मोदी का कालेधन पर प्रहार,राजनीतिक दल करने लगे तकरार
नीरज सिंह------
देश की अर्थ व्यवस्था पर कुंडली मारे काला धन रूपी अजगर उस समय बिलबिला उठा जब अचानक सोमवार रात 08 बजे देश के नाम संदेश में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसका आहार बन चुका एक हजार व पांच सौ के नोट बंद करने की घोषणा किया। अचानक आये इस फैसले के निर्णय से पूरे देश में अफरातफरी का माहौल मच गया । आम आदमी से लेकर अरबपति भी परेशान हो उठा। लेकिन सुबह तक लोगों के समझ में आने लगा कि ये निर्णय आम जनता के लिए है तब जाकर लोग संतुष्ट हुए। लोगों ने कहा कि ये फैसला अमीरों के लिए नहीं वरन गरीबों के हित का है। थोडा कष्ट होगा लेकिन इसे सह कर देश हित में इसके साथ रहेंगे। उधर राजनीतिक दलों के नेताओं को जैसे सांप सूघ गया हो या कोमा में चले गये हों। एक दिन बीतने के बाद ही ये बोलना शुरू किया और कहा कि निर्णय गलत है इसमें समय देना चाहिए,तो कुछ ने कहा कि जनता परेशान है। कुछ ने आधा समर्थन दिया तो एक दो दलो ने पूरा समर्थन किया। अर्थशास्त्रियों से लेकर व्यापार उद्योग ने भी सही कदम माना। कालेधन पर मोदी का प्रहार से कई विपक्षीदल बौखलाहट भरे बयानबाजी शुरू कर दिया। जनता की परेशानियां याद आने लगी हैं। सत्ताधारी दल में भी खलबलाहट के संकेत मिल रहे हैं,लेकिन वे बेबस हैं। आय से अधिक सम्पत्ति का आरोप लग चुका सपा सुप्रीमों कालेधन निकालने की वकालत तो कर रहे हैं, लेकिन जनता के बहाने मोहत भी मांग रहे हैं।वहीं नोटों की माला पहनने वाली व माया की देवी के नाम से प्रचलित बसपा सुप्रीमों कु0मायावती के साथ ममता व केजरीवाल भी कार्यवाही का विरोध करने लगे हैं। उधर विदेशों में कालेधन जमा की आरोपी व लाखों करोड के घोटालों से आच्छादित रही कांग्रेस पार्टी को आमजन गरीबों की परेशानी याद आ रही है। जबकि मोदी के धुर विरोधी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका पुरजोर समर्थन किया और कहा ये देश में किया गया कार्य है जो सही है। उधर परेशान जनता इस बात से खुश है कि कालेधन वाले बेनकाब होंगे और जाली नोटों का प्रचलन बंद हा जायेगा जोकि आये दिन दर्द देने का कार्य करता था। आर्थिक जानकारों का मानना कि है,इससे आतंकी फंडिंग रूकेगी,पाकिस्तान में बन रहे नकली भारतीय करेंसी को रोका जा सकेगा,रियल स्टेट तथा नशाखोरी में लगने वाला कालाधन बंद होगा। काला धन बाहर आने से सरकार को लाभ होगा और उसका उपयोग जन कल्याण योजनाओं में लगाया जा सकेगा, अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। मंहगाई की दर में कमी आयेगी जो आने वाले दिनों में दिखेगा। अब सवाल ये उठ रहा है कि इतने सारे फायदे देश हित में व आम जनता को हो रहा है तब कुछ राजनैतिक दलों के पेट में दर्द क्यों उठ रहा है। ये राजनीतिक लाभ लेने के लिए है या कालेधन को लेकर है। कहीं काला धन,काला मन तो नही है। प्रधानमंत्री मोदी को इस बात का साधुवाद देना चाहिए कि इतना कडा फैसला लेने आसान नही था, जबकि आने वाले समय में पंजाब,उ0प्र0 चुनाव भी नजदीक है। इसका प्रभाव जरूरी नही था कि सकारत्मक ही पडता। देष्ज्ञ हित में लिए गये इस निर्णय का देशवासी समर्थन कर रहे हैं वही कुछ राजनीतिक दल अपने राजनीति रोटियां सेकने के चक्कर में आम जनमानस के हितों व देश हित को नजरअंदाज करने में लगे हैं। लेकिन नेता जी ये पब्लिक है सब जानती है कि कौन सी बात सही है कौन सी बात गलत है। आपको भी सावधान हो जाना चाहिए। वरना जनता सबक भी सिखाना जानती है।
हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आजादी के बाद देश में एक विस्तृत संविधान लागू हुआ। जिसमें लिखा गया कि देश का हर नागरिक अमीर- गरीब,जाति-धर्म,रंग-भेद,नस्लभेद क्षेत्र-भाषा भले ही अलग हो लेकिन मौलिक अधिकार एक हैं।कोई भी देश का कोई भी एक कानून उपरोक्त आधार बांटा नही जाता है । सभी के लिए कानून एक है। अगर हम गौर करें शायद ये हो नही रहा है। एक कानून होते हुए व्यवस्थाएं दो हो गई है। आम आदमी के लिए कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार होती हैं। लेकिन विशिष्ट लोगों के लिए व्यवस्था बदल जाती है।विशेष रूप से राजनेताओं के लिए कानून व्यवस्था का मायने ही बदल जाता है। उदाहरण के तौर पर आमजन कानून हाथ में लेता है तो पुलिस उसे सफाई देने तक का मौका नही देती है और जेल में ठूंस देती है। वहीं राजनेता कानून अपने हाथ लेता है ,तो वही पुलिस जांच का विषय बता कर गिरफ्तारी को लेकर टालमटोल करती है। क्या एक कानून दो व्यवस्था नही है ! लालू का परिवार भ्रष्टाचार में फंस गया है, इसे लेकर सीबीआई की कार्यवाही को लालू प्रसाद यादव राजनीति से प्रेरित और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप लगा रह
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें