सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ये तो होना ही था......आ अब लौट चलें।


भारतीय राजनीति में जो कुछ हो जाये वो कम ही है। जो सरकार आज है, वो शायद कल न हो। आज एक गठबंधन के साथ तो कल दूसरे गठबंधन साथ सरकार बन जाये तो कोई नई बात नही है। इसी कडी में बिहार की राजनीति में कुछ ऐसा ही हुआ। पिछले 48 घण्टे में महागठबंधन की सरकार गिरकर बीजेपी- जद यू सरकार बन गई।

                जब महागठबंधन की सरकार बनी थी कि अनेक जाने माने राजनीति जानकारों आशंका जाहिर किया था, कि इस सरकार में शामिल दलों में अलग अलग विचारधारायें है।जिनका एक साथ चलना मुश्किल है। जिसकी आशंका थी आखिर सरकार अपने कार्यकाल का आधा सफर ही तय कर पायी। हो भी क्यों न क्योंकि ये माना जाता है नीतीश कुमार एक ईमानदार व साफ छबि के राजनीतिक हैं, वहीं दूसरी ओर लालू प्रसाद यादव कोर्ट के सजायाफ्ता राजनीतिक हैं।                नीतीश कुमार साफ सुधरी सरकार चलाने के पक्षधर हैं तो लालू की पार्टी दबंग राजनीति करने वाले हैं। भ्रष्टाचारी व भ्रष्टाचार विरोधी की महागठबंधन का पांच साल सरकार चलाना आसान नही था। इस सरकार में लालू ने अपने बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनवाकर राजनीतिक सफर शुरू करवाया।लेकिन तेजस्वी के अनुभव की कमी व बडबोलेपन ने नीतीश कुमार को परेशान करके रख दिया। रही सही कसर सीबीआई ने पूरी कर दी।                  लालू चाहते थे कि उनके व परिजनों की सीबीआई के कस रहे शिकंजे से बचाने के लिए गुहार लगाते रहे और नीतीश चुप रहे क्योंकि उनकी स्थिति सांप नेवले वाली हाल हो गई न निकलते बन रहा था और नही उगलते बन रहा था। आखिर उनको वही सूझा कि आ अब लौट चलें।फिर पुनः भाजपा की गोद में जा बैठे और सरकार बना डाली। बिहार की राजनीति में भूकम्प आ गया। इसका असर बिहार ही नहीं पूरे देश की सियासत पर पडा क्योंकि ये महागठबंधन ने ही नीतीश के नेतृत्व में मोदी रथ को रोका और अब वही सेनापति मोदी के साथ जा मिला।                  आखिर 2019 लोकसभा की लडाई बिहार में विपक्षियों कमजोर हो गई। इससे कांग्रेस,राजद सहित पूरा विपक्ष ही आवाक रह गया है। और राहुल,दिग्विजय, लालू, सीताराम येचुरी सहित अनेक विपक्षी दलों के नेता नीतीश को धोखेबाज बता रहे हैं। अब चाहे जो हो नीतीश ने पलटी मार दी और भाजपा की बल्ले बल्ले हो गई है। सही बात है कि ये तो होना ही है।

@नीरज सिंह


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

काश .......कोई मेरी भी सुनता !

  प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जा रहा है,क्योंकि इसी दिन राक्षसराज रावण का अंत करके लंका की जनता को उस की प्रताड़ना से मुक्त करा कर अयोध्या लौटे थे I इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश व कुबेर की पूजा भी की जाती है और अपने-अपने घरों को दीप जलाकर सजाया जाता है I इस बार भी अयोध्या में 12 लाख दीप जलाकर योगी की उत्तर प्रदेश सरकार वर्ल्ड रिकार्ड बना रही है I यह एक अच्छी पहल है, होना भी चाहिए ,जिससे कि आने वाली पीढ़ियां हमारी संस्कृति को समझ सके, उन्हें जान सके I लेकिन देश भर में मनाये जा रहे दीपावली त्यौहार पर आर्थिक नीतियों में ग्रहण की तरह घेर रखा है I पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने जनता का दिवाला निकाल दिया है I विगत 02 साल में जहां कोरोना देश की नहीं आम जन के बजट को हिला कर रख दिया है I महंगाई बढ़ने लगी I अब जबकि कोरोना महामारी से लोग उबरने लगे हैं I देश की अर्थव्यवस्था सुधरने लगी है I लेकिन महंगाई पर अभी भी सरकार नियंत्रण करने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो पा रही है I इसी बीच पेट्रोलियम पदार्थों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है और यह अब शतक लगाकर पार हो चुका है I ...

संकुचित राजनीति की बदरंग तस्वीर

    जाति-धर्म के फैक्टर में, कोई नहीं है टक्कर में....उक्त स्लोगन आज की राजनीति के परिप्रेक्ष्य में देखा जाय बिल्कुल सटीक बैठता है I विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में वर्तमान में जिस तरह की राजनीति चल रही है ,आने वाले समय में विषम परिस्थितियों को आमंत्रित करने का कार्य किया जा रहा है I जो न तो लोकतंत्र के सेहत के लिए ठीक होगा न ही आवाम के लिए ही हितकारी होगा I  हमारे राजनीतिक दलों के आकाओं को भी चिन्तन करने की जरूरत है कि सत्ता के लिए ऐसी ओछी राजनीति कर देश की स्थिरता को संकट में डालने का कार्य कर रहे हैं I देश के बड़े-बड़े  अलम्बरदार माइक सम्हालते ही सबसे बड़े देश-भक्त बन जाते हैं I लेकिन चुनाव आते ही वोट पहले और देश बाद में होता है I मंचों पर जो विचारधारा प्रस्तुत करते हैं ,वो चुनावी रणनीति में बदल जाती है I बस एक ही एजेंडा होता है जीत सिर्फ जीत इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं I पार्टी का सिद्धांत तो तेल लेने चला जाता है I अभी हाल के दिनों में कुछ राजनीतिक घटनाओं में उक्त झलक दिखी I पंजाब, उत्तर प्रदेश में 2022 में चुनाव होने हैं I जातिगत आधार पर राजनीति शुरू ह...

यूपी चुनाव ने गढ़े नये आयाम

  यूपी में का ....बा ! यूपी में बाबा ... जैसे गीतों की धुन विधानसभा चुनाव 2022 में खूब चले अरे उठापटक के बीच आखिरकार विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ I एक बार फिर योगी जी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने जा रही है I संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अनेकानेक सवाल भी अपने पीछे छोड़ कर गया है I इस बार यह चुनाव धर्म जाति पर लड़े या फिर राष्ट्रवाद सुरक्षा सुशासन महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चुनाव हुए ? राजनीतिक दलों ने मुद्दे तो खूब उठाएं धर्म जाति दोनों पिचों पर दलों ने जम कर बैटिंग किया चुनाव की शुरुआत में जिन्ना का प्रवेश हुआ हिंदुत्व मुद्दा बना कई दलों में मुस्लिम हितैषी बनने को लेकर होड़ मची दिखी चुनाव का अंत में EVM पर आकर टिक गया I चुनाव काफी दिलचस्प रहा लोगों में अंत तक कौतूहल बना हुआ था कि किसकी सरकार बनेगी I फिलहाल योगी सरकार बन ही गई इस चुनाव में सभी मुद्दों दोही मुद्दे सफल हुए जिसमें राशन व सुशासन I ये सभी मुद्दों पर भारी रहे I पश्चिम उत्तर प्रदेश में सुशासन तो पूर्वी में राशन का प्रभाव दिखा I इस चुनाव में मुस्लिम समुदाय का एक तरफा वोटिंग ने समाजवादी पार्टी को 125 सीटों तक पहुं...