगार हो रहे हैं। इसे लेकर पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सोशल साइटों पर इसका असर दिखने लगा है। इसलिए सरकार को इस ज्‍वलंत मुद्दे को अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। सरकार भले ही कोरोना वायरस जैसी महामारी का बहाना बनाएं । लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद से ही जिस प्रकार सरकारी नौकरियों की घटती संख्या