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ये दोस्ती हम नही छोड़ेंगे......


उक्त गीत की लाइन मशहूर फिल्म शोले की है । जिसमें दो दोस्त जय व बीरू अपनी दोस्ती की कसमें खाते हैं,और ये गीत गुनगुनाते हुए दिखते हैं। ठीक उसी प्रकार भारत और रूस के बीच की दोस्ती भी किसी भी कीमत पर ना टूटने पाये, इसके लिए दोनों देश के सरकारें हर कुर्बानी देने के लिये तैयार रहती हैं। दशकों के पुराने रिश्ते को एक बार फिर मजबूत करने के लिए रशियन राष्ट्रपति आज दो दिन के भारत के दौरे पर हैं। वर्तमान वैश्विक परिवेश में भारत जैसे विकासशील देशों को अमेरिका और रूस जैसी विकसित महाशक्तियों की जरूरत है । भारत को वायु रक्षा प्रणाली की जरूरत है जो कि राष्ट्रपति पुतिन इसी दौरे में इसे लेकर समझौता करने वाले है। लेकिन ट्रम्प सरकार आने के बाद 50 व 60 के दशक जैसे हालात बन गए हैं । एक प्रकार से शीत युद्ध जैसा माहौल विश्व में बन चुका है । आज देश दो गुटों में बंटा हुआ दिख रहा है।एक तरफ की अगुवाई अमेरिका कर रहा है तो दूसरी तरफ की अगुवाई रूस कर रहा है। इन दोनों महा शक्तियों के बीच बीच में विकासशील व गरीब देश पिस रहे हैं ।आज भारत जैसे देशों को दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने की कठिन चुनौती सामने  है । अगर देश का  विकास करना है, सुरक्षा करना है तो इन्हीं देशों का सहारा लेना पड़ेगा । भारत सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूस व ईरान के खिलाफ कड़े रवैया के बीच जिस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के साथ हथियारों का सौदा करने का फैसला लिया है और ईरान के साथ तेल व्यापार जारी रखने का फैसला लिया है , एक साहसिक कदम माना जा रहा है। मोदी सरकार को अपने दोस्त अमेरिका के द्वारा दोनों देशों के प्रति प्रतिबंधों के बीच यह फैसले ट्रंप की नाराजगी सामना भी करना पड़ रहा है । फिलहाल आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंच चुके हैं । जहां उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया जा रहा है । जानकारों का मानना है इस दौरे पर ट्रम्प सरकार की गहरी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है । लेकिन भारत के पास अपने पुराने दोस्त रूस को नए दोस्त अमेरिका की तुलना तवज्जो देना ही जरूरी है, क्योंकि भारत की सुरक्षा में रूस के 60%  की सहभागिता है,जो कलपुर्जे भारत को निर्यात कर रहा है। उधर ईरान से कच्चे तेल का आयात सऊदी अरब व इराक के बाद सबसे अधिक है । इन दोनों मामलों में भारत के पास तत्काल में कोई विकल्प भी नजर नहीं आ रहा है।  इसलिए भारत को नए दोस्त से पहले पुराने दोस्तों पर विश्वास करना ही पड़ेगा पूर्व में भी भारत देश हमेशा ही अपने पुराने मित्रों पर भरोसा करता आया है और उनका विश्वास कभी नहीं तोड़ता ,चाहे जो कीमत भारत को चुकानी पड़े ।इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए भारत अपने दोस्तों के साथ सुरक्षा आदि मामलों में एक दूसरे का सहयोग करने का दम भर रहा है । फिलहाल इस समझौतों से भारत को नए दोस्त अमरीका से कुछ तल्ख टिप्पणी की संभावना जरूर है  अब देखने की बात है कि मोदी जी अपने प्रिय और बड़े प्रशंसक मित्र डोनाल्ड ट्रम को कैसे मनाते हैं और दोनों महाशक्ति के बीच का असुंतलन में सामञ्जय बिठाते हैं,एक बड़ा सवाल मोदी जी जरूर परेशान कर रहा होगा! फिलहाल भारत में नया नौ दिन पुराना सौ दिन की कहावत को चरितार्थ कर दिया है।
@NEERAJ SINGH

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