जेएनयू के जिस वीडियो पर विवाद हो रहा है, उसे यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार भूपिंदर जुत्शी ने सही बताया है. उन्होंने कहा कि दोषियों के वीडियो की प्रामाणिकता पर सवाल उठाना गलत है. क्योंकि रिकॉर्डिंग खुद जेएनयू प्रशासन ने कराई थी.
पुलिस को सौंपे वीडियो, रिपोर्ट
जुत्शी ने कहा, 'जब हमें पता चला कि अनुमति न होने के बावजूद अफजल गुरु को लेकर यह कार्यक्रम हो रहा है, तभी इसकी रिकॉर्डिंग के आदेश दे दिए गए थे. इसके साथ ही हमने इस घटना की एक रिपोर्ट भी तैयार की थी. यह रिपोर्ट और वीडियो दोनों हमने पुलिस को सौंप दिए हैं.'
इसलिए आने दी कैंपस में पुलिस
जुत्शी ने बताया कि जेएनयू प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति तब रद्द कर दी थी. जब पता चला कि आपत्तिजनक पर्चे बांटे जा रहे हैं. इसके बाद हमने अपनी टीम वहां भेजी थी. पुलिस को कैंपस में आने देना हमारी मजबूरी थी. क्योंकि पुलिस ने हमें जो चिट्ठी थी भेजी थी, इसमें साफ-साफ देशद्रोह का जिक्र था.
पुलिस कार्रवाई पर हमारा जोर नहीं
जुत्शी ने कहा कि ऐसे गंभीर आरोप के बाद भी अगर हम पुलिस को रोकते तो हम पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती थी. हमने अपनी जांच कर 8 छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की है. जो कमेटी बनाई गई है वह भी अपना काम कर रही है. पुलिस किसे गिरफ्तार करती है इस पर हमारा कोई जोर नहीं है.
राजनीतिक पार्टियों से अपील- न आएं कैंपस
उन्होंने बताया कि पुलिस जिन लोगों को खोज रही है और जिनकी पहचान उन्होंने की है, उनमें से ज्यादातर नाम कॉमन है. हमारी सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील है कि वह यहां न आएं. यह बात सही है कि जेएनयू की काफी बदनामी हो गई है.
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
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