देश में 10 विधानसभा व 04 लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त राजनीतिक विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि 2019 के आम चुनाव से पहले जनता का मोदी सरकार व बीजेपी को बदलाव का संकेत तो नही हैं। एक बड़ा सवाल उभर कर सामने आ रहा कि कहीं आमजन के जहन में ये तो नही बस गया है की बीजेपी की लगातार राज्यों में हुई जीत से पार्टी व उनके नेताओं में अहम तो नही आ गया है जोकि बीजेपी के हार का कारक बन गया हो । इस चुनाव को इसलिये भी महत्वपूर्ण माना जा रहा था कि अब लोकसभा आम चुनाव होने एक साल से भी कम रह गए हैं। भले ही बीजेपी नेता व उनके प्रवक्ता चिल्ला चिल्ला कर सफाई दे रहे हैं कि उपचुनाव से आम चुनाव अलग होते हैं।आइए गौर करें तो 2014 में बीजेपी की सरकार प्रचण्ड बहुमत आई।दो वर्ष तो सब कुछ ठीक रहा । लेकिन 2016 से 37 उपचुनाव में से बीजेपी को 31 में हार का मुँह देखना पड़ा , एक सकून 2017 में रहा जब बीजेपी की यूपी में भारी बहुमत की सरकार योगी जी के नेतृत्व में बनी।लेकिन उसके बाद से बीजेपी के लिए कोई अच्छीखबर लेकर नही आयी है। लोकसभा गोरखपुर, फूलपुर, और अब कैराना साथ में नूरपुर विधानसभा में मिली हार ने बीजेपी सांसत में डाल दिया है। इतना ही नही अखिलेश, मायावती व कांग्रेस का एक मंच पर आना और महागठबंधन कर चुनाव लड़ना बीजेपी को सोचने पर मजबूर दिया है। क्षेत्रीय दलों की पेश बंदी से बीजेपी को उपचुनाव में मिली हार को पचाना पार्टी के लिए मुश्किल है। कर्नाटक में हुए चुनावों में मोदी का पूरी ताकत से चुनाव प्रचार करना उसके बाद भी पार्टी बहुमत से दूर रह जाना मोदी की जिताऊ छबि को नुकसान हुआ है। लोगों के मन में कहीं न कहीं संशय पैदा हो रहा है कि मोदी का विकास मॉडल फेल तो नही हो रहा है! बाई इलेक्शन से बीजेपी की हार के प्रमुख कारक महंगाई, जिसमें पेट्रोलियम के दामों में लगातार बढ़ोतरी होना, गैस, खाद,बिजली के बिलों में बढ़ोतरी, किसानों की उपेक्षा , गन्ना का भुगतान न होना सामने आया है। ये कारण विपक्षी एकता बीजेपी अधिक भारी रहे। अगर बीजेपी को सत्ता में पुनः आना है तो यूपी में बेहतर प्रदर्शन करना होगा,क्योंकि केंद्र की सत्ता का दरवाजा यूपी व बिहार से ही निकलता है। इसलिए किसानों व मध्यम वर्गीय परिवार को ध्यान में रखकर और इन्हें प्रसन्न करना आवश्यक है।
यूपी में बिजली बिल कम करना, किसानों की समस्या का निस्तारण, के साथ ही देश में पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाकर मध्यम वर्गीय परिवार को राहत व बेरोजगारी पर कार्य करने की जरूरत है, वरना 2019 में जीत बीजेपी के लिए बुरे सपने की तरह साबित होगा।जीत के नशे से निकल कर आमजन को राहत देने की जरूरत है क्योंकि भारत की जनता है ,सब्र कम है, सत्ता पहुंचाने में देर नही लगाते और उतारने में भी देर नही करते। आमजन का कहना भी है कि प्रधानमंत्री मोदी विदेश में भारत का नाम ऊंचा किया है ,सरकार विदेश नीति अच्छी है, विकास हो रहा है आने वाले टाइम में इसका लाभ मिलेगा । लेकिन वर्तमान में इससे तो पेट भरेगा नही हमारी इनकम थोड़ी है तो जरूरत के सामान को सस्ता होना आवश्यक है। इसलिये बीजेपी को 2019 आमचुनाव जीतना है तो कुछ करके ही जीता जा सकता है। देश अहम से नही चलता है। गरीब अमीर जनता की जरूरतों से ही चलता है।
@NEERAJ SINGH
ye to sahi hai--
जवाब देंहटाएंReal observation brother
जवाब देंहटाएंThanx brother
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