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वूमेन, टू मी कैम्पेन का सामाजिक असर !


               
                                                                                                                                                                                          आजकल दुनिया के एक कोने से चली हवा अब सुनामी का रूप ले चुकी है। इस सुनामी का नाम रखा गया मी टू। ये समुद्रीय तटों पर असर नही डाल सका पर सामाजिक ढांचों को जरूर हिला कर रख दिया है। समाज में पुरुषों से पीड़ित महिलाओं को टू मी कैम्पेन से एक नई रोशनी अवश्य दिखी है,लेकिन इनके लिए कितना कारगर साबित होगा ये आंदोलन वक्त ही तय कर पायेगा। अनेक जानकारों का मानना है कि ये आंदोलन ज्यादा समय तक चलना संशय के घेरे में है। इसका असर सबसे पहले विश्व सबसे पॉवरफुल देश अमेरिका में दिखा जब राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने अपने द्वारा नियुक्त जज के मी टू में फसने पर जांच के आदेश देने पड़े ,भले ही इस मामले जज दोषमुक्त हुए और अपना कार्यभार पुनः संभाला। इस आंदोलन की आग में अनेक देशों में खलबली मचा रखी है। भारत में भी मी टू ने देश के नामचीन हस्तियों के जीवन में सुनामी ला दिया है। उनका वर्षों की मेहनत से खड़ा किया हुआ कैरियर के साथ-साथ नाम भी ख़राब हो रहा है। विदेश राज्यमंत्री एम0जे0 अकबर, द वायर के संस्थापक व देश के जाने माने पत्रकार विनोद दुआ ,हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े शोमैन सुभाष घई, जानेमाने कलाकार नाना पाटेकर, आलोकनाथ जैसी जानी मानी हस्तियां मी टू कैम्पेन के शिकार हो गए। वर्षों पुरानी घटनाओं ने एक बार फिर दर पर्त दर खुलासे हो रहे हैं। सेक्सुअल & बॉडी हैरसमेंट की शिकार महिलाओं इस कैंपेनिंग से हिम्मत जुटाने का मौक़ा मिल रहा है। लेकिन ये कैंपेनिंग महिलाओं के हक़ व न्याय के लिए कब तक सफल होगा ये तो समय के गर्भ में है, पर समाज के एक बर्ग का मानना है कि ये महिलाओं को कोई हक़ नही दिला पायेगा क्योंकि घटनाएं पुरानी हैं, केस दर्ज होने पर कोर्ट में गवाह व सबूत इकठ्ठा  करना कठिन होगा, क्योंकि काफी सबूत मिट चुके होंगे। अब जब महिलाएं और विद्वानों का एक तबका इसे नई क्रांति के रूप में देख रहा है,तो अनेकों ने इसे पुरुषों के खिलाफ सोची समझी साजिश बता रहे हैं। उनका कहना है कि अगर महिला के साथ जब भी उत्पीड़न की घटना हो ,तुरन्त इसकी शिकायत करनी चाहिये । वर्षों बाद इसकी शिकायत करना कोई तुक की बात नही है। मी टू कैम्पेन के प्रति नजरिया ये है कि अगर कोई नामचीन व्यक्ति पर इल्जाम लगता है जोकि सालों की मेहनत के बाद उसका नाम व कैरियर चरम पर हो ठीक उसी समय मी टू का शिकार हो जाये तो जानो उसका सबकुछ चौपट हो गया। अगर महिला द्वारा मामले को सिद्ध नही कर पायी  तब नामचीन बर्बाद हो जायेगा।आखिर उसकी भरपाई शायद ही हो पाये,एक बड़ा प्रश्न है ! ये भी सत्य है भारत जैसे पुरूष प्रधान वाली संस्कृति व परम्परा में महिलाओं को अक्सर ही उत्पीड़न का शिकार बनना पड़ता है। अब जरूरत है कि समाज को बताना चाहिये स्त्री-पुरूष में समानता के भाव पैदा हों। हमारे संविधान में अनुच्छेद 14 में समानता का अधिकार,15(3) में जाति, धर्म,लिंग, व जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नही होन चाहिये । महिलाएं भी अपने साथ घटित  घटना को छुपाने का प्रयास न कर दोषी के खिलाफ कार्यवाही करायें। यही नही अपने कैरियर को बढ़ने या फिर चंद स्वार्थ में बहकर पुरुषों की जरूरत न बने, वर्ना ऐसी घटनाओं पर लगाम लगना नामुमकिन होगा। अगर पुरूष वर्ग महिलाओं को भोगविलास की वस्तु के रूप में देखना बंद कर दे, महिला व पुरूष दोनों अपनी मर्यादा बनाये रखें ,शायद मी टू कैम्पेन जैसे आंदोलन की मंतव्य ही ख़त्म हो जायेगा। उत्पीड़न की शिकार महिलाओं की इस कैम्पेन से राजनीतिक, सामाजिक, व्यवसायिक ,पत्रकारिता,व बालीवुड के क्षेत्रों की जानी मानी हस्तियों को दो चार होना पड रहा है। विभिन्न स्तर पर महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं ने ऑनलाइन हमले बोल दिए हैं। अब कई बड़े संगठन भी इसके समर्थन में आगे आ रहे हैं। बॉलीवुड की दर्जन भर महिला निर्माता व निर्देशक ने महिलाओं की आप बीती कहानी का समर्थन करते हुए मी टू में फंसे कलाकारों के साथ न काम करने का फैसला किया है। अगर देश में ऑनलाइन शिकायत करने की व पंजीकरण की सुविधाएं उत्पीड़ित महिलाओं को मिलने लगेगा  तो शायद इतने वर्षों तक का इंतजार नही करना पड़ेगा। अभी तक दिल्ली में इस तरह की  सुविधा उपलब्ध है। अगर ऐसी सुविधा सारे देश में लागू हो तो पीड़ित महिलाओं को न्याय पाने का एक सरल तरीका होगा और वर्षों तक न्याय का इंतजार नही होगा। उनकी झिझक और संकोच का ही नतीजा है कि ऑनलाइन शिकायत की बाढ़ आ गई है।  हैश टैग मी टू आंदोलन से लोगों का कैरियर दांव लग चुका है या फिर ख़त्म हो गया है । ऐसे आंदोलन आर्थिक व सामाजिक दोनों पर असर डालता है।समाज के लिए आइकॉन बने राजनीति, पत्रकारिता,बॉलीवुड जैसे क्षेत्रों से जुड़े लोगों पर मी टू का असर अधिक ही दिख रहा है। इसका सामाजिक ताने बाने पर सीधा हमला है। कैम्पेन का असर आने वाले दिनों में भी दिखेगा। फिलहाल पीड़ित महिलाओं को आज जरूर आस जगी है कि ऐसा प्लेटफार्म मिला है जिस पर आपबीती बेबाकी से रख सकेंगे।

