सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं माँ अहोरवा


द्वापर कालीन माँ अहोरवा देवी के मंदिर में भक्तों आस्था है कि सच्चे मन से मांगी गयी मुराद माँ अहोरवा अवश्य पूर्ण करती हैं शारदीय नवरात्रि तथा चैत्र नवरात्रि में भक्त माँ की विशेष पूजा अर्चना करतें हैं देवी माँ के नौ रूपों की पूजा करने वाले भक्त माँ अहोरवा के एक दिन में तीन रूपों के दर्शन कर अपने कल्याण की कामना करतें हैं| रायबरेली-इन्हौना मार्ग पर सिंहपुर ब्लाक मुख्यालय के निकट स्थित माँ अहोरवा देवी के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में जब पांडव अज्ञातवास में थे तो माता कुंती समेत द्रोपदी व पांडवों ने देवी माँ की पूजा की थी प्राकृतिक रूप से विद्यमान माँ अहोरवा की मूर्ति के बारे में मान्यता है कि माँ के दर्शन से भक्तों के कष्ट तो दूर होतें ही हैं सच्चे मन से मांगी गयी मुराद भी माँ पूरी करती हैं|बड़ी संख्या में ऐसे भक्त हैं जो प्रत्येक सोमवार माँ के दर्शन कर परिक्रमा करतें हैं|मान्यता है कि दूध और पूत से परिवारों को संतृप्त रखने की शक्ति माँ अहोरवा में है| कई प्रकार के शारीरिक कष्टों वाले भक्त माँ के दर्शनों से निजात पाते हैं बड़ी संख्या में ऐसें भक्त हैं जो माँ के चरणों से निकलने वाले नीर को प्रसाद स्वरुप ले जातें हैं और असाध्य रोगों में उसे लगाकर निजात पातें हैं ऐसी भक्तों की मान्यता है| शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में भोर में ही भक्तों की लाइन दर्शनों के लिए माँ भवानी के परिसर में लग जाती है और माँ के जयकारों से वातावरण गुजायमान रहता है | परिसर में सजी प्रसाद की दुकानों में माँ की चूनर भक्तों को प्रिय है,सुहागिने माँ की चूनर व सिंदूर अपने श्रंगार के बाक्स में रखतीं हैं|बड़ी संख्या में भक्त अपने बच्चों के मुंडन संस्कार तथा परिणय बंधन से पूर्व गोद भराई की रश्म पूरी करने वाले जोड़े भी देखे जा सकतें हैं|कुंवारी कन्याओं का भोज तथा ब्रह्मण भोज जैसे अनुष्ठान भक्त करते रहतें हैं|बड़ी संख्या में पेट के बल लेटकर परिक्रमा कर भक्त माँ भवानी के दरबार तक पहुँचते हैं और अपनी मन्नत माँ तक पहुंचाते हैं | नीर लगाने से आँखों की ज्योति वापस आती है नेत्र रोगियों के बारे में ऐसी मान्यता हैकि मा के चरणों से निकलने वाले नीर (जल) को आँखों में डालने से आँखों कीई ज्योति वापस लौट आती है | दिन में तीन रूप बदलती हैं माँ अहोरवा ऐसी मान्यता है कि माता अहोरवा की प्राकृतिक मूर्ति दिन में तीन रूप बदलती है प्रातः काल में बाल्यावस्था दोपहर में युवावस्था एवं शाम को वृद्धावस्था के रूप में माता भक्तो को दर्शन देती है। NEERAJ SINGH

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

एक कानून दो व्यवस्था कब तक !

हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर  आमजन  कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर  बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह

आओ मनाएं संविधान दिवस

पूरे देश में  संविधान दिवस मनाया जा रहा है। सभी वर्ग के लोग संविधान के निर्माण दिवस पर अनेकों ने कार्यक्रम करके संविधान दिवस को मनाया गया। राजनीतिक पार्टियों ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी कर के संविधान की चर्चा करके इस दिवस को गौरवमयी बनाने का का प्रयास किया गया। प्रशासनिक स्तर हो या  फिर विद्यालयों में बच्चों द्वारा शपथ दिलाकर निबंध लेखन चित्रण जैसी प्रतियोगिताएं करके दिवस को मनाया गया। बताते चलें कि 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था और संविधान लागू 26 जनवरी 1950 को हुआ था। संविधान सभा में बनाने वाले 207 सदस्य थे इस संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी थे। इसलिए इन्हें भारत का संविधान निर्माता भी कहा जाता है । विश्व के सबसे बड़े संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था। भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए 29 अगस्त 1947 को समिति की स्थापना हुई थी । जिसकी अध्यक्षता डॉ भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में समिति गठित गठित की गई थी । 19 नवंबर 2015 को राजपत्र अधिसूचना के सहायता से

अपनो के बीच हिंदी बनी दोयम दर्जे की भाषा !

  हिंदी दिवस पर विशेष---  जिस देश में हिंदी के लिए 'दो दबाएं' सुनना पड़ता है और 90% लोग अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं..जहाँ देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस और पीसीएस में लगातार हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के साथ हो रहा अन्याय और लगातार उनके गिरते हुए परिणाम लेकिन फिर भी सरकार के द्वारा हिंदी भाषा को शिखर पर ले जाने का जुमला।। उस देश को हिंदी_दिवस की शुभकामनाएं उपरोक्त उद्गगार सिविल सेवा की तैयारी कर रहे एक प्रतियोगी की है। इन वाक्यों में उन सभी हिंदी माध्यम में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों की है । जो हिन्दी साहित्य की दुर्दशा को बयां कर रहा है। विगत दो-तीन वर्षों के सिविल सेवा के परिणाम ने हिंदी माध्यम के छात्रों को हिलाकर रख दिया है। किस तरह अंग्रेजियत हावी हो रही है इन परीक्षाओं जिनमें UPSC व UPPCS शामिल है इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है। हाल ही में दो दिन पूर्व UPPCS की टॉप रैंकिंग में हिन्दी माध्यम वाले 100 के बाहर ही जगह बना पाए । जो कभी टॉप रैंकिंग में अधिकांश हिंदी माध्यम के छात्र सफल होते थे । लेकिन अब ऐसा नही है। आज लाखों हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों के भव