उरी घटनाओं को लेकर देश की जनभावना जिस प्रकार उद्देलित हुई शायद कभी हुई होगी। 10 दिनों के अन्दर जिस प्रकार सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के कैंप पर सर्जिकल स्ट्राईक को अंजाम दिया काबिले तारीफ की बात रही। इस कार्यवाही में सेना के साथ साथ खुफिया एजेंसियों और केन्द्र की सरकार का भी अहम रोल रहा। जिसकी चारों ओर तारीफ मिली ,इतना ही नही देश में ही नहीं विदेशों में इस कदम की प्रशंसा हुई। भारत की जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ किया ओर जय के नारे भी लगाये। इससे अति उत्साहित भाजपा कार्यकत्र्ताओं ने सेना व मोदी की सर्जिकल स्ट्राईक के साथ चित्रण करते हुए होल्डिंग लगा दी । फिर क्या था अन्य दलों में तूफान आ गया। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के नेता अनाप शनाप बयान देने लगे जैसे लगा कि इनका संतुलन ही बिगड गया। अरविंद केजरीवाल, संजय निरूपम ने सर्जिकल स्ट्राईक के सबूत तक मांग डाले। तो राहुल गांधी ने केन्द्र सरकार को सेना के खून की दलाली करने वाली सरकार बना डाला। जिसकी चारो तरफ निंदा की जा रही है। इन्हे ये नही पता कि ये क्या बक रहे हैं। एक प्रकार से पाकिस्तान की सरकार के झूइे दावों का सर्पोट ही नही कर रहे बल्कि आतंकवादियों की बातों का समर्थन देने की बात कर रहे हैं। दूसरी तरफ सेना के हौंसलों को कुन्द करने का काम कर रहे हैं। ऐसे नेताओं को तो देश द्रोह का मामला दर्ज कर देना चाहिए। केजरीवाल ने तो बाद में सफाई दी। राजनीतिज्ञों का मानना आम आदमी पार्टी एक नई पार्टी है इनके बयान का कोई बडा महत्व नही है क्योंकि अभी वह एक अनुभवहीन पार्टी है, जबकि कांग्रेस तो जिम्मेदार पार्टी है। इस लिए ऐसे बयान की आवश्यकता नहीं थी। उनका माना है ये इस प्रकार के बयान बाजी सिर्फ वोटों के खातिर कर रहे हैं। लेकिन इन्हे नही मालूम कि ऐसे बयानों से देश को कितनी बडी क्षति पहुंच सकती है, देश की छबि पर सीधा प्रभाव पड सकता है। यही तो कह रहा हूं कि काश इस ना समझ नेताओं को कोई समझाये कि ये ठीक नही है। ये न तो आपके हित में हैं न ही देश के हित में है। जय हिन्द
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें