जब राजनीति अपना रंग बदलती है,देश का संविधान आहत होता है। सत्ता पर बैठे लोग शक्ति का प्रयोग समाज के हित में ना होकर बदले की भावना से किसी विशेष वर्ग या व्यक्ति पर करता है, तब समाज व संविधान दोनों को चोट पहुंचती है । इसका जीता जागता उदाहरण मौजूदा महाराष्ट्र की उद्धव सरकार है। ये वही सरकार है , जो कोरोना जैसी महामारी को नहीं हरा सकी। कंगना रनौत को हराने में जुट गई है। इसी कड़ी में आज बीएमसी ने कंगना रनौत कंगना रनौतके मुंबई के पालहिल में स्थित मणिकर्णिका फिल्म्स के ऑफिस पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ किया । लगातार दो घंटे तक अभियान में बुलडोजर व 50 से अधिक कर्मचारियों का दस्ता जुटा हुआ था। जब मुंबई हाईकोर्ट के स्टे मिलने के बाद ही रुका, तब तक 48 करोड़ के बने शानदार ऑफिस तहस नहस हो चुका था। बीएमसी के इस कृत्य की हर तरफ निंदा हो रही है। ट्विटर अकाउंट पर #DeathOfDemocracy माध्यम से लाखों लोगों ने नाराजगी जताई है।
कौन है कंगना रनौत
जी हां अब ये जानना जरूरी है कि जिस कंगना से महाराष्ट्र सरकार का विवाद छिड़ा है आखिर कौन है ये किरदार । कंगना रनौत बॉलीवुड जगत की जानी-मानी फिल्म स्टार है। जिसका जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ था। इसका पूरा नाम कंगना अमरदीप रनौत है। कंगना के पिता पिता अमरदीप रनौत व माता का नाम आशा रनौत है । इनकी एक बहन व एक भाई भी हैं । कंगना 16 साल की उम्र में मुंबई आयी थी। 2006 में गैंगेस्टर फ़िल्म से डेब्यू किया था। लेकिन इन्हें 2014 में रिलीज फ़िल्म क्वीन के जबरदस्त अभिनय से शोहरत मिली थी, तब से अब तक इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन्हें पद्मश्री व फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा जा चुका है। अब कंगना फ़िल्म निर्माण क्षेत्र में मणिकर्णिका फिल्म्स बैनर तले उतर चुकी हैं।
महाराष्ट्र सरकार व कंगना में विवाद का कारण
कंगना रनौत स्पष्ट और बेबाक बयानों के चलते बॉलीवुड इंडस्ट्री में अक्सर ही विवादों में बनी रहती हैं। हाल ही में बहुचर्चित सुशांत केस में शुरू से ही कंगना रनौत सोशल साइटों पर अपनी बातें बेबाकी के साथ रख रही है। जिसमें उनके कई विवादास्पद बयान भी शामिल है । उन्होंने अनेक फिल्म इंडस्ट्री पर उठाए हैं उनके सवालों के घेरे में अनेक फिल्म मेकर शामिल है,इनकी जद में फिल्म स्टार भी आ गए हैं । उनकी इस टीका- टिप्पणियों से से शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय रावत खफा हुए और सामना अखबार में कंगना रनौत को लेकर एक एक बड़ा लेख छापा और कहा कि जब मुंबई ठीक नहीं ह,ै यहां ना आयें । फिर क्या था कंगना व संजय में जुबानी जंग तेज हो गई । जहां एक तरफ कंगना मुंबई को पीओके बता डाला तो उससे भी बढ़कर संजय ने बढ़कर संजय ने संजय ने हरामखोर तक कह डाला। इस तरह दोनों ओर से तल्खी बढ़ती गई। कंगना ने बाकायदा ऐलान करते हुए कहा करते हुए कहा 9 सितंबर को मैं मुंबई आ रही हूं ,जिसको रोकना हो रोक ले इस चुनौती से तिलमिलाई उद्धव की शिवसेना सरकार बदले की भावना में उतर आई और कंगना के ऑफिस को को ही बीएमसी के माध्यम से तहस-नहस करवा डाला। इसकी चारों तरफ तरफ खूब भर्त्सना हो रही है। किसी को उम्मीद नहीं थी कि बाला साहेब ठाकरे की ही शिवसेना है जो कुछ भी ऐसा कर सकती है। शिवसेना गठबंधन सरकार की सहयोगी पार्टी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार का यह कदम गलत है , विपक्ष को एक और मौका दे दिया। इतना ही नहीं उसकी अन्य सहयोगी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने बीएमसी की आलोचना की है । कोरोना से कंगना तक महाराष्ट्र सरकार का एक्शन
जब राजनीति अपना रंग बदलती है,देश का संविधान आहत होता है। सत्ता पर बैठे लोग शक्ति का प्रयोग समाज के हित में ना होकर बदले की भावना से किसी विशेष वर्ग या व्यक्ति पर करता है, तब समाज व संविधान दोनों को चोट पहुंचती है । इसका जीता जागता उदाहरण मौजूदा महाराष्ट्र की उद्धव सरकार है। ये वही सरकार है , जो कोरोना जैसी महामारी को नहीं हरा सकी। कंगना रनौत को हराने में जुट गई है। इसी कड़ी में आज बीएमसी ने कंगना रनौत के मुंबई के पालहिल में स्थित मणिकर्णिका फिल्म्स के ऑफिस पर अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ किया । लगातार दो घंटे तक अभियान में बुलडोजर व 50 से अधिक कर्मचारियों का दस्ता जुटा हुआ था। जब मुंबई हाईकोर्ट के स्टे मिलने के बाद ही रुका, तब तक 48 करोड़ के बने शानदार ऑफिस तहस नहस हो चुका था। बीएमसी के इस कृत्य की हर तरफ निंदा हो रही है। ट्विटर अकाउंट पर #Deathdemocracy माध्यम से लाखों लोगों ने नाराजगी जताई है।
