सपा का समाजवाद यही है क्या !
देश के सबसे बडे राज्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी विचार धारा की द्योतक कही जाने वाली पार्टी समाजवादी पार्टी की सरकार है। ये वही प्रदेश है जहां देश के संसद में सबसे ज्यादा सांसद चुन कर आते हैं। इस प्रदेश की कमान 2012 के विधान सभा के चुनाव में जनता ने प्रचंड बहुमत के साथ जिताकर युवा नेता अखिलेश यादव के हाथों सत्ता सौंपी। उन्हे उम्मीद थी कि युवा मुख्यमंत्री होने के नाते राज्य का सर्वांगीण विकास के साथ जनता की समस्याओं का निराकरण होगा। काफी हद तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी छवि के हिसाब विकास को गति भी दिया और ये कार्य दिखने भी लगे। लेकिन उनके सामने पिछले साढे चार सालों में सबसे बडी चुनौती दिखी वह रहा उनका समाजवादी कुनबा जोकि उनके सामने आये दिन उनके फैसलों पर टांग अडाते दिखे। घर से मिल रही चुनौतियों से मुख्यमंत्री के किये गये कार्यों पर भी प्रभाव पडता रहा। जब भी सपा की सरकार बनी सबसे बडा मुद्दा प्रदेश में कानून व्यवस्था ही रहा है। आज भी उसी मुद्दे पर सरकार विपक्षी पार्टियां उन्हे घेरने का कार्य कर रही हैं। अखिलेश इसकी सफाई में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1090 नं0 व 100नं0 चालू करने की बात करते हैं,पर पुलिस करे तो क्या करे जब सत्ताधारी उन्हें सही काम करने दें,जानकारों की माने तो पूरे प्रदेश में पुलिस थानों को चलाने का कार्य सत्तादल के नेता कर रहे हैं। प्रदेश में जमीनों पर जबरन कब्जा करने शिकायतें भी आयी हैं। अखिलेश यादव अपनी छबि को बेहतर बनाने का प्रयास जरूर करते रहे हैं पर उनकी सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह व शिवपाल के आगे नही चल सकी है। ईमानदार आईएएस दुर्गा नागपाल का प्रकरण, मथुरा काण्ड, खनन मामले में गायत्री की मंत्रिमंडण्ल से बर्खास्तगी,फिर वापसी, आईपीएस अमिताभ ठाकुर व आईएएस सूर्यप्रकाश सिंह द्वारा अपनी सरकार को सवालों के कठघरे में खडा करना आदि प्रकरण प्रदेश सरकार की छबि पर सवाल खडे किए हैं। अखिलेश यादव अपनी विकास की छवि बनायी है,लेकिन उपरोक्त प्रकरणों की काली छाया से सपा सरकार का निकलना मुश्किल लगता है। जनता इन सभी सवालों का जबाब अवश्य मागेंगी साथ ही जनता के मन में एक प्रश्न जरूर उठेगा क्या सपा का समाजवाद यही है। यह समाजवादियों के लिए चिंतन का विषय है।
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