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लोगों की मन्नतों को फलीभूत करता रहा है सिद्धपीठ टीकरमाफी आश्रम

भारत देश में यूपी के अमेठी जनपद में मौजूद सिद्धपीठ स्वामी परमहंस आश्रम टीकरमाफी में भक्तों द्वारा सिद्धपीठ पर मंथा टेका और पूजा अर्चना कर अपनी मनौती को पूरा करने के लिए स्वामी जी की आराधना करते हैं।न जाने कितने के दुख दूर हुए और कितने परिवारों में कलह से शांति मिली। और नव वधूओं की गोद हरीभरी हुई। कितने अपने रोजगार और पढाई के लिए मन्नते मांगी। पीठ के महंत दिनेशानंद महाराज लोगों को स्वामी जी की भभूती और प्रसाद वितरित किया। और स्वामी जी की नीरि घर-घर शांति का संदेश देने परिवार के बीच पहुची। जो एक बार आया वह बिना दुबारा प्रसाद ग्रहण किये बेचैन हो जाता है। जिनकी मत मार जाती है जो पागल हो जाते है वो भी गोसेवा और समाधि के दर्शन सुबह शाम आरती प्रसाद ग्रहण करने से उनमें बदलाव सा आ जाता है। देश के कोने कोने के अतिरिक्‍त सुलतानपुर, प्रतापगढ, चिलबिला, आदि स्‍थानों के व्यापारी भी समाधि पर पूजा अर्चना कर स्वामी जी से सुख शांति की मंगल कामना करते हैं। यहां पर विशाल गौशाला है जो विशाल जंगल में अपना चारा स्वयं तलाशती है। जबकि आश्रम के आस-पास के किसान भूषा और अनाज दोनों का दान कर आश्रम में श्रद्धा के साथ समार्पण करते है। आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी श्री 108 दिनेशानंद महाराज बताते है कि स्वामी परमहंस का जन्म कल्याणपुर जामो में हुआ था, वहां से संत के रूप में अपना घर त्यागकर समाज सेवा और ईश्वर की पूजा में लीन हो गये स्वामी जी की बरतला गांव में और पिण्डोंरिया के समीप काली भगत की कुटिया को अपना साधना स्थल भी बनाया। स्वामी जी टीकरमाफी आश्रम में आयें जहां पर इनका नाम अलोपी बाबा के रूप में लोगों में पहचान दी। आज आश्रम में अर्द्धवार्षिक महायज्ञ के साथ भंडारा है। जिसमें लोग श्रद्धा के साथ सभी शामिल होते हैं प्रशासन भी इस कार्यक्रम में अपनी पूरी भागेदारी सुरक्षा व्यवस्था में सदैव देती चली आ रही है। आश्रम के आसपास सुखशांति का संदेश स्वामी जी के आज भी कायम हैं। उन्होंने कहा कि परमहंस आश्रम अति पावन। सदा सुखद दुख पुंज न सावन।। पुण्य भूमि जहां बनी समाधि सेवत तुरत सकल सिथि साधी। का दोहा सुनाकर मौन हो जाते है और भक्तों को प्रसाद वितरित करने में लीन हो जाते है।इस ि‍सिद्धपीठ पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी विशेष लगाव रहा है। @NEERAJ SINGH

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