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जुलाई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अपने ही घर में बेगाने हो चले जायसी

*नीरज कुमार सिंह* हिन्दी साहित्य  के इतिहास में चमकने वाला एक सितारा अमेठी जिले की धरती पर ही जन्म लिया है वो कोई और नहीं बल्कि भक्तिकाल के निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के सूफी संत महाकवि मलिक मोहम्मद जायसी थे। इनकी जयंती इसी माह के 09 जुलाई को मनायी जाती है। इस बार भी बिगत वर्षों की भांति अपनी ही जन्म स्थली पर कोई कार्यक्रम नही मनाया गया। लेकिन आज यही अमर कवि अपने ही घर में ही बेगाने हो चले हैं। माना जाता है कि लगभग 1500 ईं0 में जनपद मुख्यालय हिन्दी साहित्य में पदमावत जैसी काव्य कृतियां की रचना करके अपनी अमिट छाप छोडने से 16 किमी दूर नगरपालिका जायस कस्बा के कंचाना मोहल्ले में जन्मे मलिक मोहम्मद जायसी एक महान कवि के साथ- साथ उच्च कोटि के सूफी संत भी थे। जायसी जी हिन्दी साहित्य के भक्ति काल के निर्गुण शाखा के प्रेमाश्रयी धारा के प्रमुख कवियों इन्होने अपने जन्म स्थान की पुष्टि अपनी काव्य रचना आखिरी कलाम के माध्यम से की है जोकि निम्न पंक्तियों में वर्णन किया है-         जायस नगर मोर स्थानू। नगरक नाव आदि उदयानू।।        जहां देवस दस पहंुचे आएउं। भा बैराग बहुत सुख पाएउं।। उपरोक्त पंक

ये तो होना ही था......आ अब लौट चलें।

भारतीय राजनीति में जो कुछ हो जाये वो कम ही है। जो सरकार आज है, वो शायद कल न हो। आज एक गठबंधन के साथ तो कल दूसरे गठबंधन साथ सरकार बन जाये तो कोई नई बात नही है। इसी कडी में बिहार की राजनीति में कुछ ऐसा ही हुआ। पिछले 48 घण्टे में महागठबंधन की सरकार गिरकर बीजेपी- जद यू सरकार बन गई।                 जब महागठबंधन की सरकार बनी थी कि अनेक जाने माने राजनीति जानकारों आशंका जाहिर किया था, कि इस सरकार में शामिल दलों में अलग अलग विचारधारायें है।जिनका एक साथ चलना मुश्किल है। जिसकी आशंका थी आखिर सरकार अपने कार्यकाल का आधा सफर ही तय कर पायी। हो भी क्यों न क्योंकि ये माना जाता है नीतीश कुमार एक ईमानदार व साफ छबि के राजनीतिक हैं, वहीं दूसरी ओर लालू प्रसाद यादव कोर्ट के सजायाफ्ता राजनीतिक हैं।                 नीतीश कुमार साफ सुधरी सरकार चलाने के पक्षधर हैं तो लालू की पार्टी दबंग राजनीति करने वाले हैं। भ्रष्टाचारी व भ्रष्टाचार विरोधी की महागठबंधन का पांच साल सरकार चलाना आसान नही था। इस सरकार में लालू ने अपने बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनवाकर राजनीतिक सफर शुरू करवाया।लेकिन तेजस्वी के अनुभव की क
एक सफरनामा ऐसा भी...पेड न्यूज से फेक न्यूज तक। इंसान हो या इतिहास हो समय के साथ साथ बदलता रहा है। इंसान कभी गुणों की तरफ बढता है या फिर अवगुणों तरफ । इस प्रकार अपने कार्यों व कर्मों के आधार पर अपना इतिहास पीछे छोडता जाता है। ये उसके जीवन का सफरनामा साबित होता है।विज्ञान का विकास पहले भी हुआ और आज भी हो रहा है। जैसे समय बढ रहा है उसी प्रकार विज्ञान की दुनिया बदल रही है और अपने साथ इतिहास लिख रहा है। आज जिस सफरनामे की चर्चा कर रहे हैं वो भी एक क्रांति के रूप में विकसित हो रही है। संचार क्षेत्र में सबसे अहम कडी पत्रकारिता से जुडा समाचार है जिसे हम खबर भी कहते हैं। लोगों को जानकारी देना ही समाचार है ओर माध्यम समाचारपत्र होता है। इतिहास में जायें तब पहले किसी को जानकारी देने के लिए पेड के पत्तों पर लिया सूचना दी जाती थी। पक्षियों का सहारा लिया जाता था। लेकिन बातें अब इतिहास बन गई हैं। संचार की ऐसी क्रांति आयी कि सबकुछ बदल गया और टीबी, अखबार छोड अब सोशलसाइट का जमाना आ गया। घटना घटी नही कि सूचना आपके मोबाईल पर फेसबुक,व्हाटसएप पर आ जाती है। बहुत ही तेजी बदले हालात से एक तरफ जानकारी की सुविधा

