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कसौटी पर भारतीय विदेश नीति!


देश में मोदी की केंद्र सरकार पर विदेश नीति को लेकर हाल विपक्ष ने खूब हमले किये और जनता में भी पड़ोसी देशों के साथ संबन्धों को लेकर काफी असहज महसूस कर रहा है। एक प्रकार से ये माना जाय कि मोदी सरकार की विदेश नीति कसौटी पर कसी जा रही है। देश की विपक्षी दलों के साथ साथ जनता भी जानना चाहती है कि आखिर क्या बात है कि अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध क्यों ख़राब हो रहे हैं!  इन सवालों के जबाब का देश की जनता को काफी समय से इंतजार है। मोदी का विदेशी दौरा फ्लॉप रहा है?इन दौरों से देश को क्या लाभ मिल रहा है? पाकिस्तान ,चीन से सीमा पर तनाव क्यों बना हुआ है!  भारत-पाक वार्ता होगी या फिर युद्ध ही एक मात्र चारा बचा हुआ है।कश्मीर के भी हालात बिगड़े हुए हैं? ये सवालों की बौछार से सरकार को दो चार होना पड़ रहा है। आज विदेश नीति को लेकर देश की संसद के राज्यसभा में चार घण्टे  से अधिक इसी मुद्दे पर बहस हुई। केंद्र सरकार की ओर से बहस का जबाब विदेश मन्त्री सुषमा स्वराज ने दिया।  उन्होंने केंद्र की विदेश नीति को अच्छी व सफल बताते हुए कहा कि पाक से दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो नवाज शरीफ ने आतंकी बुराहान को शहीद बताकर सम्बन्धों में तल्खी पैदा करने का कार्य किया। आतंक का साथ व दोस्ती एक साथ नही चलेगी। चीन से बातचीत की गुंजाइश बनी हुई है। आज अमेरिका व रूस दोनों से सम्बंध बने हैं, सऊदी अरब देशों से बहुत अच्छे सम्बंध हैं। सुषमा स्वराज के जबाब से विपक्ष में चुप्पी छा गई।  मेरा मानना है कि आज की विदेश नीति पूर्ववर्ती संप्रग सरकार बहुत ही बेहतर है। विदेशमंत्री के जबाब ने देश की जनता में विदेश नीति को लेकर उठ रहे सवालों के जबाब अवश्य मिल गया होगा। पाकिस्तान को लेकर अपनाई जाने वाली नीति से अवश्य ही थोड़ी बहुत निराशा हो रही है । क्योंकि पाक को उसी के भाषा में जबाब देने की आवश्यकता है। और अब सबक सिखाने का समय आ गया है। यहीं सरकार को  पाक के विरुद्ध विदेश नीति में बदलाव की  जरूरत है।तभी जाकर केंद्र की विदेश नीति कसौटी प् खरा उतरा जा सकता है।
@नीरज सिंह

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