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सत्ता की बेदी पर जवानों की बलि....!


एक कहावत याद आ रही हम्माम में सभी नंगे होते हैं। इस कहावत को चरितार्थ कर रही हमारे देश की सत्ता लोलुप राजनीतिज्ञ। कोई भी ऐसी पार्टी नही है , जो सत्ता की कुर्सी से पहले देश हित की बात करती हो । देश की राजनीति जैसे दिशा व दशा दोनों बदलती जा रही है। अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने के लिए टोपी पहनी जाती है,नमाज पढे जाते हैं, रोजा खोले जाते हैं । वहीं बहुसंख्यक को रिझाने के लिए तिलक लगाना,दर्शन करना, पूजन किया जाता है। ये सब करना गलत नही है,लेकिन वोट लिए दिखावा करना बिल्कुल गलत है। राजनेताओं का तुष्टीकरण की नीति अपनाना बेहद निंदनीय कृत्य है, पर सबकुछ हो रहा है। लेकिन अपने को राष्ट्र वादी पार्टी का दम्भ भरने वाली केंद्र की सत्ता ने अक्सर आतंकियों का मुखाल्फत करने वाली जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा के अनर्गल फैसले पर मुहर लगाकर सत्ता की बेदी पर जवानों की बलि चढाने जैसा घृणित निर्णय लिया है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रमजान के महीने में आतंकियों व पत्थरबाजों के खिलाफ कार्यवाही रोकने की बात कही है। इस निर्णय के ठीक दो घण्टे के अंदर आतंकी हमला हो गया। पाक ने सीजफायर का उलंघन चालू है।  जिसके जबाब में पाक के कई बंकरों को  हमारी सेना ने ध्वस्त कर दिया है। रामजान में सीजफायरिंग कर दिया है तो आप सेना को भी एक महीने घर जाने की छुट्टी दे देनी चाहिए..... हद हो गई हमारे नेताओं की हरकतों का ! इतनी अदूरदर्शिता भरा निर्णय बीजेपी की सरकार ने लिए, जिसे अपने को राष्ट्रवादी पार्टी कहलाने के लिए आतुर रहती है। इस निर्णय पर देश सेनाध्यक्ष बी0के0 मलिक ने पहले ही केंद्र सरकार चेताया था। लेकिन अल्पसंख्यक राजनीतिक तुष्टीकरण के कारण  जवानों के हाथ बांध दिया गया ,और वोट की राजनीति के बलि देने में गुरेज नही रहा। नक्सलियों के हमले में 07 जवान आज ही शहीद हुए। क्या नक्सली की सेना की ताकत से अधिक है, नही ऐसा नही है, इस समस्या की जड़ राजनीति ही है। जो नेता उस क्षेत्र में चुनाव लड़ने के तैयार होता है, तब उन्हें इन्ही नक्सलियों की चुनाव जीतने मदद लेनी पड़ती है। क्योंकि वहाँ की जनता पर नक्सलियों का प्रभाव होता है।इसी गठजोड़ से आज भी नक्सली आतंक जीवित है। इस लोकतांत्रिक देश में राजनीति का इतना स्तर गिर जायेगा कोई सोच नही सकता है। अब आप ही बताइये कि इसका इलाज क्या हो सकता है कि जिससे लोकतांत्रिक देश को बचाया जा सकता है!बहुत ही सोचनीय प्रश्न है।
@नीरज सिंह

टिप्पणियाँ

  1. राजनीतिक फायदे के लिए आज के नेता किसी भी अनैतिक कार्य को करने में नहीं हिचकते।

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