@NEERAJ SINGH

टिप्पणियाँ

  1. आदरणीय श्रीमान जी बहुत ही अच्छा आपने विचार व्यक्त किया है वाकई मैं इस स्टोरी के माध्यम से आपने लोगों को सही जानकारी देने का प्रयास किया है और सार्थक भैया आपका सुरजीत यादव अमेठी

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    1. धन्यवाद भाई। वाकई समाज के लिए ज्वलंत मुद्दा है।

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  2. #METOO पे किसी के खिलाफ कुछ लिख देने मात्र से किसी को दोषी न समझें कुछ तो सच में पीडित हैं और कुछ सिर्फ सस्ती लोकप्रियता के लिए मी टू का दुरूपयोग कर रही हैं ! जाँच में जो दोषी पाया जाय उसके खिलाफ कडी दण्डात्मक कार्यवाही की जाय ताकि इसका दुरूपयोग न हो और सिर्फ एक आरोप से दो परिवार बर्बाद न हों.!

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    1. यही तो इस पोस्ट में कहने का प्रयास किया है भाई। धन्यवाद

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  3. #METOO ये पीड़ित महिलाओं के लिए एक आशा ले कर आया हैं कि उन्हें इतने सालों के बाद न्याय मिल पायेगा लेकिन प्रश्न यही पर आता हैं कि कही न कही इसका दुरुपयोग भी हो रहा हैं। इसलिए इन मामलों को न्यायालय द्वारा गंभीरता से लेना चाहिए और जो पक्ष इसमे दोषी हो उसके खिलाफ कारवाई होनी चाहिए। जिससे भविष्य में कोई भी चाहे वो पुरूष या स्त्री हो इसका दुरुपयोग न हो सके।

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  4. सटीक टिप्पणी । दुरुपयोग न हो तभी इस कैम्पेन का फायदा मिलेगा।

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