
देश में पांच राज्यों के चुनाव संपन्न हुआ, जिसमें पांच राज्य में से तीन राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई, जबकि तेलंगाना में बीआरएस बीआरएस एवं मिजोरम में कांग्रेस की सरकार के हटने के बाद एनडीएफ की सरकार बन गई । इस चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है क्योंकि ये राज्य हिंदी बेल्ट वाले राज्य हैं जिन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता है । मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद भाजपा की सरकार हटी है और जनता ने कांग्रेस की सरकार बनाई । 15 वर्षों से चल रहे पार्टी की सूखे को समाप्त किया । आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन राज्यों के चुनाव सेमीफाइनल की तरह देखे जा रहे थे । यह चुनाव अपने में कई मायनों में अहम थे भारतीय जनता पार्टी अनेक फैसलों व मुद्दों की कसौटी पर कसी जा रही थी । मोदी की लोकप्रियता एवं सरकार बनाने की क्षमता का भी आकलन होना था। उधर राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी की लगातार हो रही हार से उनके नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे थे! लगने लगा था कि बीजेपी का भारत मुक्त अभियान कहीं सफल तो नही हो जायेगा! देश के अनेक दल राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के योग्य तक नही समझते थे। लेकिन अब परिस्थितियां बदलने लगी हैं। चुनाव परिणामों के आने के बाद अनेक दल खुले मंच से प्रधानमंत्री के पद के उम्मीदवार के तौर पर स्वीकार्य करना शुरू कर दिया है। यहाँ तक कि एनडीए के सहयोगी शिवसेना को भी राहुल गांधी में काबिलियत दिखने लगी है। प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ लोकसभा 2019 चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व क्षमता का राजनीतिक विश्लेषक आकलन करने लगे हैं, कि कितना कारगर साबित होंगे ! भाई ये राजनीति है, कब किसका सितारा चमक उठे ,जनता अपने सर आँखों पर बैठा ले कुछ भी पता नही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिका द्वारा वीजा तक नही दिया गया । गुजरात दंगे के बाद लगता था कि नरेन्द्र मोदी का राजनैतिक कैरियर ख़त्म होने के कगार पर है लेकिन समय ने करवट बदली और आज मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं ,और अमेरिकी राष्ट्रपति प्रोटोकॉल तोड़ कर उनका स्वागत करते हैं। राजनीति विषमताओं भरा खेल कहें तो अतिश्योक्ति नही होगी। तीन राज्यों की जीत ने कांग्रेस हौसले की अफ़जाई की है। राहुल गांधी भी उत्साह से लबरेज हैं, ये पार्टी के लिये किसी संजीवनी से कम नही है। अब नए जोश के साथ 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ता जुटे हुए हैं। अब यूपीए का महागठबंधन भी मजबूत हो रहा है। एक जरूर हुआ कि सपा-बसपा-आरएलडी ने मिलकर यूपी में गठबंधन कर आपस में सीट बाँट लिया और कांग्रेस को अलग थलग कर दिया। इससे महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। इससे राहुल गांधी के यूपीए नेतृत्व की स्वीकृति पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा है! फिलहाल राहुल गांधी के किस्मत का सितारा लोकसभा चुनावों कितना चमकेगा आने चँद माह में पता चल जायेगा। मोदी ब्रांड के सामने महागठबंधन कितना सफल होगा ! इन सभी सवालों के जबाब देश जनता को भी है। वहीं यही जनता अपने मतदान से देश की दिशा तय करेंगे, और राजनीतिक पार्टियों का भी भविष्य तय होगा।
@NEERAJ SINGH
आपका क्या राय है ,आपके जबाब का इंतजार!
जवाब देंहटाएंखबर है बिल्कुल अच्छी खबर है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुरजीत जी
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