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फंस गए भारतीय कामगार, काम आई भारत सरकार

सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में नौकरी करने गए कामगारों को भी नियोक्ता कंपनियों की प्रताड़ना से उबारने का बीड़ा भी भारत सरकार ने ही उठाया. यह जिम्मेदारी भी जनरल वीके सिंह ने ही संभाली और सऊदी अरब सरकार से बात करके समस्या का हल निकाला. जनरल की बातों से प्रभावित सऊदी अरब के शाह ने भी सरकार को भारतीय कामगारों की समस्या का त्वरित हल ढूंढ़ने का निर्देश दिया है. सऊदी अरब की नियोक्ता कंपनियों ने 7,700 कामगारों को नौकरी से निकाल दिया था. भारतीय कामगारों को विभिन्न शिविरों में रखा गया था. पहले तो कंपनियां उनका खाना दे रही थीं, लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल और जनरल वीके सिंह की सऊदी अरब के श्रम और सामाजिक विकास मंत्री मुफरेज अल हकबानी से बातचीत के बाद इसका हल निकला. सऊदी सरकार ने कामगारों के खाने की व्यवस्था की. कच्चे तेल की कीमतें घटने और सऊदी अरब की सरकार द्वारा खर्चों में कटौती करने के कारण खाड़ी देश की अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार हो गई है, जिससे हजारों भारतीयों की नौकरी चली गई. सऊदी गए विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने वहां के श्रम मंत्री से आग्रह किया कि नियोक्ता कंपनियों की एनओसी के बगैर बेरोजगार भारतीय कामगारों को निकासी (एक्जिट) वीजा उपलब्ध कराया जाए और कर्मचारियों के बकाये का भुगतान हो. सऊदी की प्रमुख नियोक्ता कंपनी मेसर्स सऊदी ओगर से जुड़े 4,072 भारतीय कामगार रियाद में नौ शिविरों में रह रहे थे. दूसरी कंपनी मेसर्स साद ग्रुप से जुड़े 1,457 कर्मचारियों को दम्माम में दो शिविरों में रखा गया था. मेसर्स शिफा सनाया के पांच कामगार रियाद में एक शिविर में थे जबकि मैसर्स तैया कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी के 13 भारतीय कर्मचारी अन्य एक शिविर में थे. रियाद के चौदह शिविरों में रह रहे कुल 5,547 भारतीय कामगारों को भारतीय दूतावास द्वारा सहायता उपलब्ध कराई गई. जेद्दाह के छह शिविरों में मेसर्स सऊदी ओगर से जुड़े 2,153 भारतीय कामगार हैं, जिन्हें भारतीय वाणिज्य दूतावास की तरफ से भोजन उपलब्ध कराया गया. जनरल वीके सिंह ने कहा कि सऊदी का कानून अलग है, वहां जाकर पहले यह अध्ययन करना पड़ा कि आखिर कठिनाई क्या है. रेस्क्यु में मुश्किल यह भी आई कि वहां की कुछ कंपनियां विरोध में बदमाशियों पर उतर आईं. बिन लादेन कंपनी ने तो वहां तोड़फोड़ भी शुरू करा दी. साद कंपनी के लोगों ने भी तोड़फोड़ की, इससे क्या हुआ कि वहां फंसे चार पांच सौ लोगों को अलग कैंप्स में शिफ्ट कर दिया गया. जनरल ने जेद्दाह से रियाद जाकर वहां के श्रम मंत्री से मुलाकात की. भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष होने का भी फायदा उन्हें मिला. सऊदी अरब के शाह ने खास तौर पर ध्यान दिया और वहां से आदेश आ गया कि समस्या का फौरन हल निकालो. एकामा (आदेश-पत्र) बदले जाने की प्रक्रिया में देर हो रही थी. दूतावास के जरिए जो भारत वापस आना चाहते थे, उनका लंबित भुगतान कराए जाने की मांग भी अटकी थी. सऊदी सरकार से बात करने के बाद यह तय हुआ कि जो लोग लौट रहे हैं, उन्हें दो महीने की सैलरी दी जाए और बकाए के भुगतान की प्रक्रिया चालू हो. उन दावों को निर्धारित समय सीमा में सुलटाया जाए. उसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई. जिन भारतीय कामगारों की नौकरियां चली गईं और उनकी हालत खस्ता थी, उनसे जनरल वीके सिंह ने मुलाकात की और समस्या का हल कराया. भारतीय कामगारों को एक्जिट वीजा दिए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं. वे क्रमशः भारत लौट रहे हैं. लौटने वाले कर्मचारियों के बकाए के भुगतान के लिए भी भारत सरकार पहल कर रही है.

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