देश की राजनीति ऐसे मुहाने पर खड़ी है कि राजनेताओं की बुद्धि कुंद होती जा रही है। सोचने समझने की समझ पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर इस लोकतांत्रिक देश का भविष्य दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है,कि जनता भी नहीं समझ पा रही है , क्या सही है, क्या गलत है, हर बात , हर घटना को मीडिया भी ऐसा पेश कर रही है कि जनता के लिए सही गलत का फैसला करना भी कठिन हो रहा है। इस विशाल लोकतंत्र में तरह - तरह की भाषाएं बोलने वाले अलग-अलग जाति व धर्म के लोग रहते हैं, उनका रहन सहन रीति रिवाज व अलग अलग प्राकृतिक माहौल में जीवन यापन करते हैं। यही अनेकता में एकता का बोध कराते हैं । लेकिन पिछले कुछ दशक से देश में जाति भाषा धर्म क्षेत्र आदि जैसे मुद्दे पर देश को बांटने का काम किया जा रहा है। इतना ही नहीं अनेक तथाकथित राजनीतिक दलों के नेता देश में लिंचिंग जैसे मामलों को लेकर देश के बंटवारे की बात करते हैं। अभी हाल ही में BJP व पीडीपी के बीच जम्मू कश्मीर में सरकार का समझौता टूटने के बाद पूर्व मंत्री मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती व उनकी पार्टी के नेता अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं । महबूबा मुफ्ती को कश्मीर में सलाउद्दीन जैसे आतंकी बनते दिख रहे हैं। वही उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर बेग ने तो हद ही कर डाली और लिंचिंग के बहाने देश का पाकिस्तान की तरह एक और टुकड़ा होने बयान दे डाला। अब केंद्र सरकार व कानून कायदे पर भी सवाल उठ रहे हैं क्या अभिव्यक्ति कितनी आजादी दे दी जाए कि देश की अस्मिता पर भी सवाल उठाया जाए । जिसके परिणाम भविष्य में घातक हो सकते हैं। ऐसे गैर जिम्मेदार नेताओं की गैर जिम्मेदाराना बयानों पर रोक लगाई जाए और इन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाए ।आखिर देश का कानून व यहां की सरकारों के नेक नियति पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इन पर कार्यवाही करने के बजाए चुप्पी क्यों साधे रहते हैं। पहले भी देश की राजधानी में देश के टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह जैसे नारों से ऐतिहासिक विश्वविद्यालय की दीवारें गूंज गए थे ।जब प्रशासन ने कार्यवाही करना शुरू किया तो अनेक दल के नेता इन देश विरोधी युवाओं के पक्ष में खड़े होते गए, तब इनको देश भक्ति याद नहीं रह गई थी और बाद में देशभक्ति की दुहाई देते हुए कहते नहीं थकते थे कि मुझे कोई देशभक्ति का सर्टिफिकेट ना दे । इसी प्रकार कश्मीर में भी सेना जब पत्थरबाजों पर कार्यवाही करने लगी , तो अनेक राजनीतिक दल कार्यवाही ना करने और उनसे बात करने की सलाह देने लगे । लेकिन उन्हें पंडित अयूब जैसे जवानों की हत्या में लिंचिंग नहीं दिखाई पड़ी ।पत्थरबाजों की पत्थर से सेना के जवानों के विकलांग व अपाहिज होना और उनकी मौत नहीं दिखती है । कोई आतंकी मरता है तो हो हल्ला मचाते हैं। कश्मीर से कश्मीरी पंडित लाखों की संख्या में निकाले जाते हैं,बे घर हो जाते हैं। उन्हें लेकर संसद में चर्चा नहीं होती है ,उनका हक़ आज भी नहीं मिल पाया है। दिल्ली की मलिन बस्तियों में खानाबदोश जैसी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। वही ओवैसी जैसे मुस्लिम नेताओं से मुसलमान सुरक्षित नहीं है जैसे तकिया कलाम सुनने को मिल रहा है। ओवैसी ,फारूक अब्दुल्ला ,महबूबा मुफ्ती व मुजफ्फर बेग जैसे बदजुबानों पर लगाम कसने की आवश्यकता है । जनता को भी देशद्रोहियों का साथ देने वाली पार्टियों को सबक सिखाएं । जिससे गंदी राजनीति करना बंद कर दें ,वरना देश का बंटाधार होना तय है। कांग्रेस हो या बीजेपी सहित कोई भी राजनीतिक दल अगर देश की अस्मिता, एकता व अखण्डता को सर्बोच्च प्राथमिकता नही देता है,और जाति , धर्म,भाषा व क्षेत्रवाद को वोट की खातिर महत्व देता है ,ऐसा दल देश के साथ ही नही आमजन के साथ बड़ा छलावा व धोखा देना है । ये कृत्य राष्ट्रद्रोह से कम नही है। लोकतंत्र के लिए बदनुमा धब्बे के सामान है।
@NEERAJ SINGH
😊
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया👍
जवाब देंहटाएंलेकिन ये वो देश है जहाँ कलाम और मेमन के जनाजे की भीड़ ही सोच का अंतर दर्शाती है....अजब गजब होते जा रहे लोग...
आप की बात सौ आने सच है।
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