विजयदशमी पर विशेष---- आप सोच रहे होंगे ये कैसा सवाल कर दिया जिसका मतलब समझ में नहीं आ रहा है। जी हां बिलकुल सोचा आपने हम तो आपके भीतर बैठे बुराईयों के दानव की बात कर रहे हैं, जो दिखता नही है, कभी-कभी उसे आप समझ नही पाते हैं कि ये अवगुण है या फिर गुण। जब आप इसके बारे में थोडा बहुत समझते हैं तो उसे छिपाने का प्रयास करते हैं और खुद से भी झूठ बालना शुरू करते हैं, जो एक और बुराई उन्हीो बुराईयों के साथ समाहित हो जाती है। जीवन दर्शन समान है । जीवन कोरे कागज के समान है जिसमें जैसा रंग भरोगे वैसा ही दिखेगा। जीवन के कोरे कागज में बुराई भरोगे तो वही भरेगा , अगर गुण व संस्कागर भरोगे तो वही दिखेगा । अगर हम जीवन का मन से विश्लेषण करते हैं ,तो जीवन में घटी अच्छी -बुरी घटनाओं के साथ-साथ आपके अंदर की अच्छाई व कमियों के दर्शन प्राप्त हो जाएंगे। अच्छे इंसान बनने के लिये अच्छी प्रवृत्तियों को अपने जीवन मे लाना होगा। वही कभी-कभी चन्द स्वार्थ व लाभ के लिए आसुरी प्रवृत्तियों को अपना लेता है। और खुशहाल जीवन की राह से भटक जाता है। इसी प्रकार प्रवृत्तियों से बचने के लिए हमारी भारतीय संस्कृति मे...