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राफेल डील, बोफोर्स काण्ड की पुनरावृत्ति तो नहीं!

 
देश की राजनीति में राफेल डील को लेकर घमासान मचा हुआ है । आए दिन नए खुलासे किए जा रहे हैं , उनका खंडन भी हो रहा है । एक अहम् सवाल यह है कि राहुल की कांग्रेस 2019 लोकसभा के चुनाव बोफोर्स सौदा साबित कर सकेंगे ! राफेल के सहारे ही अपनी चुनावी वैतरणी पार कर लेंगे बी पी सिंह की तरह,इनकी यह मुहिम सफल होगी ! स्व0 राजीव गांधी जी को 1989 के लोकसभा चुनाव में हारना पड़ा था और उन पर बोफोर्स तोप सौदा भारी पड़ा था । बी पी सिंह प्रधानमंत्री तो  गए थे,लेकिन जिस रूप बोफोर्स को  घटिया  किस्म का तो बता रहे थे, वही घटिया बोफोर्स तोप ने ही कारगिल की लड़ाई को जीत में बदला था। दशौल्ट कंपनी के साथ राफेल के लिए किए गए सौदे के बाद से ही राहुल गांधी इस मुद्दे को हर हाल में आगामी लोकसभा व पांच राज्यों के चुनाव में बनाने का पूरी कोशिश कर रहे हैं । कई बार उन्होंने मीडिया और रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चोर और भ्रष्ट कहने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं ।इसके पलटवार में भाजपा ने भी गांधी परिवार को भ्रष्ट सिद्ध करने में कोई कसर नहीं रखना चाहती है। अब बात करें राफेल सौदे की 36 राफेल विमानों के सौदे पर 23 सितंबर 2016 को मोहर लगी थी।  सरकार का कहना है कि नई टेक्नोलॉजी और नई शर्तों की वजह से राफेल के दाम बढ़े हैं । वहीं राहुल गांधी का कहना है भ्रष्टाचार के चलते राफेल के दाम 3 गुना अधिक बढ़ाए गए हैं और अम्बानी को 30हजार करोड़ का फायदा पहुंचाया गया है। जिसके जिम्मेदार सीधे तौर पर पीएम मोदी हैं। जहां एक तरफ राहुल गांधी दिनोंदिन हमलावर होते जा रहे हैं। देश के जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ,अर्थशास्त्री अरुण शौरी,पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिंहा ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राफेल सौदे में गड़बड़ियां होने का दावा किया और इसे संयुक्त संसद कमेटी से जांच कराने की मांग की गई।  वहीं इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं ।अभी तक इस मामले पर उनका  कोई सीधा बयान नहीं आया है। उधर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि राफेल सौदे में पूरी तरह पारदर्शिता बरती गई है, इनका सिर्फ एक चुनावी स्टंट है। देश के एयर चीफ मार्शल का भी कहना है राफेल सौदा देश की सुरक्षा के लिए एक जरूरत है । अरुण जेटली ने राहुल गांधी के पांच सवाल के जबाब में अपने ब्लॉग के माध्यम से 15 सवालों के जबाब मांग डाले हैं। इस पर कोई सवाल उठाने नहीं चाहिए सरकार का कहना है देश की सुरक्षा से जुड़ा रक्षा सौदा है ,इसका ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। एक डिबेट के दौरान पूर्व एयर मार्शल निर्दोष त्यागी ने सौदे की बारीकियों को रखते हुए कहा सौदे में भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है । फ्रांस में भी सौदे को लेकर अनेक प्रकार की गलतफहमियां फ्रांसीसी मीडिया जगत में दिख रही हैं। फ्रांस की मीडिया में सरकार से यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि भारत में राफेल के कल पुर्जे बनाने का कारखाना खोलने से फ्रांस की आमदनी में कमी आएगी । इसलिए भारत में कल पुर्जे बनाने का कारखाना खोलना कहां तक उचित है ! फ्रांसीसी वेबसाइट मीडिया पार्ट से बातचीत करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान और अब दशौल्ट कंपनी के एक अधिकारी के बयान ने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया है, जिसमें अनिल अंबानी की कंपनी को इस सौदे में शामिल होने के लिए भारत सरकार की तरफ से सुझाव मिलने की बात कही गई है। लेकिन सच्चाई क्या है इस बारे में और भी गहराई में जाने की जरूरत है ,और क्या सच है, क्या गलत है, इसके बारे में दोनों सरकारों के जिम्मेदार ही बता सकते हैं। स्व0राजीव गांधी कि सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री बीपी सिंह ने  बोफोर्स तोप सौदे में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। और घटिया स्तर के तो बनाने की बात कही थी किसी का राजनीतिक फायदा उठाते हुए  प्रधानमंत्री के पद तक बीपी सिंह का सफर तय हुआ । देखना है कि राफेल डील राहुल गांधी के लिए प्रधानमंत्री पद पर आसीन करने में कितनी सहायता करता है, यह तो आने वाले 2019 लोकसभा चुनाव में ही पता चल सकेगा और सच और झूठ को फैसला जनता के हाथों में होगा क्योंकि कौन कितना सच बोल रहा है,कौन झूठ !आप राजनीति करो अवश्य , लेकिन देश की सुरक्षा को दांव पर रख कर नही। फिलहाल राहुल गांधी व उनकी कांग्रेस को उम्मीद है कि रॉफेल डील मोदी सरकार के लिए बोफोर्स कांड जैसा ही साबित होगा।
@NEERAJ SINGH

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