नीरज सिंह-------
प्रदेश में आचार संहिता लगते ही राजनीतिक व प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। जहां प्रशासन एक तरफ बैनर होल्डिंग,पोस्टर आदि उतरवाने से लेकर चुनाव तैयारियों में जुट गया है। वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों ने भी अपनी अपनी तैयारियां जोरों पर शुरू कर दिया है। बहुजन समाज पार्टी ने प्रदेश की विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित करके अन्य दलों से इस मामले में बाजी मार ली है। इस पार्टी का इतिहास रहा है कि पर्चा दाखिल होते होते घोषित प्रत्याशी बदल जाता है।फिलहाल अभी तो ये सभी चुनाव लड भी रहे हैं। अन्य दल में कांग्रेस ने अपने पत्ते नही खोले हैं, वहीं समाजवादी पार्टी का अभी तय ही नही हो पा रहा है कि चुनाव अखिलेश यादव के नेतृत्व में होगा या फिर मुलायम सिंह की अगुआई में तय ही नहीं हो पा रहा है। जिससे इसके नेता व टिकट के दावेदार दोनों ही कन्फ्यूज हो रहे हैं। सपा की उठा पटक से लग रहा है कि पार्टी का दोनों धडा चुनाव अलग अलग लड सकते हैं। आज भी कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है हां इतना जरूर है कि इस परिवारिक घमासान में अखिलेश पार्टी के सर्बमान्य नेता बनकर उभरें हैं वही मुलायम सिंह पार्टी के इतिहास का बीता पन्ना बनते दिखाई पड रहे हैं।उधर कांग्रेस का गठबंधन सपा से होना कहना गलत होगा क्योंकि मुलायम सिंह गठबंधन के खिलाफ हैं इसलिए अखिलेश की पार्टी हो या उनके नेतृत्व में सपा के मिलकर चुनाव लड सकते हैं।अब लगता है कि अखिलेश उत्तर प्रदेश में गइबंधन की राजनीति को तवज्जो देकर अंर्तकलह से हुए नुकसान की भरपायी करने का प्रयास अवश्य करते दिख रहे हैं। लेकिन इससे नुकसान की कितनी भरपायी होगी ये तो वक्त बतायेगा। फिलहाल पार्टी के अंर्तकलह से बसपा को लाभ होता दिख रहा है। राजनीति जानकारों का कहना है कि बसपा से भी कहीं ज्यादा भाजपा लाभ में रहेगी अनुमान लगाया जा रहा है। अब बात करते हैं देश के सबसे बडे दल भारतीय जनता पार्टी की जिसमें हर सीट पर टिकटार्थियों की लम्बी फेहरिश्त है। टिकट बांटने सबसे बडी मुसीबत इन्हे ही झेलनी है। इस पार्टी के लिए सबसे बडी समस्या अन्य दलों से आये हुए दल बदलू नेताओं से होगी। क्योंकि उनकी भी दावेदारी पुख्ता हैं नये पुराने नेताओं को जिले की सीटों पर समायोजित करना टेढी खीर के समान है। बसपा को छोड सभी दलों को प्रत्याशियों के चयन को लेकर दिक्कतों का सामना करना तय है। अब हालात ये हैं कि कई दावेदार लखनऊ व दिल्ली में डेरा जमा रखा है। तो कई अपने टिकट से आश्वस्त होकर क्षेत्र में जमंे हुए हैं। प्रदेश की राजनीतिक मंच का मजा तभी आयेगा जब सभी दल अपने अपने पत्तों को खोल दें । तभी पता चल सकेगा कि किस पार्टी का समीकरण क्या होगा । फिलहाल अभी बसपा को छोड अन्य दल के टिकटार्थियों में टिकट पक्का करने की होड मची है। सपा फैमली ड्रामा चल ही रहा है । जिससे पार्टी के नेता से लेकर कार्यकत्र्ता परेशान है। इससे कांग्रेस में गठबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। और चुनाव लडने वाले दोनों दलों के भावी प्रत्याशियों के चेहरे पर शिकन हटने का नाम नही ले रही है कि गठबंधन होने की स्थित में किसको टिकट मिलेगा ! चुनाव का पहला चरण के लिए एक माह से कम समय बचा है।
प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जा रहा है,क्योंकि इसी दिन राक्षसराज रावण का अंत करके लंका की जनता को उस की प्रताड़ना से मुक्त करा कर अयोध्या लौटे थे I इस दिन मां लक्ष्मी, गणेश व कुबेर की पूजा भी की जाती है और अपने-अपने घरों को दीप जलाकर सजाया जाता है I इस बार भी अयोध्या में 12 लाख दीप जलाकर योगी की उत्तर प्रदेश सरकार वर्ल्ड रिकार्ड बना रही है I यह एक अच्छी पहल है, होना भी चाहिए ,जिससे कि आने वाली पीढ़ियां हमारी संस्कृति को समझ सके, उन्हें जान सके I लेकिन देश भर में मनाये जा रहे दीपावली त्यौहार पर आर्थिक नीतियों में ग्रहण की तरह घेर रखा है I पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने जनता का दिवाला निकाल दिया है I विगत 02 साल में जहां कोरोना देश की नहीं आम जन के बजट को हिला कर रख दिया है I महंगाई बढ़ने लगी I अब जबकि कोरोना महामारी से लोग उबरने लगे हैं I देश की अर्थव्यवस्था सुधरने लगी है I लेकिन महंगाई पर अभी भी सरकार नियंत्रण करने में पूरी तरह सक्षम नहीं हो पा रही है I इसी बीच पेट्रोलियम पदार्थों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है और यह अब शतक लगाकर पार हो चुका है I ...
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