देश में सामाजिक तौर समानता के अधिकार से सरोकार रखने वाला एक और मुद्दा गरर्माया है। ट्रिपल तलाक को लेकर देश में बडी बहस का रूप ले लिया है। इस इसकी शुरूआत सुप्रीम कोर्ट में दायर शायराबानों केस से हुई है। मुसलमानों के शरीयत के अनुसार ट्रिपल तलाक पूरी तरह से जायज है। इसे लेकर पहले भी काफी बखेडा हो चुका हैं 1984 में शाहबानों केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पीडिता को मुआवजा देने की बात की गई थी। लेकिन तत्कालीन राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में विधेयक लाकर पलटने का कार्य किया गया था, जिसका मुस्लिम महिलाओं पर विपरीत प्रभाव पडा था। परन्तु मुस्लिम वोटों के लिए ये कृत्य किया गया था। अब एक बार फिर देश में ट्रिपल तलाक को लेकर बडी बहस चल पडी है। इतना ही नही देश के आन्ध्रप्रेश, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु,आदि प्रदेशों के 50 हजार से अधिक मुस्लिम महिलाओं और पुरूषों ने हस्ताक्षरयुक्त हलफनामा कोर्ट में पेश किया कि ट्रिपल तलाक को हटाया जाय इससे महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार को रोका जा सके। भारत सरकार ने भी बीते सात अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक हटाने के पक्ष में हलफनामा दाखिल कर दिया है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी लखनऊ में एक कार्यक्रम में बोलते हुए साफ किया कि महिलाओं के साथ नाइंसाफी नही होंने देगें, चाहे वो जिस जाति धर्म से हो। वहीं मुस्लिम धर्म के अनेक धर्म गुरू इसके पक्ष में हैं। लेकिन बडी संख्या में धर्मगुरू व मौलाना इसे शरियत के खिलाफ मानते हैं। सवाल उठता है कि सऊदी अरब ईरान, इराक, बांग्लादेश सहित 21 राष्ट्रों में ट्रिपल तलाक बंद होना क्या वहां शरियत की खिलाफत नही है! महिलाओं के साथ लिंग भेदभाव, व समानता के अधिकार पर एक बडी सहमति बन कर देश में उभरी है। कितना दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमारे देश में एक ही प्रक्रिया के दो दो कानून है। इसका सबसे बडा दोषी हमारी देश की गंदी राजनीति है और उनके रहनुमा हैं। सिर्फ वोटो की खातिर चाहे महिलाएं हों या फिर और कोई उन पर क्या बीत रही है इनसे मतलब नही है बच गद्दी बची रहे कार्य देशहित में हो या न हो। अभी उ0प्र0 के सिद्धार्थनगर का मामला है कि एक महिला तस्नीम को उनके शौहर मो0 फरीद सऊदी अरब से वाट्सएप पर ही तलाक लिखकर भेज दिया। पत्नी नहीं खेलने वाला खिलौना बन गया है। मजाक बन गया है तलाक इसकी कोई अहिमयत ही नही रह गई है। मुस्लिम वक्फ बोर्ड का कहना है कि ये शरियत के खिलाफ है। क्योंकि हमारे धर्म में अन्य धर्मां से अधिक तलाक होते हैं। लेकिन तलाक विरोधी इससे इत्तेफाक नही रखते हैं उनका कहना है तलाक पूरी तरह से गलत प्रयोग किया जा रहा है महिलाओं को शोषण मात्र का साधन व भेग विलास की वस्तु बना दिया है। धर्म के नाम पर समानता के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। जो भी हो इस मुद्दे पर बडी बहस छिडी है। इसी बाच सुप्रीम कोर्ट ने एक मुद्दा उठा दिया कि सिविल डेªस कोड पर सरकार का क्या कहना है। इन दोनों मुद्दों ने देश का माहौल गर्म कर दिया है। आने वाले आगामी वर्ष में उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्ये में विधानसभा चुनाव होने है। ये चुनावी मुद्दे बनेगंे व राजनीतिक दलों के हथियार का काम होगा। फिलहाल बुद्धिजीवियों का मानना है कि सामाजिक दृष्टिकोण से महिलाओं के हालात पर एक क्रांतिकारी कदम साबित होने वाला है।
प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जा रहा है,क्योंकि इसी दिन राक्षसराज रावण का अंत करके लंका की जनता को उस की प्रताड़ना से मुक्त करा कर अयोध्या लौटे थे I इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश व कुबेर की पूजा भी की जाती है और अपने-अपने घरों को दीप जलाकर सजाया जाता है I इस बार भी अयोध्या में 12 लाख दीप जलाकर योगी की उत्तर प्रदेश सरकार वर्ल्ड रिकार्ड बना रही है I यह एक अच्छी पहल है, होना भी चाहिए ,जिससे कि आने वाली पीढ़ियां हमारी संस्कृति को समझ सके, उन्हें जान सके I लेकिन देश भर में मनाये जा रहे दीपावली त्यौहार पर आर्थिक नीतियों में ग्रहण की तरह घेर रखा है I पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने जनता का दिवाला निकाल दिया है I विगत 02 साल में जहां कोरोना देश की नहीं आम जन के बजट को हिला कर रख दिया है I महंगाई बढ़ने लगी I अब जबकि कोरोना महामारी से लोग उबरने लगे हैं I देश की अर्थव्यवस्था सुधरने लगी है I लेकिन महंगाई पर अभी भी सरकार नियंत्रण करने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो पा रही है I इसी बीच पेट्रोलियम पदार्थों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है और यह अब शतक लगाकर पार हो चुका है I ...
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