नीरज सिंह
अभी तो ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है,ये फिल्मी डायलाग इस पंचायत चुनाव में सटीक बैठ रही है। एसी व देशी दोनों शबाब पर है। सच बात है त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की गर्माहट साफ दिखने लगी है। कोर्ट में पडी अपीलों पर निर्णयों का असर दिख जरूर जाता है लेकिन राजनीतिक तपन थमने का नाम नही ले रही हैं। पंचायत चुनाव के समर में बडे बडे सूरमा विभिन्न वार्डो से अपनी भाग्य अजमाने के लिए कूद पडे है। सुबह शाम मतदाताओं की चैखट चूमने के अलावा गांव की गलियों की धूल फांक रहे है। जहां एक ओर बीडीसी प्रत्याशी अपने मतदाता को रिझाने के लिए गांव गांव भटक रहे हैं और विकास कराने की कसमें खा रहे हैं। वहीं जिला पंचायत सदस्य का चुनाव इस चुनाव से थोडा इतर है। इस बार के चुनाव में प्रचार का तरीके में प्रत्याशियों ने कुछ बदलाव लाया है। जहां पहले की तरह देशी का जलवा कायम है वहीं इस बार एसी लग्जरी वाहनों का भी जलवा कायम हो चुका है। जिले के लगभग सभी वार्डों में प्रत्याशियों के साथ सफारी,इनोवा,क्वालिस, व स्कार्पियों जैसे लग्जरी वाहन काफिले में शामिल हैं। उनके साथ रंगरूट कार्यकत्र्ताओं का चलना चलन बन गया है। प्रत्याशी के उतरने से पहले ही रंगरूट जवान फिल्मी स्टाईल की तरह वाहनों के दरवाजे खोल कर आ जाते हैं। लगता है कि ये डीडीसी प्रत्याशी नहीं किसी फिल्म का सीन है। हां एक बात और दिखी कि प्रत्याशियों के काफिले में बिना नं0 की प्लेट के नये वाहन जरूर शामिल होंगे। जिसे प्रत्याशी अपना स्टेटस सैंम्बल मान रहा है। वहीं प्रशासन को कुछ नही दिख रहा है। गांवों की गरीब जनता इन लग्जरी काफिले को देख एक बार जरूर सहम जा रही है। चुनाव का आयोग की ओर से निर्धारित खर्च डेढ लाख है, लेकिन नामांकन से पहले ही एक एक प्रत्याशी के लाखों रूपये अभी ही बह गये हैं। एक वाहन के बजाय दर्जनों वाहन गांवों की ओर सफर कर रहे हैं। इस चुनाव में धनबल, व बाहुबल पूरे चरम पर दिख रहा है। देशी शराब जहां क्षेत्र पंचायत सदस्यों के लिए चुनाव जीतने का रास्ता माना जाता है। वहीं डीडीसी में बीसर और इंग्लिश के साथ एसी लगी जग्जरी गाडियां चुनाव में धमक कायम किए हुए हैं। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव विधान सभा के चुनाव से कहीं हाईटेक दिख रहा है।बडे बडे धनवान बर्ग जो शहरों में कारोबार जमायें हुए हैं वो आजकल गांव में डेरा जमा चुके हैं और पंचायत चुनाव लडकर अपना जलवा समाज में दिखा रहे हैं। और धनबल व बाहुबल पर चुनाव को प्रभावित करने में कोई कोर कसर नही छोड रहे हैं। इस बार जिला पंचायत चुनाव में धनबल के बल पर एसी व देशी अपना जलवा बिखेरनें में कामयाब है। फिलहाल प्रशासन की नजरें इस ओर इनायत होती नजर नही आ रही है। वहीं प्रत्याशी भी अपनी धुन में प्रचार प्रसार में जुटा है।
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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