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अमेठी में किस स्तर पर पहुंचेगी भाजपा व कांग्रेस की राजनीति

अमेठी। संसदीय क्षेत्र अमेठी में लोकसभा चुनाव के दरम्यान क्षेत्र मे ंशुरू हुई भाजपा और कांग्रेस की नूराकुश्ती किस हद तक जायेगी यह आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। गांधी नेहरू परिवार के गढ को ढहाने की नियत से भ1जापा ने यहां स्मृति इरानी को 2014 के चुनाव में उतार कर काफी कुछ हासिल करने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान यहां जन सभा पर सीधी लडाई में भाजपा को लाने में सफलता हासिल की। भले ही सीट भाजपा की झोली मे ंजाने से बच गई।
 कडी मशक्कत के बाद कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी इस सीट को बचानें में सफल हुए। चुनाव के दरम्यान विरोध की प्रक्रिया जो शुरू हुई उसमें कहीं कहीं ओछी हरकत भी देखी गई। उसी दौरान आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कुमार विश्वास भी अमेठी से कांग्रेस के किले को उखाड फेंकने की कोशिश कर रहे थें।
 कहीं-कहीं उनपर अंडे बरसाये गये। कहीं काली स्याही फेंकी गई तो जगह-जगह काले झंडे दिखाए गये। यह करतब कांग्रेसियों के द्वारा दिखाया गया। इसी कडी में स्मृति इरानी का भी पुरजोर विरोध हुआ। उन्हें भी काले झंडे दिखाए गये। प्रत्युत्तर में भाजयुमो कार्यकर्ताओं द्वारा राहुल गांधी का विरोध किया गया। कभी काला झंडा दिखाया गया तो कभी पुतला फूंका गया। यह दौर चलता रहा।
 चुनाव बाद भी विरोध की यह प्रक्रिया कायम रही। जेएनयू में राहुल गांधी के वक्तव्य के बाद अमेठी में भाजयुमों ने शव यात्रा निकालकर कडा प्रतिरोध किया। 19 फरवरी को राहुल गांधी के अमेठी आगमन पर काला झंडा दिखाकर और विरोध में नारे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया गया। इस पर कांग्रेस कार्यकर्ता द्वारा कल प्राथमिकी दर्ज कराकर हमले की साजिस का जो रूप दिया गया।
 इन मामलों को लेकर क्षेत्र के आम जन मानस चर्चा का दौर शुरू हुआ। प्रबुद्ध वर्ग का मानना है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रही नूराकुश्ती लोकतंत्र मे ंस्वच्छ राजनीतिक परम्परा के विपरीत है। विरोध और राजनीति की एक मर्यादा होती है। जिसका पालन करने में पूरी कोताही की जा रही है। जिससे स्वच्छ राजनीति पर धब्बा लग रहा है।

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