देश की सबसे बड़ी जाँच एजेंसी सीबीआई यानि कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो की साख उसके ही टॉप लेबल के दो बड़े ऑफिसरों के कारण कसौटी पर कसी जा रही है। ऐसा शायद ही पहले कभी हुआ हो। हमारे देश हर नागरिक को न्याय मिलने का अगर सबसे विश्वासनीय जाँच एजेंसी मानता है तो वो सीबीआई को सर्वोपरि रखता है। आजादी से छः वर्ष पूर्व 1941 में इसका गठन हुआ था । दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापन अधिनियम1946 के तहत इसका पुर्नगठन 1963 में केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई के रूप में अवतरित हुई जो कि अपराध, भ्रष्टाचार व राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर जांच करने का कार्य निरन्तर रूप से करती आ रही है। और अपराधियों को अपनी ही अदालत में मुकदमा चला कर सजा देने का भी कार्य बड़ी निष्पक्षता से करती आ रही है। और जनता के दिलों में विश्वास की कसौटी पर खरा उतरती रही है। लेकिन जिस प्रकार सीबीआई के डाइरेक्टर आलोक वर्मा व स्पेशल डाइरेक्टर राकेश अस्थाना एक-दूसरे आरोप-प्रत्यारोप की जंग छेड़ दिया है, इस प्रकरण से सीबीआई के साख पर आंच आना तय है । सीबीआई की आपसी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट से राजनीतिक अखाड़े तक पहुँच गया। इतना ही...
EK ANOKHA SACH AAP TAK