इस लेख का शीर्षक अतिश्योक्ति नही, सार्थकता प्रदान कर रहा है। तीन राज्यों में चुनाव के परिणामों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय सियासत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई सानी है। वर्तमान में भारतीय राजनीति में इनके कद का राजनेता दूर दूर तक नही दिख रहा है।आज के परिणामों में न सिर्फ त्रिपुरा के 25 वर्षों से अजेय वामपंथियों के किले को ध्वस्त किया बल्कि नागालैंड में भी सरकार बनाने जा रही है।मेघालय में भी सत्ता के करीब हो सत्ताधारी कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने की जुगत में हैं। त्रिपुरा व नागालैंड बीजेपी सरकार बनते ही देश के 20 राज्यों में भाजपा की सरकारें होंगी, ये भी भारत के राजनीति के इतिहास में पहली बार किसी एक पार्टी व उसकी सहयोगी की सरकार होगी। ये इतिहास बनाने का करिश्मा सिर्फ मोदी के ही बल पर संभव हुआ है। बताना मुनासिब होगा आजादी के बाद से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करिश्माई नेतृत्व में 18 राज्यों में कांग्रेस व उनके सहयोगी सरकारें बनी थी, लेकिन आज वो भी रिकार्ड टूट गया। अब राजनीतिक विश्लेषकों में एक नई बहस छिड़ गई है कि अब तक का सबसे लोकप्रिय, शक्तिशाली व करिश्माई प्रधानमंत्री कौन है, जवाहरलाल, इंदिरा गांधी,अटल बिहारी बाजपेयी या फिर नरेंद्र मोदी। ये सभी देश के ही नही विश्व नेता के रूप में भी स्थापित रहे हैं जिसमें मौजूदा मोदी जी शामिल हैं। मोदी को राजनीति का बाहुबली कहना गलत न होगा। बीजेपी को देश की राजनीति में आधार देने का कार्य पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जोड़ी ने किया था। अब मोदी व अमित शाह की जोड़ी ने पूरे देश में पार्टी को स्थापित करने का कार्य किया है। इनकी रणनीति का नतीजा है लगभग पूरा देश भगवामय हो चला है। मोदी व अमितशाह की भगवाधारी जोड़ी ने देश की राजनीति में इतिहास रच रहे हैं। और कांग्रेस मुक्त देश की ओर आगे बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस के बाद अब वामपंथी भी भारतीय राजनीति के हासिये पर आने लगे हैं। बीजेपी की सफलता राजनीतिक दृष्टिकोण से मोदी व उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद है ,लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक भी माना जाता है। क्योंकि विपक्ष का कमजोर होना लोकतांत्रिक ढांचे के लिये शुभ संकेत नही होता है। आज की स्थित में यही हाल है। युवा छात्रों का SSC घोटाले को लेकर सड़क उतरना और 05 दिन से अनशन पर भूखे प्यासे बैठे बच्चों की सुनवाई न होना तानाशाही नही तो और क्या है। ये स्थितियां बीजेपी के लिए शुभ नही है। अगर युवाओं के रोजगार व उनकी भर्तियों ध्यान नही गया तो आने वाले चुनाव में युवाओं की नाराजगी भारी पड सकती है। फिलहाल अभी तो पार्टी व मोदी को फीलगुड होना स्वाभाविक है।और इसमें कोई दो राय नही है कि वर्तमान में मोदी ही असली बाहुबली भगवा धारी हैं,देश को भगवा रंग में रंग दिया है। साथ ही भारत ही नही विश्व पटल पर एक सशक्त व लोकप्रिय राजनेता के रूप अपनी छवि बनाई है। जहां तक विपक्ष की बात करें तो उसने नीरव मोदी,पीएनबी जैसे घोटालों से बीजेपी व मोदी दोनों को घेरने की नाकाम कोशिश किया है। लेकिन तीन राज्यों की जनता ने इस आरोपों को नकारते हुए मोदी व बीजेपी पर एक बार फिर विश्वास जताया है।
@NEERAJ SINGH
Nice post
जवाब देंहटाएंThnx
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