ये कैसा चल रहा खेल ----

आखिर कब तक ये घिनौना खेल जारी रहेगा,आतंक का कायराना हरकत को झेलना होगा । आप तो सरकार बना कर खुश तो मैं गोली खाकर खुश रहूँ । आप हमारे खून से सने आटे की आतंकवाद के चूल्हे राजनीतिक रोटी सेंकते रहो,मानवता की लकड़ी धूं धूं जलती रहे। और ऐसे रोटी को खा खा कर लोकतांत्रिक रुपी पेट का हाजमा बिगाड़ते रहें। धर्म, जाति नामक कपडे पर खून के छींटे आखिर कब तक पड़ते रहेंगे।मानव जीवन नर्क बनता रहेगा। आज तक कोई राजनीतिक दलों के द्वारा कोई ठोस कदम अब तक कश्मीर के हालात को सुधार देगा ,ऐसा कोई दिख नही रहा है।आज खूबसूरत वादियों के शरीर को आतंकी अपनी गोलियों से छलनी कर रहा है। सरकार में बैठे राजनीतिक  अगर घड़ियाली आंसू बहाते रहे अमर नाथ यात्रा जैसी घटना को कोई रोक नही पायेगा। हालात निकल जाएंगे और मानवता जलती रहेगी और हम तमाशा देखते रहेंगे। अब समय आ गया है कि घड़ियाली आंसू बहाने के बजाय कुछ जोरदार करने का समय है । @नीरज सिंह

एक कानून दो व्यवस्था कब तक !

हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर  आमजन  कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर  बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह

कांग्रेस की बात आतंकी के साथ !

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुदद्दीन सोज का बयान ...बुरहान को मारना नही चाहिये था वो भारत व पाक के रिश्तों में पुल का काम करता। हद हो गई कांग्रेस के नेताओं की इनकी सोच आतंकियों से मेल खाती दिख रही है। दिग्गविजय, मणिशंकर अय्यर, गुलाम नवी आजाद, पी चितंबरम, संजय निरुपम  आदि नेताओं ने सोच लिया है कि हम बात करेंगे तो सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण की ,चाहे क्यों न आतंकियों का ही समर्थन करेंगे। पहले पाकिस्तान व हुर्रियत नेताओं के लिए बुरहान हीरो दिख रहा था । अब तो कांग्रेस नेता भी इसे  हीरो मानते हुए एन्काउन्टर को गलत बता कर सेना की कार्यवाही पर सवाल खड़ा कर दिया ऐसा पहली बार नही हो रहा है ।पहले भी सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस ने सवाल उठा चुका है। क्या हो गया है कांग्रेस को क्या ये वही कांग्रेस है जिसका सैकड़ों साल का आजादी से भरा गौरवशाली इतिहास रहा है , आज वो बुरहान जैसे आतंकी का पक्ष लेता दिख रहा है। अन्य दल भी दूध के धुले नही हैं। पीडीपी जैसी पार्टी जो हमेशा सस्ती राजनीति के लिए हुर्रियत से लेकर आतंकवादियों तक साथ देने में पीछे नही रही है। जम्मू-कश्मीर सरकार की मुख

अटूट रिश्तों का आगाज करते भारत-इजराइल

  नीरज सिंह-- भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इजरायल के तीन दिवसीय यात्रा पर चार जुलाई को तेल अबीब पहुंचे, एअरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत हुआ। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू प्रोटोकॉल तोड़ते हुए स्वयं वहाँ पहुँच कर गर्मजोशी के साथ श्री मोदी का स्वागत किया, ऐसा दूसरी बार हुआ। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति के लिये प्रोटोकॉल तोडा था ।इसी से अंदाजा लग गया कि इजरायल की नजर में भारत देश व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कितना महत्व है। 70 वर्ष के बाद किसी प्रधानमंत्री की इजरायल यात्रा है। इससे ये साफ हो गया कि भारत की मोदी सरकार ने बता दिया है कि इजराइल से पारम्परिक रिश्ते से अलग चलने का समय आ गया है।     भारत-इजराइल के सम्बंधो में मोदी की यात्रा ने नई इबारत लिखने का कार्य किया है। राष्ट्रपति रिवेन रिवलीन ने भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ काफी खुशनुमा माहौल में वार्ता किया। दोनों देशों के बीच सात अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए जिसमें कृषि, जल, गंगा सफाई, आप्टिकल,परमाणु, रक्षा, व प्रौद्योगिकी क्षेत्र प्रमुख हैं।इस समझौतों से भारत को इजराइल से आधुनिक तकनीक के साथ आतंकवाद से निपटने क