कौन है कंगना रनौत
जी हां अब ये जानना जरूरी है कि जिस कंगना से महाराष्ट्र सरकार का विवाद छिड़ा है आखिर कौन है ये किरदार । कंगना रनौत बॉलीवुड जगत की जानी-मानी फिल्म स्टार है। जिसका जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ था। इसका पूरा नाम कंगना अमरदीप रनौत है। कंगना के पिता अमरदीप रनौत व माता का नाम आशा रनौत है । इनकी एक बहन व एक भाई भी हैं । कंगना 16 साल की उम्र में मुंबई आयी थी। 2006 में गैंगेस्टर फ़िल्म से डेब्यू किया था। लेकिन इन्हें 2014 में रिलीज फ़िल्म क्वीन के जबरदस्त अभिनय से शोहरत मिली थी, तब से अब तक इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन्हें पद्मश्री व फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा जा चुका है। अब कंगना फ़िल्म निर्माण क्षेत्र में मणिकर्णिका फिल्म्स बैनर तले उतर चुकी हैं।
महाराष्ट्र सरकार व कंगना में विवाद का कारण
कंगना रनौत स्पष्ट और बेबाक बयानों के चलते बॉलीवुड इंडस्ट्री में अक्सर ही विवादों में बनी रहती हैं। हाल ही में बहुचर्चित सुशांत केस में शुरू से ही कंगना सोशल साइटों पर अपनी बातें बेबाकी के साथ रख रही है। जिसमें उनके कई विवादास्पद बयान भी शामिल है । उन्होंने अनेक फिल्म इंडस्ट्री पर उठाए हैं उनके सवालों के घेरे में अनेक फिल्म मेकर शामिल है,इनकी जद में फिल्म स्टार भी आ गए हैं । उनकी इस टीका- टिप्पणियों से से शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय रावत खफा हुए और सामना अखबार में कंगना रनौत को लेकर एक एक बड़ा लेख छापा और कहा कि जब मुंबई ठीक नहीं है, यहां ना आयें । फिर क्या था कंगना व संजय संजय में जुबानी जंग तेज हो गई । जहां एक तरफ कंगना मुंबई को पीओके बता डाला तो उससे भी बढ़कर संजय ने बढ़कर संजय ने संजय ने हरामखोर तक कह डाला। इस तरह दोनों ओर से तल्खी बढ़ती गई। कंगना ने बाकायदा ऐलान करते हुए कहा करते हुए कहा 9 सितंबर को मैं मुंबई आ रही हूं ,जिसको रोकना हो रोक ले इस चुनौती से तिलमिलाई उद्धव की शिवसेना सरकार बदले की भावना में उतर आई और कंगना के ऑफिस को को ही बीएमसी के माध्यम से तहस-नहस करवा डाला। इसकी चारों तरफ तरफ खूब भर्त्सना हो रही है। किसी को उम्मीद नहीं थी कि बाला साहेब ठाकरे की ही शिवसेना है जो कुछ भी ऐसा कर सकती है। शिवसेना गठबंधन सरकार की सहयोगी पार्टी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार का यह कदम गलत है , विपक्ष को एक और मौका दे दिया। इतना ही नहीं उसकी अन्य सहयोगी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने बीएमसी की आलोचना की है । लोगों का मानना है महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार जिस तरह एक महिला अभिनेत्री के पीछे पड़ी हुई है , उतनी ही तन्मयता से अगर कोरोना महामारी के पीछे पड़ जाती, शायद मुंबई की तस्वीर अलग होती। फिलहाल महाराष्ट्र में जिस प्रकार सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है और बदले की भावना से कार्य किया जा रहा है, यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है। रही बात कंगना रनौत की उसे भी केंद्र का संरक्षण प्राप्त हो गया है,उसके सुरक्षा का भार केंद्र ने ले लिया है। लेकिन महाराष्ट्र में जो राजनीति खेली जा रही है , वह अवश्य ही एक संवैधानिक देश के लिए अपशगुन ही साबित हो सकती है।
लोगों का मानना है महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार जिस तरह एक महिला अभिनेत्री के पीछे पड़ी हुई है , उतनी ही तन्मयता से अगर कोरोना महामारी के पीछे पड़ जाती, शायद मुंबई की तस्वीर अलग होती। फिलहाल महाराष्ट्र में जिस प्रकार सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है और बदले की भावना से कार्य किया जा रहा है, यह लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है। रही बात कंगना रनौत की उसे भी केंद्र का संरक्षण प्राप्त हो गया है,उसके सुरक्षा का भार केंद्र ने ले लिया है। लेकिन महाराष्ट्र में जो राजनीति खेली जा रही है , वह अवश्य ही एक संवैधानिक देश के लिए अपशगुन ही साबित हो सकती है।
@NEERAJ SINGH
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
Aap sabhi ki tippani ka intjar
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